विनेश फोगाट: जिसने कभी हार नहीं मानी

Vinesh Phogat: पेरिस ओलम्पिक में विनेश फोगाट का सफर शानदार रहा। विनेश ने शानदार अंदाज में क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल मुकाबले जीते।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-08-08 13:42 IST

Vinesh Phogat  (photo: social media )

Vinesh Phogat: विनेश फोगाट ने एक ऐसे व्यक्ति से टक्कर ली जो कभी नहीं हारा था। वह एक ऐसे शिखर पर पहुँची जहाँ कोई पहलवान नहीं पहुँच पाया था। और जब ऐसा लग रहा था कि वह एक अंधेरी सुरंग के अंत में रोशनी की एक किरण के करीब थीं तो उसे एक ऐसे नियम ने गिरा दिया जो किसी भी ओलंपियन के लिए इतना क्रूर नहीं रहा था। विनेश फोगट इतना बड़ा सदमा डिजर्व नहीं करती।

इन निराशाओं के बावजूद विनेश फोगाट ने ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान के रूप में इतिहास रच दिया है। पेरिस खेलों में विनेश के अभियान की शुरुआत एक ऐसी उपलब्धि के साथ हुई जो इससे पहले किसी अन्य पहलवान ने हासिल नहीं की थी। राउंड ऑफ 16 में उनका मुकाबला जापानी पहलवान यूई सुसाकी से था, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कभी हार का सामना नहीं किया। विनेश ने अजेय को भी हरा कर परचम लहरा दिया। लेकिन गोल्ड के लिए होने वाले फाइनल मुकाबले से पहले सौ ग्राम वजन ज्यादा होने पर विनेश अयोग्य करार दी गईं। गोल्ड की उम्मीद लगाये पूरा देश सन्न रह गया। विनेश फोगाट ने दुखी मन से अब इस खेल से संन्यास का ऐलान कर दिया है। उन्होंने एक्स पर लिखा – ‘’मां, कुश्ती मेरे से जीत गई। मैं हार गई। माफ करना। आपका सपना, मेरी हिम्मत, सब टूट चुके। इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024। आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी। माफी।‘’

क्या क्या हुआ पेरिस ओलम्पिक में

पेरिस ओलम्पिक में विनेश फोगाट का सफर शानदार रहा। विनेश ने शानदार अंदाज में क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल मुकाबले जीते। इसके बाद 50 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल मुकाबले में वह पहुंची लेकिन जब नियमानुसार वजन चेक किया गया तो वजन सौ ग्राम ज्यादा निकला इससे उन्हें डिसक्वालिफाई कर दिया गया। सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान विनेश ने क्यूबा की पैन अमेरिकन चैंपियन लोपेज़ गजमैन पर 5-0 से जीत हासिल की थी और वे ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई थीं। जहां उनका मुकाबला अमेरिकी पहलवान सारा हिल्डेब्रांट से होना था। कुदरत का खेल ऐसा रहा कि सारा हिल्डेब्रांट को बिना कुश्ती लड़े ही गोल्ड मैडल मिल गया और सेमी फाइनल में हरने वाली लोपेज़ गजमैन को सिल्वर मेडल मिल गया।


वजन कम करने की कोशिशें

नियमों के अनुसार, पहलवानों को दो बार वजन दिखाना होता है : प्रारंभिक दौर की सुबह में और फाइनल मैच वाले दिन की सुबह में। विनेश 6 अगस्त की सुबह 50 किलोग्राम की स्वीकार्य वजन सीमा के भीतर थी। माना जाता है कि दिन भर में उसका वजन बढ़ गया होगा क्योंकि उसने तीन मुकाबलों के बाद खुद को तरोताजा कर लिया था और उसे रात भर में लगभग 2 किलोग्राम वजन कम करना पड़ा। उसे 6 अगस्त की शाम सेमीफाइनल मुकाबले के बाद उसने सौना लिया, स्किपिंग और साइकिलिंग की, कोच और सपोर्ट स्टाफ ने मिलकर उनका वजन कम करने की हर संभव कोशिश की। इसके लिए उनके बाल और नाखून काटे गए और खून तक निकलवाया गया ताकि उनका वजन कुछ कम हो सके। लेकिन अगली सुबह वजन करने के समय उसका वजन 100 ग्राम अधिक था। इस बीच भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनशॉ पारदीवाला ने कहा है कि विनेश ने तीन मुकाबले खेले, और इसलिए निर्जलीकरण को रोकने के लिए थोड़ी मात्रा में पानी दिया जाना था। भागीदारी के बाद उसका वजन बढ़ा हुआ पाया गया। कोच ने वजन घटाने की सामान्य प्रक्रिया शुरू की, जो वह हमेशा विनेश के साथ अपनाते रहे हैं और उन्हें विश्वास था कि यह सफल हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग की नियम पुस्तिका के अनुच्छेद 11 में कहा गया है कि जो एथलीट वजन घटाने में सफल नहीं होता है, उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा। लिखा है कि - यदि कोई एथलीट वजन मापने (पहला या दूसरा वजन मापने) में शामिल नहीं होता है या असफल हो जाता है, तो उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा और बिना किसी रैंक के अंतिम स्थान पर रखा जाएगा।"

बहरहाल, विनेश ने ओलंपिक कमिटी से दरख्वास्त की कि उसे मौक़ा दिया जाये। अमेरिका, ग्रीस, आदि देशों ने भी नियम में बदलाव की मांग की लेकिन कमिटी ने साफ़ कह दिया कि नियम तो नियम हैं और अगर आज सौ ग्राम की छूट दी गयी तो कल को कोई दो सौ ग्राम की छूट मांगेगा।


साजिश की अटकलें

विनेश जो फाइनल में अयोग्य करार दिए जाने की खबर आने के साथ सोशल मीडिया और इन्टरनेट पर साजिश के आरोप लगाए जाने लगे। एक्स पर तो ‘हैशटैग कांस्पीरेसी’ ट्रेंड करने लगा और लोग तरह तरह की थ्योरी देने लगे कि जानबूझ कर विनेश को बाहर कराया गया है। बाद में एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) के अध्यक्ष आदिल सुमरिवाला ने साजिश के दावों को खारिज करते हुए कहा कि समस्या "तकनीकी" है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा - कोई साजिश नहीं है। यदि आपका वजन अधिक है, तो आप अधिक वजन वाले हैं। यह एक तकनीकी बात है। वह हमेशा उच्च श्रेणी में लड़ती थी और उसे अपना वजन कम करना पड़ता था। ऐसे परिदृश्यों में, 50 किलोग्राम के निशान से चूकने की हमेशा संभावना होती है। अधिक वजन के लिए कोई छूट नहीं है। दूसरी तरफ भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने विनेश के सहयोगी स्टाफ की जांच की घोषणा की है। संजय सिंह ने कहा कि वजन में हुई गड़बड़ी विनेश की गलती नहीं थी और कोच वोलर अकोस और फिजियो अश्विनी जीवन पाटिल सहित उनके सहयोगी स्टाफ को स्वर्ण पदक से चूकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।


एक विजेता की कहानी

विनेश की कहानी खेल के मैदान पर और उसके बाहर एक विजेता की है। यह एक एथलीट, एक पहलवान की कहानी है, जिसने 18 महीने की छोटी सी अवधि में बहुत कुछ देखा है। 28 मई 2023 को जब विनेश भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन प्रमुख द्वारा यौन उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही थीं तब उसे धक्का दिया गया और जमीन पर घसीटा गया। लेकिन 6 अगस्त 2024 को उसी विनेश की किस्मत बदल गई जब उसने अपने विरोधियों को मैट पर हराया और ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गयी। दरअसल, विनेश ने कभी हार नहीं मानी। उसने खेल के दौरान मिली चोटों के अलावा अपने गरिमा को पहुंचे जख्मों के खिलाफ डट कर संघर्ष किया है। वह अपने और अपनी साथी महिला एथलीटों की गरिमा और उनके भविष्य के लिए प्रतिस्पर्धा करने और जीतने के लिए अडिग रहीं। विनेश का मजाक उड़ाया गया, उन्हें ट्रोल किया गया और उन्हें खारिज कर दिया गया। उन्हें राष्ट्र-विरोधी, जातिवादी, असफल पहलवान और न जाने क्या-क्या कहा गया। विनेश को भले ही पेरिस ओलम्पिक में पदक नहीं दिया गया लेकिन फिर भी उनकी जीत बनी हुई है। विनेश ने अब तक अजेय युई सुसाकी को हराकर फाइनल में जगह बनाई। इसे कोई नहीं नकार सकता। विनेश का संदेश और प्रेरणा सिर्फ़ ओलंपिक से कहीं आगे की है। पेरिस में विनेश फोगट के प्रदर्शन ने भारतीय खेलों में एक नया अध्याय शुरू कर दिया है। और उनकी जीत सिर्फ़ उनकी है।


जानिए विनेश के बारे में

विनेश फोगट का जन्म 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के चरखी दादरी में हुआ था। वह राजपाल फोगट की बेटी हैं और पहलवानों के परिवार से आती हैं। उनकी बहन प्रियंका फोगट और चचेरी बहनें गीता फोगट, रितु फोगट और बबीता कुमारी - सभी पहलवान हैं। विनेश को उनके चाचा महावीर सिंह फोगट ने प्रशिक्षित किया था। शुरुआती वर्षों के दौरान, उनके पिता और उनके चाचा को विनेश और उनके चचेरे भाइयों को प्रतिस्पर्धी कुश्ती में आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए अपने गांव में समुदाय के विरोध का सामना करना पड़ा।


खेल करियर

महिला कुश्ती के क्षेत्र में विनेश फोगाट का शानदार करियर रहा है। वे विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक भी जीता है। वे एशियाई चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रही हैं। उन्हें देश के सबसे सफल भारतीय पहलवानों में गिना जाता रहा है।

- विनेश कई राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हैं, जिन्होंने 2014, 2018 और 2022 खेलों में स्वर्ण पदक जीते हैं।

- 2018 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद वह राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं।

- नई दिल्ली में आयोजित 2013 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में विनेश ने महिलाओं की फ्रीस्टाइल 51 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता।

- विनेश ने विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक भी जीते हैं।

- विनेश तीन बार की ओलंपियन हैं, जिन्होंने तीन अलग-अलग भार वर्गों में प्रतिस्पर्धा की है - 2016 में 48 किग्रा, 2020 में 53 किग्रा और 2024 में 50 किग्रा केटेगरी में।

- उन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक खेलों के दौरान महिलाओं की 48 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में डेब्यू किया था। उस समय घुटने में गंभीर चोट लग जाने के कारण उन्हें क्वार्टर फाइनल मुकाबले से बाहर होना पड़ा था।

- 2024 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में वह तत्कालीन ओलंपिक चैंपियन यूई सुसाकी को हराने वाली पहली अंतरराष्ट्रीय पहलवान बनीं और ओलंपिक फ़ाइनल में पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं।

- फोगट को 2019 में लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स के लिए नामित किया गया था और वह इस पुरस्कार के लिए नामांकन पाने वाली पहली भारतीय थीं।


भारतीय कुश्ती संघ से विवाद

जनवरी 2023 में विनेश फोगाट ने साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और अंशु मलिक सहित 30 से अधिक भारतीय पहलवानों के साथ मिलकर भारतीय कुश्ती महासंघ को भंग करने और इसके अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए दिल्ली में लंबा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। यह आरोप लगाया गया था कि इसके कोच वर्षों से महिला खिलाड़ियों का यौन उत्पीड़न कर रहे थे। भारत सरकार द्वारा दावों की जांच के लिए एक निगरानी समिति बनाने का वादा करने के बाद विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया गया।

अप्रैल 2023 में पहलवानों ने विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू कर दिया, यह दावा करते हुए कि सरकार ने अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान नहीं किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान विनेश ने कहा कि जब उन्होंने भूषण पर आरोप लगाया और उनकी शिकायत की तो उनका मानसिक उत्पीड़न किया गया, यातना दी गयी और जान से मारने की धमकियां दी गयीं।

खैर, अगर भारतीय खेलों में कोई ऐसा है जो इस सदमे से निपटने में सक्षम है, तो वह विनेश ही है। जब वह नौ साल की थीं, तो उनके पिता को उनके गांव के एक मानसिक रूप से विक्षिप्त रिश्तेदार ने घर के सामने ही गोली मार दी थी। विनेश ने बाद में बताया कि उस दिन उनकी मां ने मुस्कुराने का अधिकार खो दिया। लेकिन उन्होंने एक साहसी बेटी का पालन-पोषण किया जो किसी भी चीज से डरती नहीं थी। बड़े होते हुए, हरियाणा के बलाली में उनके घर से कुछ ही दूरी पर रहने वाले उनके चचेरे भाई-बहन सबसे मशहूर फोगाट थे। वे कुश्ती के राजा थे, उन पर एक फिल्म भी बनी थी। जूनियर के तौर पर, वह सबसे अच्छी चौथी फोगाट थी। लेकिन बड़े सपनों वाली एक निडर लड़की एक साइड स्टोरी बनने के लिए पैदा नहीं हुई थी। अंत में बीएस यही कहना उचित होगा कि भले ही अब पोडियम पर पहुंचना असंभव है, लेकिन पेरिस के बाद फोगाट उस ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, जहां कोई ओलंपिक पदक आपको पहुंचा सकता है।

फोगट अपने व्यक्तिगत गुस्से को मैट पर ले जाने और एक पहलवान के रूप में सफल होने में सक्षम थी, अब उसे एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उसे अब अपने ओलंपिक दर्द को दूर करने और आगे बढ़ने की जरूरत होगी। उसे भले ही उसे पदक रजत से वंचित कर दिया गया हो, लेकिन उसे हमेशा एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा जो न तो किसी शक्तिशाली व्यक्ति से डरी और न ही अजेय पहलवान सुसाकी से।



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