नई दिल्ली: देश के बाहर खेलने जाने वाले भारतीय खिलाडियों का दर्द हमेशा से यही रहा है कि बहार उन्हेें उनके आदत के अनुसार भोजन नहीं मिल पाता है।एक बार फिर भारतीय दल इसी को तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ब्यूनस आयर्स में हो रहे यूथ ओलंपिक में खाने की मार झेल रहे खिलाड़ियों ने भारतीय दल के चेफ डि मिशन गुरुदत्ता भक्ता से गुहार लगाई है कि उन्हें कुछ ऐसा खाना उपलब्ध कराया जाए जो वे खा सकें। वहां खेलने गए 68 सदस्यीय भारतीय दल को खाने के लाले पड़ गए हैं।
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गुरुदत्ता भक्ता का कहना यहां तक है कि भारतीय खाने को तो छोड़ो उससे मिलते जुलते खाने का इंतजाम भी नहीं हो रहा है।
वहां पर उपजे इस तरह के बुनियादी संकट से भारतीय खिलाड़ियों के तैयारियों पर भी असर आ तहा है। खिलाड़ियों को भूखा रहना पड़ रहा है, जिससे उनकी खेल शुरू होने से पहले अंतिम सत्र की तैयारियां बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं।
भक्ता ने भी इस मामले को कड़ाई से आयोजनकर्ताओं के समक्ष उठाते हुए भारतीय खाना उपलब्ध कराने को कहा, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
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देश के बाहर खिलाड़ियों को खने की दिक्कत
अंतरमहाद्वीपीय खेलों में थोड़ी बहुत खाने की शिकायत आती है, लेकिन जिस तरह की दिक्कतों का सामना भारतीय खिलाड़ियों को ब्यूनस आयर्स में करना पड़ रहा है, वैसा देखने को नहीं मिलता है। सच्चाई यह है कि रविवार को ट्रेनिंग के दौरान पदक का दावेदार एक भारतीय खिलाड़ी उपयुक्त खाना नहीं मिलने के चलते चक्कर खाकर गिर पड़ा।
चेफ डि मिशन भक्ता ने कहा कि आयोजनकर्ताओं को पहले ही कहा गया था कि दो से तीन तरह के भारतीय व्यंजन गेम्स विलेज में उपलब्ध कराए जाएं, लेकिन यहां आए तो ऐसा नहीं था।
आवसीय सुविधा का टोटा
कड़ी चुनौती से निपटने के लिए खिलाड़ियों को वक्त से आराम करने लिए सुविधायुक्त आवसीय व्यवस्था की आवश्यकता होती है। यहां के गेम्स विलेज स्थित कमरों में चार से आठ या उससे भी अधिक खिलाड़ियों को एक साथ रुकवाया गया है। कमरों में एक के ऊपर ऊपर एक बेड दिए गए हैं,जबकि टॉयलेट एक ही है। यहां तक कमरों में कुर्सी तक नहीं दी गई है। खिलाड़ियों के साथ ऑफिशियल्स को भी इसी तरह के बेड दिए गए हैं।
18 अक्टूबर तक चलने वाले इस यूथ ओलिंपिक गेम्स में 206 देशों के करीब 4 हजार खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। भारत की ओर 68 सदस्यीय दल चुनौती पेश करेगा।भारत ने यूथ ओलिंपिक में अब तक एक भी गोल्ड मेडल नहीं जीता है।