Content Block On Twitter: ट्विटर पर कंटेंट ब्लॉक करने में जबर्दस्त तेजी
ट्विटर की ग्लोबल ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट से पता चलता है कि 2014 और 2020 के बीच ट्विटर से सामग्री को हटाने के लिए सरकार और विभिन्न अदालतों की ओर से की जा रही कानूनी मांगों में 48,000 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
Content Block On Twitter: भारत में माइक्रो मैसेजिंग प्लेटफार्म ट्विटर (Twitter) से सामग्री हटाने की डिमांड में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है। ट्विटर की ग्लोबल ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट (Global Transparency Report) से पता चलता है कि 2014 और 2020 के बीच ट्विटर से सामग्री को हटाने के लिए सरकार और विभिन्न अदालतों की ओर से की जा रही कानूनी मांगों में 48,000 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। इसी अवधि में, सरकार द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों को जारी किए गए कंटेंट ब्लॉकिंग ऑर्डर की संख्या में भी लगभग 2,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म से 9,849 लिंक हटाने का आदेश दिया: संजय धोत्रे
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार पूर्व इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री संजय धोत्रे (Minister Sanjay Dhotre) द्वारा लोकसभा में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने 2020 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 (ए) के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म से 9,849 लिंक हटाने का आदेश दिया। 2014 में ऐसे अनुरोधों की संख्या 471 थी। यानी आठ वर्ष में 1,991 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ट्विटर की वैश्विक पारदर्शिता रिपोर्ट के अनुसार, इसी अवधि के बीच, भारत ने ट्विटर से 12,373 सामग्रियों को हटाने के लिए कानूनी अनुरोध किया, जिनमें से अकेले 2020 में 9,000 से अधिक अनुरोध किए गए थे। 2014 और 2020 के बीच ब्लॉकिंग आदेश जारी करने के मामले में जापान भारत से आगे है जिसने 55,000 से अधिक ऐसे अनुरोध किए। तुर्की जिसने 50,000 के करीब अनुरोध किए; और रूस ने 36,000 से अधिक ट्वीट्स को हटाने का आदेश दिया।2021 के पहले छह महीनों में, ट्विटर को विभिन्न भारतीय अदालतों और सरकार द्वारा 4,900 से अधिक ट्वीट्स को ब्लॉक करने के लिए कहा गया था।
ध्यान देने वाली बात है कि ट्विटर अपनी वैश्विक पारदर्शिता रिपोर्ट में विभिन्न अदालतों और सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों का विवरण साझा नहीं करता है। हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के ब्लॉकिंग आदेशों के खिलाफ ट्विटर की याचिका से पता चला है कि फरवरी 2021 और फरवरी 2022 के बीच, सरकार ने कंपनी को 1,400 से अधिक खातों और 175 ट्वीट को ब्लॉक करने का आदेश दिया था।
2014 और 2020 के बीच इतने सामग्री को हटाने के दिए आदेश
2014 और 2020 के बीच, सरकार ने गूगल को सरकार की आलोचना, मानहानि, वयस्क सामग्री और अन्य कारणों के लिए सर्च इंजन, यूट्यूब, जीमेल और ब्लॉगर जैसी सेवाओं से 9,000 से अधिक सामग्री को हटाने का आदेश दिया था। ट्विटर के विपरीत, गूगल ने ये विवरण दिया है कि सरकार द्वारा इसे कितने टेकडाउन नोटिस जारी किए गए थे और कितने अदालतों से।
संयोग से, फेसबुक पर टेकडाउन में गिरावट आई है। उदाहरण के लिए, 2014 में, कंपनी ने 10,000 से अधिक सामग्री को ब्लॉक कर दिया। लेकिन 2019 और 2020 में पर 2,100 लिंक ही ब्लॉक किये गए। इन दो वर्षों में, कंपनी ने सरकारी आदेशों का पालन करते हुए सामग्री को हटा दिया, जिसमें राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के खिलाफ सामग्री शामिल है।
ट्विटर ने कंटेंट ब्लॉक करने के आदेशों के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में दाखिल की याचिका
इस बीच ट्विटर ने कंटेंट ब्लॉक करने के आदेशों के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) में याचिका दाखिल की है। ट्विटर ने अदालत को बताया है कि आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय कंपनी को सूचित किए बिना पूरे खातों को ब्लॉक करने के आदेश जारी कर रहा है। याचिका के अनुसार, कई यूआरएल में राजनीतिक और पत्रकारिता संबंधी सामग्री होती है। इस तरह की सूचनाओं को ब्लॉक करना यूजर्स को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का घोर उल्लंघन है। कंपनी ने यह भी दावा किया है कि मंत्रालय ने कई मामलों में, ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी करने के लिए "उचित कारण" प्रदान नहीं किया है, जबकि धारा 69 (ए) के तहत ऐसा किया जाना चाहिए।