Barabanki History: तपस्वियों की तपस्थली है बाराबंकी, महाभारत से है कनेक्शन
Barabanki History Hindi: बाराबंकी उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध इलाका है। इस जगह का इतिहास से गहरा नाता रहा है।
Barabanki History : बाराबंकी ज़िला (Barabanki district) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मध्य भाग में अवध क्षेत्र में स्थित एक ज़िला है। बाराबंकी जिले को 'पूर्वांचल के प्रवेश द्वार' के रूप में भी जाना जाता है, जिसे कई संतों और साधुओं की तपस्या स्थली होने का गौरव प्राप्त है। इस जिले के नामकरण की कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं। उनमें सबसे लोकप्रिय प्रचलन यह है कि, 'भगवान बारह' के पुनर्जन्म की पावन भूमि है।
क्यों प्रसिद्ध है बाराबंकी
बाराबंकी में कुछ महत्वपूर्ण स्थान है, बाराबंकी में महादेवा पर्यटन स्थल व धार्मिक स्थल है जहां की प्राचीन मंदिर है बाराबंकी में कस्बा देवा शरीफ भी बहुत लोकप्रिय स्थान है क्योंकि यहाँ सूफी सन्त हाजी वारिस अली शाह का मजार है। इस जगह को अपनी अवधी भाषा के लिए भी पहचाना जाता है।
बाराबंकी के राजा
राजा बलभद्र सिंह चेहलरी उन क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने अवध क्षेत्र से आजादी के पहले युद्ध में स्वतंत्रता और स्वशासन के लिए निःस्वार्थ लड़ाई लड़ी, उनमें राजा बलभद्र सिंह चेहलरी का नाम भारतीय स्वतंत्रता के शहीदों के बीच सबसे आगे दिखाई देता है। राजा बलभद्र सिंह चेहलरी 10 जून 1840ई. को पैदा हुए थे, ब्रिटिश सेना से भारतीय आजादी के पहले युद्ध की आखिरी लड़ाई जो ओबरी में बाराबंकी से लगभग 2 किलोमीटर दूर रेट और जमुरिया नदियों के संंगम पर स्थित है, में बहादुरी से लड़े और लगभग 1000 अन्य क्रांतिकारियों के साथ अपना जीवन बलिदान किया।
बाराबंकी का इतिहास
बाराबंकी जिले को 'पूर्वांचल का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है, इसे कई संतों और तपस्वियों की तपस्थली होने का गौरव प्राप्त है। इस जिले के नामकरण के संबंध में कई प्राचीन कहावतें हैं। उनमें से सबसे लोकप्रिय यह है कि, इस पवित्र भूमि पर 'भगवान बाराह' के पुनर्जन्म के कारण, इस स्थान को 'बाणहन्या' के नाम से जाना जाने लगा, जो समय के साथ अपभ्रंश होकर बाराबंकी हो गया। जिले का मुख्यालय 1858 ई. तक दरियाबाद में था, जिसे बाद में 1859 ई. में नवाबगंज में स्थानांतरित कर दिया गया जो कि बाराबंकी का दूसरा लोकप्रिय नाम है।
जैसा कि कहा जाता है, प्राचीन काल में यह जिला सूर्यवंशी राजाओं द्वारा शासित राज्य का हिस्सा था, जिनकी राजधानी अयोध्या थी। राजा दशरथ और उनके प्रसिद्ध पुत्र भगवान राम इसी वंश के थे। गुरु वशिष्ठ उनके कुलगुरु थे, और उन्होंने सतरिख में राजवंश के युवा शाही राजकुमारों को उपदेश दिया और पढ़ाया, जिन्हें शुरू में सप्तऋषि के नाम से जाना जाता था। यह जिला बहुत लंबे समय तक चंद्रवंशी राजाओं के शासन में रहा। महाभारत काल के दौरान, यह 'गौरव राज्य' का हिस्सा था और भूमि का यह हिस्सा कुरुक्षेत्र के नाम से जाना जाता था। पांडवों ने अपनी माता कुंती के साथ वनवास के दौरान कुछ समय घाघरा नदी के तट पर बिताया था।
जिला बाराबंकी को दरियाबाद के नाम से जाना जाता था और इसका मुख्यालय दरियाबाद शहर में था, जिसे मोहम्मद शाह शारिक की सेना में दरियाब खान नाम के एक अधिकारी ने स्थापित किया था। 1858 ई. तक यह जिला मुख्यालय बना रहा। 1859 ई. में जिला मुख्यालय को नवाबगंज में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसे अब बाराबंकी के नाम से जाना जाता है। यह अंग्रेजों द्वारा जिले के विस्तार के दौरान किया गया था, जब जिला लखनऊ से कुर्सी और जिला रायबरेली से हैदरगढ़ को तत्कालीन दरियाबाद जिले में जोड़ा गया था।
बाराबंकी पर्यटक स्थल
बाराबंकी ज़िल में कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन व धार्मिक स्थल निम्नलिखित हैं।
लोधेश्वर महादेव मंदिर (महादेवा): महादेवा एक महाभारत कालीन शिव मंदिर और हिन्दू धार्मिक स्थल है।
देवा शरीफ : देवा शरीफ में वारिस अली शाह की दरगाह है और हर साल यंहा भव्य आयोजन किया जाता है।
पारिजात वृक्ष (किन्तूर) : देव वृक्ष के नाम से जाना जाता है।
कुंतेश्वर महादेव : यहां आती हैं कृष्ण की बुआ, कुंतेश्वर महादेव की करती हैं विशेष पूजा।
मेड़नदास बाबा (अटवा धाम) :अटवाधाम एक प्राचीन धार्मिक स्थल है जंहा पर मेड़न दास बाबा का मंदिर है।
कोटवा धाम: कोटवा धाम बाराबंकी जिले के रामनगर क्षेत्र में बाबा जगजीवन दास का कर्म स्थल व वर्तमान में हिन्दू धार्मिक स्थल है।
सिद्धेश्वर महादेव, सिद्धौर : यह मंदिर शिव जी का एक प्राचीन मंदिर है, सोमवार को लोग यहां जल चढ़ाने आते हैं, सिद्धेश्वर मंदिर के नाम से ही सिद्धौर नगर पालिका का नाम पड़ा है। यहां दर्शन करने महत्मा बुद्ध भी आए थे।