Bhojpur Shiv Mandir: इस मंदिर का निर्माण अभी तक है अधूरा, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी
Bhopal Famous Bhojpur Shiv Mandir: भोजपुर शिव मंदिर, भोपाल, मध्य प्रदेश में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और वहां बाबा भोजनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है। भोजपुर शिव मंदिर भोपाल का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज द्वारा किया गया था।
Bhopal Famous Bhojpur Shiv Mandir: भोजपुर शिव मंदिर, भोपाल, मध्य प्रदेश में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और वहां बाबा भोजनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है। भोजपुर शिव मंदिर भोपाल के उत्तरी भाग में स्थित है और यह प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। यह मंदिर ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि इसे भोपाल के महाराज भोजराज के समय में निर्मित किया गया था।
मंदिर का मुख्य भव्य गोपुरम विशेष धार्मिक महाकार्यक्षेत्र के रूप में उभरता है। मंदिर के भीतर, मूर्तियों के अलावा, शिवलिंग का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे श्रद्धालु दर्शन और पूजा कर सकते हैं। भोजपुर शिव मंदिर का वातावरण शांतिपूर्ण और प्राकृतिक है, और इसे धार्मिक अद्यात्मिकता के लिए खोजने वाले लोगों के बीच एक प्रिय स्थल बनाता है। यहां दिनभर आरती, भजन और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
इसके अलावा, भोजपुर शिव मंदिर के आसपास कई छोटे-बड़े मंदिर और आश्रम हैं जो भक्तों के लिए आत्मा संयम और मन की शांति का स्थान हैं। मंदिर के पास एक सुंदर तालाब भी है, जहां लोग आराधना के दौरान शुद्धिकरण के लिए स्नान करते हैं।
राजा भोज द्वारा हुआ इस मंदिर का निर्माण
भोजपुर शिव मंदिर भोपाल का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज द्वारा किया गया था। मध्य प्रदेश की मुख्य बेतवा नदी के किनारे इस मंदिर का निर्माण हुआ है। यह एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है और यहां लाखों पर्यटक आते हैं लेकिन फिर भी इस मंदिर का निर्माण अभी तक अधूरा पड़ा हुआ है। यह भारत का एक ही मंदिर है जिसका शिवलिंग यह भारत का एक ही मंदिर है जिसमें शिवलिंग पत्थर का बना हुआ है।
भोजपुर मंदिर का निर्माण पूरा न हो सका
भोपाल के प्रसिद्ध भोजपुर मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका क्योंकि इस मंदिर का निर्माण एक ही दिन में करना था और सूर्योदय होने से पहले इसके निर्माण कार्य समाप्त कर दिया गया था। सूर्योदय के समय तक मंदिर का गुंबद ही बनता है तो बाकी अधूरा रह गया था और जो अभी वर्तमान समय तक अधूरा ही है।
इस मंदिर में पूजा करने का तरीका अन्य शिव मंदिरो से अलग इस शिव मंदिर में पूजा अर्चना करने का तरीका भी अन्य शिव मंदिरों से एकदम भिन्न है। इस मंदिर का शिवलिंग इतना बड़ा है कि आप खड़ी होकर ही इस पर जल चढ़ा सकते हैं बैठकर जल चढ़ाना यहां संभव नहीं है। कुछ समय पूर्व यहां अंदर तक श्रद्धालु आकर दर्शन कर सकती थी लेकिन अब केवल पुजारी ही जल हरि तक आकर दर्शन कर पाता है।
पांडवों ने की थी पूजा
इस मंदिर में पांडवों ने भी पूजा-अर्चना की थी। माना जाता है कि पांडवों ने इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा की थी। सुबह होते ही पांडव वहां से गायब हो गए और इस मंदिर का निर्माण अधूरा का अधूरा ही रह गया। इस मंदिर में वर्ष में दो बार भव्य मेले का आयोजन किया जाता है पहली बार मिला मकर संक्रांति के समय लगता है और दूसरी बार शिवरात्रि के समय। इस मेले को देखने दूर से श्रद्धालु आते हैं।