Buddhist Museum Gorakhpur: गोरखपुर के बौद्ध संग्रहालय में देखें अद्भुत कलाकृतियां, यहां इतिहास और वास्तुकला से होंगे रूबरू

Buddhist Museum Gorakhpur : गोरखपुर में पर्यटन के लिहाज से बहुत सारे स्थान मौजूद है। चलिए आज हम आपके यहां के बौद्ध संग्रहालय के बारे में बताते हैं।

Update:2024-08-01 17:09 IST

Buddhist Museum Gorakhpur (Photos - Social Media) 

Buddhist Museum Gorakhpur : गोरखपुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में, नेपाल की सीमा के पास, गोरखपुर ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध नगर है। यह जिले का प्रशासनिक मुख्यालय और पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय भी है। गोरखपुर उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध शहर है। इस शहर में देखने लायक कई सारी जगह मौजूद है। इनमें से एक जगह राज की बौद्ध संग्रहालय है जो अपनी प्राचीन मुद्रा और कलाकृतियों के अद्भुत संसार के लिए पहचाना जाता है। बौद्ध संग्रहालय में नवपाषाण काल से लेकर आधुनिक काल तक की पुरानी संपदाओं को देखा जा सकता है। यहां पर प्रस्तर मूर्तियां, पांडुलिपियों, सिक्के, लघु चित्र आभूषण, थंका, ताड़पत्र का समृद्ध संग्रह है।

गोरखपुर में देखें ये चीजें (Visit This Place In Gorakhpur)

पूर्वी उत्तर प्रदेश का गोरखपुर जैन और बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थल रहा है। यहां पर मौर्य सुंग कुषाण और गुप्त साम्राज्य का काफी समय गुजारा है। यहां भगवान गौतम बुद्ध के जीवन और बौद्ध धर्म से संबंधित कई सारे स्थल मौजूद हैं। इनमें क्सोइल, कोलियों का रामग्राम, कोपिया, देवड़ा और महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर प्रमुखता से शामिल है।

Buddhist Museum Gorakhpur 


कब हुई बौद्ध संग्रहालय की स्थापना (When Buddhist Museum Established?)

बौद्ध संग्रहालय की स्थापना 23 अप्रैल 1987 को प्राकृतिक संपदा के संरक्षण में संवर्धन के उद्देश्य से की गई थी। यह संग्रहालय अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए लगातार प्रयास कर रहाहै। संग्रहालय में पांच विथिकाओं में प्रदर्शन कार्य किया गया है।

Buddhist Museum Gorakhpur 


प्रख्यात विद्वान को समर्पित है संग्रहालय (Museum Dedicated To Renowned Scholar)

प्रथम विथिका बौद्ध धर्म के प्रख्यात विद्वान महा पंडित राहुल सांकृत्यायन को समर्पित है। इसमें भगवान बुद्ध के विविध स्वरूप और मुद्राओं का प्रदर्शन किया गया है। द्वितीय प्रस्तर और मारन कलाकृतियों के माध्यम से प्रदर्शित की गई है। तीसरी में कला के विविध आयाम विभिन्न धातु, हाथी दांत के माध्यम से प्रदर्शित किए गए हैं। चौथी में लघु चित्र और थंका पेंटिंग देखने को मिलती है। पांचवी में जैन धर्म और उसके इतिहास पर प्रकाश डाला गया है।

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