Famous Fairs in India: भारत के यह मेले जो है पूरे विश्व में प्रसिद्ध, आइए जानते हैं इनके बारे में

Famous Fairs of India: भारत में कुछ ऐसे मिले हैं जो देश नहीं बल्कि विदेश में प्रसिद्ध है और विदेशों से भी लाखों पर्यटक इन्हें देखने के लिए आते हैं। आइए जानते भारत देश के कुछ प्रसिद्ध और प्रमुख मेलों के बारे में।

Update:2023-07-15 12:16 IST
Famous Fairs of India (सोशल मीडिया)

Famous Fairs of India: मेले और महोत्सव एक देश की संस्कृति और वहां के प्रसिद्ध खानपान और कपड़ों को दर्शाते हैं। एक महोत्सव या मेले में लोग पूरे देश के विभिन्न प्रदेशों के पारंपरिक खानपान और वहां के प्रसिद्ध कपड़ों का आनंद ले सकते हैं। एक ही महोत्सव या मेले में पूरा देश घूम सकते हैं। भारत में कुछ ऐसे मिले हैं जो देश नहीं बल्कि विदेश में प्रसिद्ध है और विदेशों से भी लाखों पर्यटक इन्हें देखने के लिए आते हैं।
आइए जानते भारत देश के कुछ प्रसिद्ध और प्रमुख मेलों के बारे में।

1) कुम्भ मेला: कुंभ मेला एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक मेला है, जो हर तीन साल में भारत में आयोजित किया जाता है। इस मेले का आयोजन चार पवित्र नदियों - गंगा, यमुना, कावेरी और सरस्वती के किनारे होता है। इन नदियों में स्नान करने का मान्यता से माना जाता है कि इससे श्रेष्ठ और पवित्रतम जीवन प्राप्त होता है।
कुंभ मेला का इतिहास बहुत पुराना है, और यह मान्यता है कि यह प्राचीनतम मेला है जो आज तक आयोजित किया जा रहा है। यह मेला श्रद्धालुओं को धार्मिक और आध्यात्मिक आयामों को समझने और मान्यताओं को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। यह मेला सभी वर्गों और जातियों के लोगों को सम्मिलित करता है और सामंजस्य और एकता का संकेत देता है।

कुंभ मेले में कई आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं। मेले के दौरान संत महात्मा, योगियों, अखाड़ा सम्प्रदायों के साधु-संत और अनेक आध्यात्मिक संगठनों के सदस्य इकट्ठे होते हैं। उन्होंने भगवान की पूजा, सत्संग, धार्मिक भाषण और साधना के लिए यहां आते हैं। साथ ही, विभिन्न कार्यक्रम, कविसम्मेलन, संगीत और नृत्य कार्यक्रम, धार्मिक और सांस्कृतिक प्रदर्शनी आदि भी आयोजित किए जाते हैं।

कुंभ मेला एक महान सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव है, जिसे हिन्दू श्रद्धालुओं के बीच विशेष महत्व दिया जाता है। इसका आयोजन भारत के विभिन्न स्थानों पर होता है और इसे लाखों लोगों ने देश और विदेश से भीषण उत्साह के साथ आते हैं। कुंभ मेले के दौरान लोग अपने पूर्वजों के साथ पूजा-अर्चना करते हैं, धर्मिक संस्कारों को पालते हैं और मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।
कुंभ मेला की विशेषता यह है कि इसे विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाता है, जैसे प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, नशिक और उज्जैन। हर तीन साल में एक नया स्थान चुना जाता है जहां मेले का आयोजन होता है। इस मेले को देखने देश-विदेश से करोड़ों लोग शामिल होते हैं।

2) पुष्कर मेला, राजस्थान: पुष्कर मेला भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर जिले में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक मेले का नाम है। यह मेला हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तिथि तक आयोजित होता है, जिसे हिन्दू पंचांग में कार्तिक मेला के नाम से जाना जाता है। इस मेले का मुख्य ध्येय श्रद्धा और आस्था के साथ गंगा स्नान करने हेतु हरिद्वार स्थित गंगा जी को यहां लाना होता है।

पुष्कर मेले में हिन्दू धर्म के लाखों श्रद्धालु और यात्री इकट्ठे होते हैं। मेले में पुष्कर झील के आसपास विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जैसे पूजा-अर्चना, हवन, आरती और धार्मिक संगीत कार्यक्रम। संगीत, नृत्य, मस्ती और विभिन्न प्रकार के खेल भी मेले में देखे जा सकते हैं।
पुष्कर मेला में एक अनोखी चीज़ उद्यान रेलवे है, जो पुष्कर के शहर के आसपास यात्रियों को घूमने का विकल्प प्रदान करती है। इसके अलावा, मेले में मेहंदी की दुकानें, रंग-बिरंगी वस्त्रों की दुकानें, और स्थानीय संगठनों और कारीगरों की उत्पादों की बाजार होती है।

यह मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय परंपरा और फोल्क कला को प्रदर्शित करने का मंच भी है। मेले में स्थानीय गायकों, नर्तकियों, और कलाकारों की प्रस्तुतियाँ भी होती हैं।

पुष्कर मेले की प्रमुख आकर्षणीयताओं में से एक पुष्कर का बाजार है, जहां विभिन्न वस्त्रों, गहनों, हस्तशिल्प उत्पादों, और धार्मिक सामग्री की विशाल वाणिज्यिक गलियां स्थापित होती हैं।

पुष्कर मेला ऊंट के व्यापार के लिए प्रसिद्ध है। यहां आकर आप ऊंट की सवारी का आनंद ले सकते हैं।साथ ही सबसे लंबी मूछों की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है।

3) नागौर मेला, राजस्थान: यह राजस्थान का दूसरा सबसे प्रसिद्ध पशु मेला है। इस मेले में आप ऊंट, गाय, बैल, बकरी सभी पशु को खरीद सकते हैं। सभी पशुओं को सुंदर ढंग से सजाकर उनकी प्रतियोगिताएं कराई जाती है। इसके अलावा इस मेले में लकड़ी, हस्तशिल्प और पारंपरिक परिधान भी मिलते हैं। रात के वक्त इस मेले में सुंदर आतिशबाजी आयोजित की जाती है।

4) उर्स, अजमेर शरीफ: उर्स अजमेर शरीफ एक महत्वपूर्ण इस्लामी संप्रदायिक उत्सव है जो भारत के राजस्थान राज्य में स्थित अजमेर शहर में मनाया जाता है। यह उत्सव मुहर्रम माह के छठे दिन से आठवें दिन तक चलता है। यह उत्सव मुस्लिम संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को समर्पित है, जो अजमेर शरीफ के दरगाह में दफन हैं। इस उत्सव को लाखों श्रद्धालुओं और प्रशंसकों द्वारा आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

उर्स अजमेर शरीफ के दौरान, दरगाह क्षेत्र में भक्तों के लिए भोजन व्यवस्था की जाती है और इस अवसर पर कव्वाली (सूफी संगीत) प्रदर्शन किया जाता है। भक्तों और श्रद्धालुओं का गण कव्वाली में जुटकर इस्लामी धर्म के अनुयायों के द्वारा अर्चना और भजन की जाती है।

उर्स अजमेर शरीफ उत्सव का मुख्य उद्देश्य ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की याद और महानता को समर्पित करना है। इसके अलावा, यह एक मौका प्रदान करता है जहां मुस्लिम समुदाय के लोग साझा कर सकते हैं और अपने धार्मिक आदर्शों के प्रति समर्पण कर सकते हैं। इसका महत्वपूर्ण आयोजन है और इसे अजमेर शहर के बाहरी और आंतरिक क्षेत्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस मेले में कव्वाली के आयोजन के साथ और अन्य पकवान तैयार किए जाते हैं।

5) सूरजकुण्ड शिल्प मेला, हरयाणा: सूरजकुंड शिल्प मेला दिल्ली नगर निगम के आदेश पर हर साल आयोजित किया जाता है और यह एक प्रमुख भारतीय कला और शिल्प मेला है। यह मेला मुख्य रूप से हर फरवरी के महीने में आयोजित होता है और करीब 15 दिनों तक चलता है। इस मेले में भारतीय और विदेशी कलाकार अपनी कला, शिल्प, उद्योग, और धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों की प्रदर्शनी करते हैं।

सूरजकुंड शिल्प मेला का स्थान सूरजकुंड बागवानी उद्यान है, जो हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित है। यह एक प्राकृतिक बागवानी उद्यान है जो आस-पास के इलाकों के साथ मिलकर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

6) सोनपुर पशु मेला, बिहार: सोनपुर पशु मेला बिहार का एक प्रसिद्ध पशु मेला है जो हर साल बिहार के सोनपुर शहर में आयोजित होता है। यह मेला बिहार की सबसे बड़ी पशु मेला है और इसे देशभर से लोग देखने आते हैं।
सोनपुर पशु मेला वाराणसी जिले के पास स्थित होता है और इसका आयोजन नवंबर-दिसंबर महीने में होता है। यह मेला लगभग 15 दिन तक चलता है और इसमें पशु-पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों की प्रदर्शनी की जाती है।
यह मेला देशभर से आवागमन करने वाले किसानों और उनके पशु-पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां पशुओं की बिक्री-खरीदी, प्रदर्शनी, पशु प्रदर्शन और पशु प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।

सोनपुर पशु मेला भारतीय किसानों और पशुपालकों के लिए विशेष महत्व रखता है। इसमें गाय, भैंस, भेड़-बकरी, घोड़े, उँट, मुर्गे, बत्तख आदि पशु-पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां दिखाई जाती हैं। यहां पशुपालक अपनी पशुओं को बेचने और खरीदने का व्यवसायिक अवसर प्राप्त करते हैं और अच्छे मूल्य पर अपने पशुओं को बेचने का भी मौका मिलता है।

सोनपुर पशु मेला में नहीं सिर्फ पशुपालकों का ही मानव सम्बंध दिखाया जाता है, बल्कि इसमें बहुत सारी मनोरंजन गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं। वहां पर्यटक बाजारों, मेले की जात्राओं, राईफल शूटिंग, जुलूस, स्वांग, गीत -नृत्य और खेल-कूद का आनंद लेते हैं।

सोनपुर पशु मेला बिहार की सांस्कृतिक और पशुपालन विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां पशुपालकों को उनकी मेहनत का परिणाम देखने और उनके बीच अनुभव साझा करने का मौका मिलता है।

7) गंगासागर मेला पश्चिम बंगाल: गंगासागर मेला बंगाल का एक प्रमुख तीर्थ यात्रा एवं मेला है जो हर साल वेस्ट बंगाल राज्य के सागर द्वीप में आयोजित होता है। यह मेला भारतीय नागरिकों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध है और यहां पर लाखों लोग गंगा नदी के संगम स्थल पर स्नान करने के लिए आते हैं।

गंगासागर मेला मकर संक्रांति के दिन से लगभग एक हफ्ते तक चलता है। यहां पर सभी धार्मिक विश्वासों के लोग इकट्ठे होते हैं और संगम स्थल पर स्नान करते हैं। यह मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति अपने जीवन को पवित्र बना सकता है।
गंगासागर मेला में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। यहां पर अनेक मंदिर और आश्रम स्थापित होते हैं जहां लोग पूजा और ध्यान करने के लिए जाते हैं। संगम स्थल पर होने वाले स्नान के साथ-साथ, लोग गंगासागर मेले में विभिन्न वाणी और नाच गीत कार्यक्रमों का भी आनंद लेते हैं।

गंगासागर मेला के दौरान कई व्यापारिक और वाणिज्यिक गतिविधियां भी होती हैं। यहां पर वस्त्र, आभूषण, पूजा सामग्री, विभिन्न धार्मिक उत्पादों की बिक्री की जाती है। इसके अलावा, खाद्य विभाग भी विभिन्न प्रकार के भोजन व्यंजनों को पेश करता है जो मेले के पर्यटकों के लिए उपलब्ध होते हैं।
गंगासागर मेला भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपराओं को दर्शाने का एक महान प्लेटफ़ॉर्म है और लोग यहां अपने मनोयोग और धार्मिकता का अनुभव करते हैं।

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