Gujarat Famous Patola Saree: पटोला साड़ियों के लिए मशहूर ऐतिहासिक शहर

Gujarat Famous Patola Saree History: शास्त्रों के अनुसार सरस्वती नदी के समीप इस शहर की स्थापना हुई थी।यह शहर हाथ से बनी पटोला साड़ियों के लिए मशहूर है। साड़ी बनाने की यह प्रथा करीब 700 साल पुरानी है।

Update: 2024-08-31 12:18 GMT

Gujarat Famous Patola Saree History: भारत देश के गुजरात राज्य का पाटन शहर पूरे विश्व भर में मशहूर है। यह शहर ऐतिहासिक होने के साथ- साथ व्यापारिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में भी मायने रखता है।गुजरात के वनराज छावड़ा द्वारा अपने भाई अनिल भारवाड़ की याद में लगभग 745 ईस्वी में इस शहर की स्थापना की गई थी। ऐसी मान्यता है कि लगभग 650 सालों तक यह शहर गुजरात की राजधानी था और करीब 300 सालों तक सोलंकी राजाओं ने इस पर शासन किया था। इस शहर का प्राचीन नाम अन्हिलपुर पाटन था। शास्त्रों के अनुसार...

Gujarat Famous Patola Saree History: भारत देश के गुजरात राज्य का पाटन शहर पूरे विश्व भर में मशहूर है। यह शहर ऐतिहासिक होने के साथ- साथ व्यापारिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में भी मायने रखता है।गुजरात के वनराज छावड़ा द्वारा अपने भाई अनिल भारवाड़ की याद में लगभग 745 ईस्वी में इस शहर की स्थापना की गई थी। ऐसी मान्यता है कि लगभग 650 सालों तक यह शहर गुजरात की राजधानी था और करीब 300 सालों तक सोलंकी राजाओं ने इस पर शासन किया था। इस शहर का प्राचीन नाम अन्हिलपुर पाटन था। शास्त्रों के अनुसार सरस्वती नदी के समीप इस शहर की स्थापना हुई थी।यह शहर हाथ से बनी पटोला साड़ियों के लिए मशहूर है। साड़ी बनाने की यह प्रथा करीब 700 साल पुरानी है। पटोला साड़ियों की बुनाई करना एक मुश्किल काम है, एक साड़ी को तैयार करने में करीब 6 महीने से एक साल का समय लगता है।


यहां कई दर्शनीय स्थल हैं जिनका पर्यटक लुत्फ उठा सकते हैं :

सहस्त्रलिंग तलाव :

पाटन के ऐतिहासिक स्थलों में सरस्वती नदी के किनारे स्थित यह तालाब वास्तुकला का एक शानदार नमूना है। इसका निर्माण गुजरात के राजा सिद्धराज जय सिंह द्वारा कराया गया था। ऐसा कहा जाता है कि ओडन नामक महिला ने सिद्धराज जय सिंह से शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन जय सिंह के मना करने पर इस महिला ने इस तालाब को श्राप दे दिया जिसके कारण यह हमेशा सूखा रहा। इस तालाब की क्षमता करीब 4 लाख 26 हजार 500 क्यूबिक मीटर पानी भरने की है। यह विशाल टैंक अब सूख चुका है। इस तालाब के पास भगवान शिव के असंख्य मंदिरों के खंडहर भी देखे जा सकते हैं।यहां आकर सैलानियों को पानी की विशालता और मंदिर की महत्ता दोनों समझने का मौका मिलता है।


रानी की बाव :

गुजरात के पाटन शहर का यह खूबसूरत स्थान अपनी जटिल वास्तुकला के लिए मशहूर है। गुजरात के सोलंकी राजवंश की रानी उदयमति द्वारा निर्मित इस बावड़ी में भूमिगत वास्तुकला की मिशाल देने वाली कलाकारी यहां की दीवारों और खंभों पर बने भगवान गणेश के नर्तक रूपी और अन्य देवी देवताओं के जटिल मूर्तियों को देखने से मिलती है।


जैन मंदिर :

पाटन शहर में प्राचीन सफेद संगमरमर से बने सकड़ों जैन मंदिर अपनी भव्यता और दिव्यता के लिए मशहूर हैं। पार्श्वनाथ जैन मंदिर सोलंकी राजाओं के शासनकाल के दौरान बने मंदिरों में से एक खास पंचसारा दरेसर है। सभी जैन मंदिर देखना संभव न हो लेकिन इस पार्श्वनाथ जैन मंदिर को देखना न भूलें।


खान सरोवर :

यह सरोवर एक कृत्रिम रूप से बना पानी का टैंक है। इसे कई ऐतिहासिक इमारतों के खंडहरों के पत्थरों से बनाया गया है। इस सरोवर का निर्माण सन् 1886 - 1890 के दौरान गुजरात के तत्कालीन गवर्नर खान मिर्जा अजीज कोका ने करवाया था। करीब 1273 फीट ऊंचाई वाला यह विशाल सरोवर 1128 फीट के वर्गाकार क्षेत्र में फैला है। इस सरोवर के चारों ओर लगी सीढियां पर्यटकों को काफी आकर्षित करती हैं। इन सीढ़ियों से आप सरोवर के नीचे तक जा सकते हैं। मॉनसून के दौरान बारिश का पानी इसमें जमा होता है।


सूर्य मंदिर :

पाटन से करीब 35 किमी की दूरी पर माधेरा गांव में यह सूर्य मंदिर स्थित है। गुजरात के पशुपति नदी के किनारे इस प्राचीन और भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण सन् 1026 ईसवी में सोलंकी राजवंश के राजा भीमदेव प्रथम के शासनकाल में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण करते समय यह ध्यान रखा गया कि सूरज की पहली किरण सूर्य देव की मूर्ति पर पड़े। इस खूबसूरत नजारे को देखकर पर्यटक अभिभूत हो जाते हैं। हालांकि इस मंदिर में अब कोई पूजा नहीं होती। सन् 2014 में इस मंदिर को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया है। ओडिशा के कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर की तरह भव्य पाटन के इस सूर्य मंदिर का दीदार पर्यटकों को अवश्य करना चाहिए।


पाटन म्यूजियम :

किसी भी प्राचीन और ऐतिहासिक शहर को उसके म्यूजियम द्वारा अच्छे से समझा जा सकता है। पाटन शहर के इस म्यूजियम की स्थापना 2014 में की गई। यह म्यूजियम पाटन रेलवे स्टेशन से करीब 3 किमी और रानी की बावड़ी से 1 किमी दूर है। इस म्यूजियम में दर्शकों को पाटन साम्राज्य के पत्थर, मार्बल और प्राचीन मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी।


कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग से पाटन पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा अहमदाबाद स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डा है। यहां से पाटन लगभग 120 किमी दूर है। यहां पहुंचकर बस या टैक्सी के द्वारा पाटन पहुंचा जा सकता है।

रेलवे मार्ग से यहां पहुंचने के लिए पाटन में ही रेलवे स्टेशन है। देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशन इससे जुड़े हैं।

सड़क मार्ग से भी पाटन देश के दूसरे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। टैक्सी, बस या निजी गाड़ी से यहां पहुंचा जा सकता है।

नवंबर से फरवरी के बीच में पाटन का मौसम घूमने लायक रहता है, इसी दौरान आने का प्लान बनाना चाहिए। गर्मियों के मौसम में यह जगह गर्म रहता है। मॉनसून में भी घूमने का प्लान बना सकते हैं।

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