Kakori History Story: लखनऊ के पास स्थित काकोरी का इतिहास जानते हैं आप, यहां छिपे हैं कई राज

Kakori History Story: ऐतिहासिक कहानी उत्तर प्रदेश के ककोरी से जुड़ी हुई है। जिसके बारे में बेहद ही कम लोगों को जानकारी है, लेकिन यह कहानी लोगों के जीवन से जुड़ी हुई है।

Update:2023-04-29 13:00 IST
Kakori History Story (Image- Social media)

Kakori History: उत्तर प्रदेश की धरती अपने साथ कई इतिहास भी लिए बैठी है। जिनके बारे में कई तरह की जानकारी आपको मिल जाएगी। आजादी से जुड़ी कई कहानियां भी इस राज्य से जुड़ी हुई है। उन्हीं के जैसी ऐतिहासिक कहानी उत्तर प्रदेश के ककोरी से जुड़ी हुई है। जिसके बारे में बेहद ही कम लोगों को जानकारी है, लेकिन यह कहानी लोगों के जीवन से जुड़ी हुई है। जहां गोरी सियासत का एक बेहद ही बेरहम रूप को दर्शाता है।

ककोरी कांड से जुड़ा है इतिहास

क्या है काकोरी कांड

ब्र‍िटिश हुकूमत से आजादी पाने के लिए देश के हजारों क्रातकारियों ने अपनी जान गंवाई है, इस बात से कोई भी अंजान नहीं है। आजादी क्रांतिवीरों से ही जुड़ा हुआ है काकोरी कांज जो 9 अगस्त 1925 को घटित हुआ था। यह घटना इतिहास के पन्‍नों काकोरी कांड के नाम से ही जानी जाती है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से कुछ ही दूरी पर स्थित है काकोरी जहां एक घटना को अंजाम दिया गया था।

ब्रिटिश खजाना लूटने की थी कोशिश

  • काकोरी कांड के तहत ट्रेन में लदे ब्रिटिश खजाने को लूटने की योजना बनाई गई थी। जिसे देश के क्रांतिवीरों के अंजाम दिया था।
  • इस योजना को अंजाम देने के लिए हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के दस सदस्यों कदम आगे बढ़ाए थे।
  • ब्रिटिश हुकूमत से आजादी पाने के लिए चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन को तेजी से बढ़ाने के लिए पैसों की आवश्यकता थी। जिसके लिए राम प्रसाद बिस्मिल ने एक बैठक में इस खजाने को लूटने की योजना बनाई।

तेजी से फैला काकोरी कांड

इस कांड को अंजाम देने वाले भारतीय क्रांतिवीरों ने ब्रिटिश सरकार का काफी सामान लूटा था, जिसमें कई हथियारों के साथ चांदी के सिक्कों और नोटों से भरे थैले भी शामिल थे। इस घटना को अंजाम देने के बाद वह लोग वहां से फरार हो गए। लेकिन घटना के अगले ही दिन अखबारों के जरिए यह खबर पूरी दुनिया में आग की तरह फैल गई। जिस पर तेजी दिखाते हुए ब्रिटिश सरकार ने जांच शुरू कर दी।

ब्रिटिश सरकार ने किया यह फैसला

अपनी जांच में गोरी सरकार ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का नाम सुनते ही लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थी। जिसके तहत 40 क्रांतिकारियों के खिलाफ सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाने को लूटने के साथ यात्रियों की हत्या का मामला दर्ज किया गया। जिसमें राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह उन्हें मौत की यानि फांसी की सजा सुनाई गई थी। साथ ही कई लोगों को काला पानी और आजीवन कारावास में डाल दिया गया था।

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