History Of Lucknow: आईना-ए-लखनऊ से
History Of Lucknow: लखनऊ ऐसा शहर है जिसके सीने में इतिहास धड़कता है, ज़िंदादिली इसकी पहचान है, यहां की ज़्यादातर तवारीख़ी और मिसाली {ऐतिहासिक} इमारतें
History Of Lucknow: लखनऊ ऐसा शहर है जिसके सीने में इतिहास धड़कता है। ज़िंदादिली इसकी पहचान है, यहां की ज़्यादातर तवारीख़ी और मिसाली {ऐतिहासिक} इमारतें अंग्रेजी हुकूमत की इन्तक़ामी कार्यवाही का शिकार होकर खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं ।बावजूद इसके ये अपने बूढ़े जिस्म के साथ खड़ी हैं और सीने में जंग-ए-आज़ादी और ज़ालिम फिरंगी हुकूमत के वहशी कारनामो के बोझ सिमेटे हुए। इल्म-ओ-अदब का दोशाला ओढे शहर के सीने में बहती गोमती नदी ने इक़्तिदार सियासत की आंख-मिचौली को बड़ी ख़ामोशी से देखा है। बदलती हुकूमतों, बदलते इंसानो, बदलती रवायतों और मक्कारी-अय्यारी को इस शहर ने न केवल देखा बल्कि उसका दंश भी झेला है।
फरेबी सियासत, इक़्तिदार की हवस, मज़हबी और फ़िरक़ाना झगड़ों ने इस शहर के हुस्न को कई बार मैला करने की कोशिश की । बावजूद इसके यह सभी अपनी दमदार बुनियाद पर खड़े रह कर इतिहास में झाकने का ज़रिया बनी हुई है। बा-वफ़ा दोस्तों के इस शहर के मिज़ाज में तमीज़-तहज़ीब-मुरव्वत-शाइस्तगी और मिट्टी में इल्म-ओ-अदब का ख़मीर शामिल है। नफ़ासत और शराफत यहां के शहरियों की ज़िंदगी का अहम हिस्सा रहा है, हुस्न-ओ-इश्क़ के इस शहर में लोगों के बीच आला दर्ज़े की गर्माहट हुआ करती थी।
संकल्प पूरा हुआ, आईना-ए-लखनऊ अब मंज़रे आम पे है, यह एक ऐसा सफ़र है जिसमे लखनऊ की तमीज़-तहज़ीब-रवादारी और कला-संस्कृति की तस्वीर नुमाया होती है। इस किताब का इंतज़ार उन दोस्तों और अदब पसंद लोगो को था जो इस शहर से इश्क़ करते हैं। इस किताब में उन शख़्सियतों के कहानी-किस्सों का ज़िक्र है जिन्होंने शहर-ए-लखनऊ को शिद्द्त से जिया है। यहां की ज़ुबान और रवायतों को अदब के नर्म साये में पोषित-पलव्वित किया और इसे हयात बक्शी है | विरासत में मिली समृद्ध कला और संस्कृति को अपने में संजोय इस नाज़ुक मिज़ाज शहर के सफर में उन किरदारों को हमसफ़र बनाया गया जिनके अनगिनत आशिक़ है। नश्वर संसार से भले इन शख़्सियतों की रुख्सती हो गई लेकिन वे आज भी हमारे दिलों में क़याम करते है और करते रहेंगे। किसी किताब का लिखना, छपना और उसका मंजरे आम पे आना उसके लेखक के लिए सुखद अनुभूति होती है जिसे मै शिद्द्त से महसूस कर रहा हूं अब आपके स्नेह का आकांक्षी हूं।