History of Jhansi Fort: 1857 के महान विद्रोह का गवाह है झाँसी का किला, जानिए क्या है इसका इतिहास

History of Jhansi Fort: उत्तर प्रदेश में स्थित झाँसी, रानी लक्ष्मी बाई की कहानी और उनके ऐतिहासिक किले के लिए प्रसिद्ध है। अगर आप भी यहाँ की वीरता की कहानी के साक्ष्यों को अपनी आँखों से देखना चाहते हैं तो आप इस महल को विजिट कर सकते हैं।

Update:2023-08-03 16:44 IST
History of Jhansi Fort (Image Credit-Social Media)

History of Jhansi Fort: उत्तर प्रदेश में स्थित झाँसी, रानी लक्ष्मी बाई की कहानी और उनके ऐतिहासिक किले के लिए प्रसिद्ध है। अगर आप भी यहाँ की वीरता की कहानी के साक्ष्यों को अपनी आँखों से देखना चाहते हैं तो आप इस महल को विजिट कर सकते हैं। आज हम आपको रानी लक्ष्मी बाई के महल की ऐतिहासिकता और इसकी विशेषता के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आप भी यहाँ घूमने का प्लान कर रहे हैं और आपको भी इतिहास के बारे में जानने की उत्सुकता है तो आप रानी लक्ष्मी बाई के किले को और भी करीब से देख सकते हैं।

झाँसी के किले का इतिहास (Jhansi Kile Ka Itihas Kya Hai)

रघु नाथ द्वितीय द्वारा निर्मित, रानी महल कभी रानी लक्ष्मीबाई का महल था। हालाँकि, अब इसे एक खूबसूरत संग्रहालय में बदल दिया गया है। झाँसी का ये लोकप्रिय ऐतिहासिक स्थल आपको उस समय में ले जाता है जब रानी लक्ष्मीबाई यहाँ रहतीं थीं और लोगों को संबोधित करती थीं। आज, संग्रहालय ने अतीत के अवशेषों को सावधानीपूर्वक संजोकर रखा है। इतना ही नहीं, झाँसी के इस पर्यटन स्थल पर आप रानी लक्ष्मीबाई के काल के विभिन्न अवशेष और मूर्तियाँ देख सकते हैं। जो उस समय को बयां करता है जब वीरता से लड़ते हुए लक्ष्मी बाई ने अंग्रेज़ों को भी आश्चर्य में डाल दिया था। झाँसी में इस प्रसिद्ध पर्यटक स्थल की स्थापना 17वीं शताब्दी में हुई थी। ये किला बुंदेला वंश के शासनकाल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। झाँसी किला 1857 के महान विद्रोह का भी गवाह है। ये बहादुर योद्धा रानी लक्ष्मीबाई थीं जिन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ झाँसी सेना का नेतृत्व किया था।

बंगीरा पहाड़ी के ऊपर स्थित, झाँसी का किला वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। साल 1613 में, झाँसी में ये ऐतिहासिक किला राजा बीर सिंह जू देउ - बुंदेला राजपूत प्रमुख और ओरछा साम्राज्य के शासक द्वारा बनाया गया था। झाँसी की रानी - रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर पर इस किले को काफी प्रसिद्धि मिली और लोग इसे झाँसी की रानी का किला कहकर भी इसे सम्बोधित करने लगे, झाँसी का ये लोकप्रिय किला पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा है।

वर्तमान में, किले परिसर में भगवान शिव और भगवान गणेश के मंदिर बने हुए हैं। इसके साथ ही, किले में एक संग्रहालय भी है जो प्राचीन अवशेषों और कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है जो किले और उसके आसपास के क्षेत्रों के इतिहास को दर्शाते हैं। झाँसी में इस किले और संग्रहालय के अलावा यहाँ पर्यटको के लिए एक और मुख्य आकर्षण है और वो है शाम का ध्वनि और प्रकाश शो, जो किले के समृद्ध इतिहास को दर्शाता है और रानी लक्ष्मीबाई और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया सेनाओं के बीच वीरतापूर्ण लड़ाई पर प्रकाश डालता है। किले के अंदर, पर्यटकों की रुचि के कुछ स्थान हैं जैसे रानी झाँसी गार्डन, करक बिजली टौप (टैंक), गुलाम गौस खान की "मजार" और शिव मंदिर।

वास्तुकला

एक पहाड़ी पर आराम से खड़ा, झाँसी का किला 15 एकड़ के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। वास्तुकला की प्रभावशाली उत्तर भारतीय शैली वाला ये किला 312 मीटर लंबा और 225 मीटर चौड़ा है। किले में कुल मिलाकर 10 प्रवेश द्वार हैं। सागर गेट, दतिया दरवाजा, ओरछा गेट, बड़ा गांव गेट, खंडेराव गेट, सैनयार गेट, उन्नाव गेट, लक्ष्मी गेट और चांद गेट झाँसी किले के कुछ लोकप्रिय प्रवेश द्वार हैं। झाँसी किले के पास ही रानी महल है, जिसका निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था।

झाँसी का किला घूमने का सबसे अच्छा समय (Best Time Visit in Jhasi)

झाँसी के सभी आकर्षणों की तरह, रानी महल पूरे वर्ष घूमने लायक स्थान है। हालाँकि, किले की यात्रा का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम है। अक्टूबर के महीने में शुरू होने वाला सर्दियों का मौसम झाँसी में दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए एक आइडल समय माना जाता है।

किले के खुलने व बंद होने का समय (Jhansi Fort Timing)

झाँसी में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक होने के नाते, रानी महल सप्ताह के सभी दिन पर्यटकों के लिए खुला रहता है। कोई भी व्यक्ति किसी भी दिन सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक यहां आ सकता है।

प्रवेश शुल्क (Jhansi Fort Ticket Price)

रानी महल का प्रवेश शुल्क स्थानीय पर्यटकों और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों दोनों के लिए अलग-अलग है।

भारतीयों के लिए: 25 रुपये प्रति व्यक्ति
विदेशियों के लिए: 300 रुपये प्रति व्यक्ति

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