Lucknow Famous Mandir: अयोध्या के हनुमान गढ़ी से की जाती है इस मंदिर की तुलना

Lucknow Famous Mandir: नवाबों का शहर लखनऊ अपने अंदर कई धार्मिक स्थल समेटे हुए है। चलिए आज हम आपको एक शानदार जगह के बारे में बताते हैं।

Update:2024-04-08 11:20 IST

Chachhi Kuwan Mandi Lucknow (Photos -Social Media)

Lucknow Famous Mandir: लखनऊ की तीर्थयात्रा छाछी कुआँ हनुमान मंदिर के बिना अधूरी है। लखनऊ के अधिकांश मंदिरों की तरह, छाछी कुआँ मंदिर भी एक ऐतिहासिक मंदिर है जिसकी खोज अयोध्या के एक संत ने की थी। इस मंदिर को छाछी कुआम हनुमान मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। लखनऊ में इस अत्यधिक पूजनीय हिंदू मंदिर का इतना पवित्र महत्व है कि दूर-दूर से भक्त यहां इष्टदेव के दर्शन के लिए आते हैं। यह भी माना जाता है कि प्रसिद्ध भारतीय कवि तुलसीदास एक बार पवित्र शहर मथुरा की यात्रा के दौरान कुछ दिनों के लिए मंदिर के परिसर में रुके थे। इस कहानी ने छाछी कुआँ हनुमान मंदिर की प्रसिद्धि में भी काफी हद तक योगदान दिया है, जिससे यह धार्मिक प्रवृत्ति वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक अवश्य देखने योग्य स्थल बन गया है।

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतिक (Symbol of Hindu-Muslim unity)

इस पवित्र स्थान के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह देश के उन स्थानों में से एक है जो हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के बीच एकता को खूबसूरती से बढ़ावा देता है। मंदिर के शीर्ष पर एक गुंबद है जिस पर अर्धचंद्र बना हुआ है जो अवध क्षेत्र की संस्कृति का प्रतीक है। किंवदंती के अनुसार, प्रसिद्ध हिंदू संत और कवि, तुलसीदास मथुरा जाते समय लखनऊ के इस पर्यटक स्थल पर रुके थे। वर्तमान में, छाछी कुआं मंदिर पर्यटकों की रुचि के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है जो देखने लायक है।




 


हनुमान जी का मुख पश्चिम दिशा की ओर है (Hanuman ji's Face Is Towards West)

मंदिर के महंत श्री 108 बाबा अंजनी दास महाराज ने बताया कि यह मंदिर सुबह 5:00 बजे खुलता है। आरती सुबह 7:00 बजे होती है और फिर 12:00 बजे बंद हो जाती है। इसके बाद दोपहर 3 बजे से रात 8 बजे तक हनुमान लला भक्तों को दर्शन देते हैं। यहां हनुमान जी की मूर्ति 12 भुजाओं वाली है। त्रिशूलधारी हनुमान मंदिर का ऐसा स्वरूप आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगा। श्रद्धालु कृष्णा व माधुरी सैनी ने बताया कि वे कई वर्षों से यहां आ रहे हैं। भगवान सबकी मनोकामना पूरी करते हैं। पुजारी आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि जब वह यहां आए तो उनका बेटा चल नहीं पाता था और बीमार था। यहां जाने के बाद उनका बेटा पूरी तरह स्वस्थ हो गया है।

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