Prayagraj Mankameshwar:भगवान शिव का पौराणिक मंदिर जहाँ जलाभिषेक मात्र से होती मान्यता पूर्ण,जानिए मंदिर का इतिहास

Prayagraj Mankameshwar: मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है और इसे हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक माना जाता है। इसका निर्माण तीसरे शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। इस मंदिर की स्थापना भगवान शिव ने की थी, और यह उनके पुत्र श्रीराम चंद्र जी के आदेश पर हुआ था।

Update:2023-07-04 15:11 IST
Mankameshwar Temple, Prayagraj (Photo: Social Media)

Prayagraj Mankameshwar सावन मास हिंदू पंचांग में चार मासों में से एक है जिसका आज से आगाज़ हुआ है और यह श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है। यह मास भाद्रपद मास के पूर्व में स्थान पाता है और वृष राशि में विराजमान होता है। इस मास में सावन सोमवार व्रत भी प्रमुखता से मनाया जाता है। सावन मास को हिंदू धर्म में भगवान शिव का विशेष महीना माना जाता है। इस मास में शिवलिंग पर जल अभिषेक किया जाता है और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। सावन के दिनों में शिव भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करने के लिए शिव मंदिर में जाते हैं और व्रत रखते हैं।

इस मास में कई धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव भी मनाए जाते हैं। सावन के महीने में कावड़ यात्रा, कांवर यात्रा, हरिद्वार कुंज मेला आदि आयोजित किए जाते हैं। इस मास में जल से संबंधित कई धार्मिक क्रियाएं भी की जाती हैं, जैसे जलाभिषेक, गंगा स्नान, तुलसी पूजा आदि।

मनकामेश्वर मंदिर, प्रयागराज

मनकामेश्वर मंदिर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और श्रीमानकामेश्वर महादेव को समर्पित है। यह मंदिर प्रयागराज शहर के उत्तरी भाग में गंगा और यमुना नदी के संगम स्थल के पास स्थित है। मनकामेश्वर मंदिर का निर्माण तीसरे शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था, और इसे मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने श्रीराम चंद्र जी के आदेश पर स्थापित किया था। यह मंदिर स्थल पर बहुतायत का मान्यता एवं भक्तों का आवागमन होता है।
मनकामेश्वर मंदिर विशाल मंदिर परिसर में स्थित है, जिसमें प्रमुखतः श्रीमनकामेश्वर महादेव के दरबार के अलावा कई और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। मंदिर परिसर के अंदर एक कुआँ है जिसमें श्रद्धालु लोग स्नान करते हैं। यहाँ पर वार्षिक अनेक प्रमुख धार्मिक उत्सव भी मनाए जाते हैं, जिसमें माघ मेला एक प्रमुख उत्सव है जो जनवरी-फरवरी के बीच मनाया जाता है।

मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज का इतिहास

मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है और इसे हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक माना जाता है। इसका निर्माण तीसरे शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना भगवान शिव ने की थी,और यह उनके पुत्र श्रीराम चंद्र जी के आदेश पर हुआ था।
मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज के उत्तरी भाग में स्थित है, जहां गंगा और यमुना नदी का संगम होता है। इसके आसपास के क्षेत्र में भी इस मंदिर के प्राचीनतम संदर्भ मिलते हैं। यह मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है और इसके धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को मान्यताओं ने हमेशा से गहराया है। यहाँ पर दर्शनार्थी लोगों के लिए बहुतायत का मान्यता एवं भक्तों का आवागमन होता है।

मनकामेश्वर मंदिर का निर्माण काफी विशाल मंदिर परिसर में हुआ है। इसमें मुख्यतः श्रीमानकामेश्वर महादेव के दरबार के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।सावन मास हिंदू पंचांग में चार मासों में से एक होता है और यह श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है। यह मास भाद्रपद मास के पूर्व में स्थान पाता है और वृष राशि में विराजमान होता है। इस मास में सावन सोमवार व्रत भी प्रमुखता से मनाया जाता है।
सावन मास को हिंदू धर्म में भगवान शिव का विशेष महीना माना जाता है। इस मास में शिवलिंग पर जल अभिषेक किया जाता है और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। सावन के दिनों में शिव भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करने के लिए शिव मंदिर में जाते हैं और व्रत रखते हैं।
इस मास में कई धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव भी मनाए जाते हैं। सावन के महीने में कावड़ यात्रा, कांवर यात्रा, हरिद्वार कुंज मेला आदि आयोजित किए जाते हैं। इस मास में जल से संबंधित कई धार्मिक क्रियाएं भी की जाती हैं, जैसे जलाभिषेक, गंगा स्नान, तुलसी पूजा आदि।

मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज का पुराणों में उल्लेख

मंकामेश्वर मंदिर प्रयागराज में स्थित है और पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है। इस मंदिर को ब्रह्मा पुराण, शिव पुराण, वायु पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और अन्य पुराणों में विस्तार से वर्णन किया गया है।

1) वायु पुराण: वायु पुराण में भी इस मंदिर के विषय में बताया गया है। कहा जाता है कि प्रयागराज में एक प्राचीन काल में सुंदर एक वन था, जिसका नाम मनक था। ऋषि मुनियों की तपस्या के कारण यहां पर एक महादेव का मंदिर उद्भव हुआ था, जिसे मंकामेश्वर मंदिर कहा bजाता है। इस मंदिर के प्रसिद्धता का वर्णन भी किया गया है।
मंकामेश्वर मंदिर प्रयागराज में स्थित है और पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है। इस मंदिर को ब्रह्मा पुराण, शिव पुराण, वायु पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और अन्य पुराणों में विस्तार से वर्णन किया गया है।

2) शिव पुराण: पुराणिक कथाएं मंकामेश्वर मंदिर हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, मंकामेश्वर मंदिर का निर्माण आदिकाल में भगवान शिव द्वारा हुआ था। इसके पुरानिक कथाओं में कहा जाता है कि यहां प्राचीन काल में ऋषि वसिष्ठ ने तपस्या की थी और उन्होंने भगवान शिव की कृपा प्राप्त करके इस स्थान को मंकामेश्वर कहा।
एक पुरानी कथा के अनुसार, प्रयागराज में ब्रह्मा जी ने यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ के दौरान भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती जी विद्यमान थे। यज्ञ के अंत में, जब ब्रह्मा जी वरदान देने के लिए उपस्थित हुए, तो भगवान शिव ने एक स्वर्ण कलश को सृजन करके उसे ब्रह्मा जी के हाथों में स्थापित किया। इस प्रकार, मंकामेश्वर मंदिर का स्थापना मान्यताओं के अनुसार हुई थी।

मंदिर से जुड़ी आस्था
प्रागराज का प्रसिद्द मनकामेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं के बीच प्रसिद्द है। यहाँ देश भर से श्रद्धालु दर्शन करने आते है। यह मंदिर अख़बार के किले के पास स्थित है इस मंदिर में शिव जी के पूजन से भगवन राम और माता सीता की इक्छाएं और मनोकामनाएं पूरी हुई थी। सभी भक्तो का मन्ना है की इस ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर में जलाभिषेक करने से सभी भक्तो की मनोकामनाएं पूरी होती है और उचित फल की प्राप्ति होती है। सावन मॉस में इस मंदिर में भक्तो का ताता-बाता लगा रहता है और प्रतिदिन लाखों भक्त दर्शन करने आते है।

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