Prayagraj Famous Bridge: प्रयागराज का ये पुल क्यों है खास? जाने कर्जन ब्रिज की ऐतिहासिक कहानी

Prayagraj Famous Bridge: प्रयागराज का कर्ज़न ब्रिज़ यमुना नदी पर एक महत्वपूर्ण स्थान को जोड़ता है। यह ब्रिज़ सर जॉर्ज कर्ज़न के समय में बनाया गया था।

Written By :  Yachana Jaiswal
Update:2024-03-04 11:00 IST

Curzon Bridge (Pic Credit-Social Media)

Prayagraj Famous Bridge: प्रयागराज नदियों के संगम होने से एक धार्मिक स्थान माना जाता हैं। यह शहर धार्मिक के साथ ऐतिहासिक घटनाओं का भी साक्षी हैं। जिसके प्रमाण आज भी विद्यमान है। प्रयागराज का कर्ज़न ब्रिज़ यमुना नदी पर एक महत्वपूर्ण स्थान को जोड़ता है। यह ब्रिज़ सर जॉर्ज कर्ज़न के समय में बनाया गया था। इस ब्रिज का नाम उनके नाम पर रखा गया है। यह पुराना और ऐतिहासिक संरचना है, जो प्रयागराज के शहरी दृश्य में प्राचीन की विरासत को सजीव करती है। जो इसकी महत्वपूर्ण सड़क और रेल संचार को सुनिश्चित करती है।

अपने ऐतिहासिक और कला के लिए है फेमस

प्रयागराज के कर्जन ब्रिज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, एक महत्वपूर्ण सेतु है जो यमुना नदी को पार करता है। प्रयागराज को इलाहाबाद से जोड़ता है। यह सेतु ब्रिटिश वायसराय कर्जन द्वारा बनवाई गई थी। 1902 में यमुना नदी के पार किया गया था। इसका उद्दीपन ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन के नाम पर हुआ था। यह ब्रिज अपने विशेष डिज़ाइन और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

भारतीय इंजीनियर के फादर ने करवाया था निर्माण

इसे कर्जन कानपर्न, विस्तार से एल्बर्ट ब्रिज भी कहा जाता है। यह पुल भारतीय संगणक इंजीनियरिंग के पितामह(Father of Indian Computer Engineering), सर गुस्ताव एडोल्फ ओक्टेवियस कर्जन के नाम पर रखा गया है। यह ब्रिज ब्रिटिश शासक सर जॉर्ज कर्जन के समय (1899-1905) में ही बनाया गया था। यह भारतीय रेलवे इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्रयागराज के कर्जन ब्रिज (Curzon Bridge) को भारतीय सागर से जोड़ने के लिए 1901 में निर्मित किया गया था। यह रेलवे ब्रिज प्रयागराज को नैनीताल और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है। इसका महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है।

पुल बनाने के पीछे ये था मतलब

आजादी के बाद इस पुल का नाम आधिकारिक तौर पर मोतीलाल नेहरू सेतु रखा गया। लेकिन स्टील से बने इस पुल को लोग लॉर्ड कर्जन ब्रिज के नाम से ही जानते थे। आज भी इसे इसी नाम से जाना जाता है। विचार यह था कि एक मल्टीमीडिया इंफोटेनमेंट सिस्टम हो, जो गंगा नदी के किनारे उगी संस्कृति, विरासत, मंदिर, भोजन, कपड़े, पौराणिक कथाओं का वर्णन करेगा। पुल की प्रकाश व्यवस्था को शक्ति प्रदान करने के लिए स्काईवॉक को धातु के फ्रेम और रस्सियों के सहारे शीर्ष पर सौर पैनलों के साथ कांच से बनाया जाना था।

97 साल बाद बंद करने का मिला था आदेश

रेल और वाहन यातायात दोनों की सुविधा प्रदान करने वाले लॉर्ड कर्जन ब्रिज के निर्माण को 1901 में एक राज्य रेलवे पुल के रूप में मंजूरी दी गई थी। पुल में गर्डरों और शीर्ष पर एक सड़क मार्ग के बीच एक एकल ब्रॉड गेज (बीजी) लाइन है। प्रभारी इंजीनियर रॉबर्ट रिचर्ड गेल्स थे। इसे 15 जून, 1905 को रेलवे यातायात के लिए और 20 दिसंबर, 1905 को सड़क यातायात के लिए खोल दिया गया। पुल को रेल और सड़क यातायात के लिए असुरक्षित मानते हुए, रेलवे ने 1998 में संरचना को बंद करने और ध्वस्त करने का फैसला किया।

तीसरा सबसे पुराना ब्रिज 

बंद होने से पहले, पुल से गुजरने वाली आखिरी ट्रेन प्रयागराज से लखनऊ जाने वाली गंगा-गोमती एक्सप्रेस थी। शहर के उत्तरी भाग में बना यह रेल-सह-सड़क पुल सबसे पुराने नैनी ब्रिज 1865 के बाद शहर का तीसरा सबसे पुराना पुल और जिले में टोंस नदी पर सबसे पुराना पुल है।

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