बहुत खूबसूरत सांभर झील, जानेंगे इतिहास तो आज ही बना लेंगे घूमने का मन
सांभर झील को एक वरदान की जगह अभिशाप समझने लगे। लोगों का कहना है कि उन्होंने देवी से अपना वरदान वापस लेने की प्रार्थना की तो देवी ने सारी चांदी को नमक में बदल दिया। यहां एक मंदिर भी है जो शाकंभरी देवी को समर्पित है।
जयपुर: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गरिमा का बनाने वाला राजस्थान, एक बेहद ही सभ्य और खूबसूरत राज्य है। अपनी महमान नवाज़ी के लिए जाना जाने वाला राजस्थान हमेशा सबको "पधारो म्हारे देश" के नारे के साथ अपनी खूबसूरती दिखाने के लिए न्यौता देता है। रेगिस्तान जहां सिर्फ चिलचिलाती धूप और ऊंट पर बैठे कुछ लोगों की छवी मन में बनती है। लेकिन हकीकत में राजस्थान में और भी बहुत कुछ है जो एक बार आंखों में बसने के बाद कभी ओझल नहीं होता।
सांभर झील की खूबसूरती
राजस्थान की खूबसूरती का कोई मेल नहीं। यहां रेगिस्तान हैं लेकिन, यहां झीलों का शहर उदयपुर भी है जो अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। पिंक सिटी जयपुर की बात ही निराली है। वहीं जयपुर के पास ही सांभर झील है। सांभर झील समुद्र तल से 1,200 फुट की ऊंचाई पर है। भरे रहने पर इसका क्षेत्रफल 90 वर्ग मील में फैला रहता है। सांभर झील में तीन नदियाँ आकर गिरती हैं। इस झील की कहानी है कि यहां से बड़े पैमाने पर नमक का उत्पादन किया जाता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस नमक का स्रोत, अरावली के शिष्ट और नाइस के गर्तों में भरा हुआ गाद है। इस गाद में घुलने वाला सोडियम बारिश के पानी में घुसकर नदियों के रास्ते झील में आता है और नमक के रूप में रह जाता है।
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पौराणिक मान्यताएं
सांभर झील की पौराणिक मान्यताएं महाभारत के अनुसार सांबर झील वाला क्षेत्र असुर राज वृषपर्वा के साम्राज्य का एक हिस्सा था और यहां असुरों के कुलगुरु शुक्राचार्य रहते थे। इसी जगह पर शुक्राचार्य की बेटी देवयानी का विवाह नरेश ययाति के साथ हुआ था। झील के पास ही एक मंदिर भी है जो देवयानी को समर्पित है। अवेध बोरवेल के खिलाफ और पक्षियों को नुकसान ना पहुंचे इसलिए नरेश कादयान ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करी है। एक हिंदू मान्यता के की मुताबिक, चौहान राजपूतों की रक्षक शाकम्भरी देवी ने यहां के एक वन को कीमती धातुओं के मैदान में बदल दिया था।
लोग इस प्रॉपर्टी को लेकर होने वाले झगड़ों से परेशान हो गए और सांबर झील को एक वरदान की जगह अभिशाप समझने लगे। लोगों का कहना है कि उन्होंने देवी से अपना वरदान वापस लेने की प्रार्थना की तो देवी ने सारी चांदी को नमक में बदल दिया। यहां एक मंदिर भी है जो शाकंभरी देवी को समर्पित है।
फिल्म इंडस्ट्री के लिए बेस्ट प्लेस
राजस्थान की सांभर झील पर्यटकों के साथ-साथ फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को भी खूब पसंद आती है। सुपर हिट फिल्म 'पीके' के कुछ सीन यहां फिल्माए गए थे। कहा जाता है कि फिल्म 'पीके' में आमिर ख़ान का नग्न पोस्टर वाला सीन इसी झील के पास के ही एक रेलवे ट्रैक पर फ़िल्माया गया था।
झील के पास की जमीन का एक बड़ा हिस्सा सूखा है। इस हिस्से का फायदा फिल्म निर्माताओं को होता है क्योंकि वो यहां अपनी फिल्म के लड़ाई के सीन शूट कर सकते हैं। शाकम्भरी माता मंदिर के पास खुले मैदान में 'जोधा अकबर', 'द्रोणा' और 'वीर' जैसी कई बॉलिवुड की फिल्मों के लड़ाई वाले सीन शूट किए हैं। इसके अलावा फिल्म रामलीला के भी कुछ सीन देवयानी मंदिर के पास फिल्माए गए थे।
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इस वक्त के लिए उपर्युक्त
सांभर झील जाने का सही समय सांभर झील जाने के लिए अक्टूबर से मार्च तक के महीने सबसे बढ़िया हैं। क्योंकि सांभर राजस्थान में है, और अत्यधिक गर्मी के चलते यहां मई, जून का समय यहां घूमने के लिए बिल्कुल सही नहीं है। इसके अलावा, जुलाई से सितंबर में भी जाने का कोई लाभ नहीं क्योंकि ये मानसून का मौसम होता है और बरसात में नमक की खेती देखने को नहीं मिलेगी। तो अगर घूमने का मन कर रहा है तो समय अच्छा है मौसम भी तो कोरोना से परेशान और कैद है तो एहतियात के साथ एक ट्रिप पर निकल आएं और लें यहां की वादियों का मजा।