Sonbhadra: विजयगढ़ दुर्ग का क्या है इतिहास, जिसे माना जाता है चंद्रकांता की प्रेम कहानी का प्रतीक

Sonbhadra Tourist Place: सोनभद्र जिले में रॉबर्ट्सगंज से 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित है विजयगढ़ दुर्ग को नौगढ़ के राजकुमार विक्रम वीरेंद्र सिंह और राजकुमारी चंद्रकांता के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

Written By :  Bishwajeet Kumar
Update: 2022-07-03 09:16 GMT

Vijaygarh Fort (Image Credit : Social Media)

Sonbhadra Historical Place : सोनभद्र 2011 की जनगणना के मुताबिक क्षेत्रफल के आधार पर देश का दूसरा सबसे बड़ा जिला माना जाता है। करीब 6788 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला जिला कई ऐतिहासिक इमारतों और कहानियों से गिरा हुआ है। सोनभद्र के जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज (Robertsganj) से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित विजयगढ़ दुर्ग (Vijaygarh Fort) प्राचीन काल से ही काफी जाने-माने इमारत रही हैं। आपने 90 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित चंद्रकांता टीवी सीरियल (Chandrakanta TV Serial) के बारे में जरूर सुना या इस टीवी सीरियल को जरूर देखा होगा। चंद्रकांता की अमर प्रेम कहानी (Chandrakanta Story) का बहुत बड़ा संबंध सोनभद्र जनपद से है। यहां स्थित विजयगढ़ दुर्ग को चंद्रकांता (Chandrakanta) की प्रेम कहानी का प्रतीक माना जाता है हालांकि लंबे वक्त से दुर्ग का प्रशासनिक तौर पर ठीक तरह से देखभाल ना होने के कारण आज यह केवल अवशेष बनकर रह गया है।

सोनभद्र का विजयगढ़ दुर्ग (Sonbhadra Vijaygarh Fort)

सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज से 25 किलोमीटर की दूरी पर मऊ कला गांव में स्थित विजयगढ़ दुर्ग को राजा चेत सिंह (Raja Chet Singh) ने 1040वीं सदी में बनवाया था। कैमूर रेंज की खड़ी बीहड़ पहाड़ियों से ढका यह किला करीब 400 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है। इस किले में मुस्लिम संत सैय्यद जैन-उल-आबदीन मीर साहिब का कब्र है जो वर्तमान में हजरत मीरान साहिब बाबा के मजार के नाम से विख्यात है। बता दें इस किला पर ही देवकीनंदन खत्री ने एक महान उपन्यास चंद्रकांता (Chandrakanta Novel) को लिखा था। वही चंद्रकांता कहानी जो नौगढ़ जिले के राजकुमार विक्रम वीरेंद्र सिंह (Vikram Virendra Singh) और राजकुमारी चंद्रकांता के प्रेम पर बना हुआ था।

Vijaygarh Fort (Image Credit : Social Media)

ऐसे तालाब जिनका कभी नहीं सूखता है पानी

सोनभद्र के विजयगढ़ इस दुर्ग में छोटे बड़े मिलाकर कुल 7 तालाब स्थित हैं इनमें सीता तालाब और राम सरोवर तालाब की एक अलग ही विशेषता है यह कभी भी सोचता नहीं है। हर साल भारी संख्या में कांवड़िए यहां से जल भरकर महादेव के जलाभिषेक के लिए ले जाते हैं। वर्तमान में विजयगढ़ दुर्ग की दीवारें देने लगी है लंबे वक्त से इस दुर्ग को प्रशासन की ओर से बचाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। पुरातत्व विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर लंबे वक्त तक इसी तरह इस दुर्ग का ध्यान नहीं दिया गया तो 1 दिन पूरी तरह धूल में मिल जाएगा।

चंद्रकांता का रंग महल

सोनभद्र का विजयगढ़ किला लाल पत्थरों के खंभों से निर्मित है यहां के शिलालेखों पर कई पुरानी चित्रकला नजर आती हैं। वहीं किले के भीतर स्थित मूर्तियों और गुफाओं में भी पुराने दौर के बेहतरीन कला प्रदर्शन देखने को मिलते हैं। इसके लिए अभी तक एक बहुत ही आकर्षक महल हुआ करता था जिसे रंग महल के नाम से जाना जाता था। माना जाता है कि राजकुमारी चंद्रकांता इसी रंग महल में रहती थी। गौरतलब है कि वर्तमान में नौगढ़ के राजकुमार विक्रम वीरेंद्र सिंह का नौगढ़ का किला भी धीरे-धीरे टूट रहा है और सोनभद्र का विजयगढ़ किला भी अब जर्जर हो चुका है। अगर वक्त रहते इस विरासत को बचाने का प्रयास नहीं किया गया तो 1 दिन यह सभी ऐतिहासिक धरोहर है धूल में मिल जाएंगी।

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