जन्मदिन विशेष: कुछ यूं बदली थी CM की जिंदगी, जानिए कैसे बने योगी से राजयोगी?
गोरखपुर: कहते हैं जब नाम के साथ ही नाथ जुड़ा हो तो फिर शीर्ष मुकाम मिलना तय है। योग-साधना हो और या फिर प्रदेश और देश की राजनीति। कहावत भी है कि रमता योगी... बहता पानी। मंदिर में योगी और मंदिर की दहलीज लांघते ही राजयोगी।
हिंदुत्व और विकास का मुद्दा, 42 की उम्र में लगातार पांच बार सांसद रहने का रिकॉर्ड और हिंदू कार्ड खेलने में माहिर। जी हां हम बात कर रहे हैं नाथ सम्प्रदाय के अगुवा, गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जो गेरुवा वस्त्र में छोटे कद काठी के सामान्य जीवन जीने वाले यूपी के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की आज 45 वर्ष के हो गए हैं।
इनका जन्म 5 जून 1972 को ग्राम पंचेर, जनपद पौड़ी उत्तराखंड में हुआ। इन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से बीएससी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वास्तविक नाम अजय मोहन विष्ट है। योगी पहली बार वर्ष 1993 में गोरक्षनाथ मंदिर आए। 15 फरवरी 1994 को इन्होंने दीक्षा ली। वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में महंत अवेद्यनाथ के चुनाव का संचालन किया। वर्ष 1998 में गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया। यहीं से इनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई।
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योगी मंदिर के महंत ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के मुखिया भी हैं। हिन्दू वोट बैंक की राजनीति में माहिर भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में यूपी के विधानसभा में योगी ने धुंआ-धार प्रचार प्रसार किया, फलस्वरुप बीजेपी यूपी में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई। बीजेपी ने योगी को इनाम के रूप में यूपी की कमान सौंपी।
योगी आदित्यनाथ का विवादों से भी चोली दामन का साथ रहा है। भड़काऊ भाषण देने और साम्प्रदायिकता फैलाने जैसे आरोपों को लेकर लगातार सुर्खियों में बने रहना उनका पुराना शगल है। वह जानते हैं कि सत्ता में बने रहना है, तो चर्चा में बने रहना भी जरूरी है। योगी से कैसे राजयोगी बने ये हम आपको बताएंगे।
योगी ने जब गुरु गोरक्षनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में कार्यभार ग्रहण किया, तो उनके ऊपर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अंतर्गत संचालित होने वाले स्कूल-कालेजों एवं गोरक्षपीठ के प्रबंधन की जिम्मेदारी थी। इसके साथ ही उन्हें गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय व आमजन की पीड़ा का भी समाधान करना था। वर्ष 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में इन्हें सबसे कम उम्र के सांसद होने का गौरव प्राप्त हुआ। इसके साथ ही इनकी ख्याति भी बढ़ती चली गई।
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10 फरवरी 1999 में महराजगंज जिले के थाना कोतवाली स्थित पचरुखिया कांड ने इन्हें और चर्चा में ला दिया। यहीं से योगी और विवादों का चोली दामन का साथ हो गया। इसके बाद भी योगी के ऊपर मुस्लिम विरोधी होने के साथ सांम्प्रदायिक भाषण देने का आरोप लगता रहा। विवादों में पड़े तो चर्चा भी होती रही। इसी दौर में उन्होंनें हिन्दू युवा वाहिनी और बजरंग दल जैसे संगठनों को मजबूती प्रदान कर हिन्दुत्व और विकास का नारा बुलंद किया। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव एवं वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा शीर्ष नेतत्व में चल रही उथल-पुथल व पार्टी की गिरती साख को लेकर बगावती तेवर भी दिखाए।
इसके साथ ही वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में तवज्जो नहीं मिलने पर हिन्दू युवा वाहिनी से प्रत्याशियों की घोषणा तक करने का ऐलान कर दिया। इससे भाजपा खेमे सहित राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई। अंततः शीर्ष नेतत्व ने योगी आदित्यनाथ को तवज्जो दिया और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल में अपनी साख बचाए रखने का मन बनाया। इसका भाजपा को फायदा भी मिला और योगी का कद भी दिन प्रतिदिन बढ़ता गया। योगी आतंकवाद, नक्सलवाद और देश विरोधी तत्वों से निबटने के लिए भी खुलकर भाषण दिए और अपने तरीके से इसके खात्मे का ऐलान तक करते रहे।
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योगी ने वर्ष 1998, 99, 2004, 2009 एवं 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल कर अपनी धमक दिखाई और पूर्वांचल ही नहीं पूरे देश 42 वर्ष की उम्र में लगातार पांच बार सांसद होने का रिकार्ड भी बनाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सांसद से अधिक उग्र हिंदुत्व के पैरोकार योगी आदित्यनाथ अपनी सक्रियता के बूते चुनाव जीतते आए हैं। सांसद रहते हुए जो दिनचर्या बनाये थे, वहीं अब मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी है। उनके दिनचर्या में अब भी कोई बदलाव नहीं आया।
जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के सांसद थे, तब शायद ही कोई ऐसा सांसद रहा होगा कि रात के ग्यारह बजे सभा कर लौटे और पुनः पौने तीन बजे जग जाए। योगी अपने योग के लिये ऐसा ही करते हैं। सुबह तीन बजे शुरू होने वाली दिनचर्या रात तक चलती है। इसमें सुबह के योग, पूजा-पाठ, गो-सेवा, जनता दरबार, के बाद विकास कार्यो चर्चा या देख रेख करना उनके दिनचर्या में शामिल है।
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योगी विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के उतराधिकारी हैं। आजादी से लेकर अब तक गोरक्षपीठ सक्रिय राजनीति करती रही है। पहले दिग्विजयनाथ, उसके बाद महंत अवैद्यनाथ और अब योगी आदित्यनाथ। पूर्वांचल गवाह है कि योगी जितना उग्र तेवर पहले के किसी महंत में नहीं था। योगी हिंदू बनाम मुस्लिम कार्ड खेलने में माहिर हैं। इसकी वजह उनका योगी होना लोग मान रहे हैं।
योगी अपने दूसरे चुनाव में सपा प्रत्याशी जमुना निषाद से जहां हारते-हारते जीते। जीत का अंतर महज सात हजार वोटों का था। इसके बाद तो उन्होंने ताबड़तोड़ जीत हासिल कर अपनी ताकत का एहसास कराया। योगी के सभी कार्यक्रम¨ में उनकी अपनी सेना लगी रहती है। यह उनकी ताकत है। मगर उनकी सेना में शामिल सैनिकों-सेनापतियों की करतूतें लोगों को संकट में डालती हैं। इसलिये योगी की छवि को नुकसान भी पहुंचता रहा है तो वहीं हिंदू वोट बैंक साल दर साल बढ़ता भी रहा है। योगी से जुड़े लोग एक-एक कर कटते गए।
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टीपी शुक्ला, दिवंगत स्व.ओमप्रकाश पासवान, शिव प्रताप शुक्ल, संजयन त्रिपाठी, प्रेम शंकर मिश्र, दीपक अग्रवाल, चौधरी शंभू सिंह और हाल ही में गोरखपुर ग्रामीण विधायक विजय्र बहादुर यादव ने उनसे किनारा कर लिया। नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल से भी उनकी बीच में तनातनी चली, लेकिन बाद में डा. राधामोहन अग्रवाल को लगा कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में उनका टिकट कट सकता है तो उन्हें फिर मंदिर में मत्था टेक दिया। उनके समर्थकों द्वारा लगाया जाने वाला नारा- गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना है....समर्थकों के सिर चढ़ के बोलता है।
उत्तर प्रदेश के मुखिया बनने के बाद भी योगी सामान्य रहन सहन में रहते हैं। यही नहीं अब तक मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी चार बार गोरखपुर का दौरा कर चुके हैं और हर बार की तरह जनता दर्शन गौ सेवा मंदिर में पूजा पाठ लोगो से अपने या सामान्य लोगों मिलना उसी तरह का है। जब वे गोरखपुर के सांसद थे, आज भी उनसे मिलने में किसी को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है।
जब जब वे गोरखपुर आए, सभी कार्यकर्ताओ से लेकर सामान्य व्यक्ति से मिले। लोगों का कहना भी है कि महराज जी में कोई बदलाव नहीं आया मालूम ही नहीं चलता की वो प्रदेश के मुखिया से मिल रहे हैं। Newstrack.com की तरफ से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की हार्दिक बधाई।