किसान ने पेश की इंसानियत की मिसाल, गाय की मौत के बाद रीति-रिवाज के साथ किया अंतिम संस्कार

कहते है इंसान पैसे और नाम से नही बल्कि अपने कर्मों से बड़ा होता है। एक मामूली किसान ने साबित कर दिया की लोग चाहे जितना भी पढ़-लिख लें ,लेकिन सबसे बड़ी डिग्री तो इंसानियत की ही होती है।

Update: 2017-02-02 09:47 GMT

संभल: कहते है इंसान पैसे और नाम से नही बल्कि अपने कर्मों से बड़ा होता है। एक मामूली किसान ने साबित कर दिया की लोग चाहे जितना भी पढ़-लिख लें ,लेकिन सबसे बड़ी डिग्री तो इंसानियत की ही होती है। जो आज के ज़माने में बहुत कम ही लोगों को हासिल होती है। पढ़े-लिखे लोग जिस गाय की हत्या कर मेहमानों के बीच अपने खाने की शोभा बढ़ाते है, उसी गाय की मौत के बाद इस किसान ने हिंदू रीति रिवाजों के साथ उसका अंतिम संस्कार किया। ताकि उसकी आत्मा को शांति मिल सके।

क्या है पूरा मामला ?

-संभल तहसील के गांव आलमपुर मे चौधरी जगवीर सिंह की गाय जो पिछले12 सालों से दूध दे रही थी ,उसकी बीमारी से मौत हो गई।

-गाय की मौत से जगवीर काफी मायूस हो गए।

रीति रिवाजों से किया अंतिम संस्कार

-जगवीर ने अपनी गाय की मृत्यु के बाद ठान लिया था की उसका अंतिम संस्कार पूरे नियमों के साथ करेंगे।

-जगवीर और उसके परिवार ने पूरी श्रद्धा के साथ अपने ही घर में उसका अंतिम संस्कार किया।

-गाय को मिट्टी में दफनाने से पहले उनपर फूल माला चढ़ाई और टीका लगाया।

क्या कहते हैं जगवीर

-जगवीर सिंह ने बताया कि जिस गाय का भारतीय संस्कृति के ग्रन्थो मे गुणगान है, आज उस गाय को उपेक्षित कर दिया गया है।

-हजारों कत्ल खानों मे रोज लाखों गाय काटी जा रही है।

-भारत के गांव से गायों को दूर किया जा रहा है जो भारत के भविष्य के लिए घातक है।

-उन्होंने कहा -''ये हमारे लिए सौभाग्य की बात है की भारतीय संस्कृति की पहचान गाय की सेवा मे हमारा पूर्ण परिवार लगा है।''

-उन्होंने बताया कि स्वदेशी आंदोलन की आवाज रहे स्वामी रामदेव जी के साथी स्व. राजीव दीक्षित जी के विचारो के प्रभाव से ही परिवार पिछले 7 वर्षो से केवल गौ दुग्ध का ही सेवन कर रहा है।

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