चंबल का 'रॉबिनहुड' था ददुआ, जानिए बीहड़ों से मंदिर तक पहुंचने की कहानी
डकैत ददुआ काफी समय से तेंदू पत्ते के व्यापार में सक्रिय था। उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के वन क्षेत्रों में उसका एकछत्र राज्य था। ददुआ के विरुद्ध 200 गंभीर मामलों में आपराधिक मुकदमें दर्ज थे।
लखनऊ: जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर धाता के नरसिंहपुर कबरहा गांव में दस्यु सरगना ददुआ और उसकी पत्नी की मूर्ति मंदिर में लग गई है। खूंखार दस्यु चंबल में गरीबों के लिए किसी रॉबिनहुड से कम नहीं था। यूपी और एमपी का वह ईनामी डकैत जरूर था पर असलियत में उसके चाहने वालों की कमी नहीं थी। बीहड़ में आज भी कई लोग उसे गरीबों का मसीहा बताते हैं। उनका कहना है कि ददुआ ने हमेशा सामंतो और साहूकारों से गरोंबों का हक दिलाया।
ऐसे शुरू हुई ददुआ डकैत की कहानी
-ददुआ पर पहला मुकदमा 1975 में भैंस चोरी का लिखा गया।
-1978 में अपने परिवार के एक सदस्य की हत्या के बाद बदला लेने की नीयत से वो बागी हो गया।
-ददुआ के रिकॉर्ड में पहला बड़ा अपराध कौशाम्बी के पश्चिम सरीरा में डकैती डालने के रूप में दर्ज हुआ।
कौन था ददुआ
-उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जनपद के रैपुरा थाना क्षेत्र के देवकली गांव में ददुआ पैदा हुआ।
-राम प्यारे पटेल का बड़ा बेटा शिव कुमार उर्फ ददुआ 32 साल पूर्व बागी हुआ था।
-यूपी और एमपी की सरकारों ने दस्यु ददुआ की परछाईं तक नहीं छू पाई।
तेंदु पत्ते का था व्यापारी
-डकैत ददुआ काफी समय से तेंदू पत्ते के व्यापार में सक्रिय था।
-उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के वन क्षेत्रों में उसका एकछत्र राज्य था।
-ददुआ के विरुद्ध 200 गंभीर मामलों में आपराधिक मुकदमें दर्ज थे।
ऐसे की पंचमुखी हनुमान मंदिर की स्थापना
-ददुआ 1992 में फतेहपुर के घटईपुर और नरसिंहपुर कबरहा के गन्ने के खेतों में पुलिस के बीच घिर गया।
-उस समय ददुआ के साथ छः दर्जन डकैत साथी मौजूद थे।
-घेरे बंदी लगभग पांच सौ जवानों ने कर रखी थी।
-दस्यु ददुआ अपने को पूरी तरह से घिरा पाकर पंचमुखी हनुमान मन्दिर बनाने का संकल्प लिया था।
-ददुआ बाल-बाल बच गया तो उसने 1996 में उसी स्थान पर मन्दिर की स्थापना की दी।
-और 2004 में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति बैठाकर प्राण प्रतिष्ठा कर दी।
सत्ता परिवर्तन के बाद से ही बेचैन था ददुआ
-बसपा का समर्थक रहा ददुआ बाद में समाजवादी पार्टी का समर्थक बन गया था।
-उसके भाई बाल कुमार ने प्रतापगढ़ के पट्टी विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ा था।
ददुआ की मौत के बाद पगला गया था ठोकिया
-ददुआ की मौत के 24 घंटे के अंदर उसके शिष्य डकैत अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया ने अटैक किया।
-उसने घात लगाकर उन छः एसटीएफ के जवानों को मार दिया जिन्होंने ददुआ को मारा था।