जानें कौन हैं भूपेन हजारिका, जिनके नाम पर आज PM मोदी ने किया पुल का उद्घाटन
लखनऊ: पीएम नरेंद्र मोदी ने असम के ब्रह्मपुत्र नदी पर बने एशिया के सबसे बड़े पुल को भूपेन हजारिका के नाम कर एक बार फिर उनकी याद ताजा करा दी। 8 सितंबर 1926 को जन्मे भूपेन दा देश के एकमात्र ऐसे विलक्षण कलाकार थे, जो अपने गीत खुद लिखते थे, उसका संगीत भी खुद देते और गाते भी थे। इसके अलावा वो असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी थे।
भूपेन दा को दक्षिण एशिया के श्रेष्ठतम सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया।
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दिल को छू जाता है भूपेन दा का संगीत
भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को छुआ। हजारिका की असरदार आवाज में जिस किसी ने उनके गीत 'दिल हूम-हूम करे' और 'ओ गंगा तू बहती है क्यों' सुना वह इससे इंकार नहीं कर सकता कि उसके दिल पर भूपेन दा का जादू नहीं चला। अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे। उन्होंने फिल्म 'गांधी टू हिटलर' में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन 'वैष्णव जन' गाया था। उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।
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हजारिका ऐसे आए संगीत के करीब
हजारिका का जन्म असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था। इनके पिता का नाम नीलकांत एवं माता का नाम शांतिप्रिया था। उनके पिता मूलतः असम के शिवसागर जिले के नाजिरा शहर से थे। 10 संतानों में सबसे बड़े भूपेन का संगीत के प्रति लगाव अपनी माता के कारण हुआ, जिन्होंने उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत की शिक्षा जनम घुट्टी के रूप में दी। बचपन में ही उन्होंने अपना प्रथम गीत लिखा। दस वर्ष की आयु में उसे गाया। साथ ही उन्होंने असमिया भाष की दूसरी फिल्म 'इंद्रमालती' के लिए 1939 में बारह वर्ष की आयु में काम भी किया।
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बीएचयू से भी की पढ़ाई
भूपेन हजारिका ने करीब 13 साल की आयु में तेजपुर से मैट्रिक की परीक्षा पास की। आगे की पढ़ाई के लिए वे गुवाहाटी चले गए। 1942 में गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से इंटरमीडिएट किया। 1946 में हजारिका ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया। इसके बाद पढ़ाई के लिए वे विदेश गए। न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी से उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की।
1975 में मिला था पहला राष्ट्रीय पुरस्कार
भूपेन दा को 1975 में सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनका निधन मुम्बई के कोकिलाबेन अस्पताल में 2011 में हुआ।