जन्मदिन विशेष : 13 पॉइंट्स में जानिए अशफाक उल्ला खां के बारे में, जो बेहद खास है
लखनऊ : शहीद क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां का आज हैप्पी बड्डे है। ऐसे में हम बताने वाले हैं उनके बारे में वो सब कुछ जो आपको या तो पता नहीं या फिर आप भूल चुके हैं।
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- अशफाक 22 अक्टूबर 1900 को यूनाइटेड प्रोविंस यानी आज के यूपी के शाहजहांपुर में जन्में थे।
- वो चार भाइयों में सबसे छोटे थे। बचपन से ही शेरो-शायरी करने लगे थे।
- कुछ बड़े हुए तो ‘हसरत’ तखल्लुस के साथ शायरियां करने लगे।
- उनके बड़े भाई अक्सर उनसे रामप्रसाद बिस्मिल का जिक्र करते रहते थे।
- अशफाक रामप्रसाद के किस्से सुनते तो उन्हें अच्छा लगता और मन में उनके लिए प्रेम बढ़ने लगा।
- कुछ समय बाद मैनपुरी कांस्पिरेसी में रामप्रसाद का भी नाम आया।
- इसके बाद अशफाक के मन में रामप्रसाद बिस्मिल के लिए और अधिक सम्मान बढ़ गया उन्होंने रामप्रसाद से मिलने के जतन आरंभ कर दिए और कुछ समय बाद उनकी ये मंशा पूरी हो गई।
- ये वो समय था जब गांधी जी का असहयोग आंदोलन अपने चरम पर था। शाहजहांपुर में रामप्रसाद बिस्मिल का कार्यक्रम लगा। अशफाक ने उनको मिलकर अपने बारे में बताया राम प्रसाद को ये बहुत अच्छे लगे इसके बाद से दोनों मरते दम तक साथ रहे।
- वर्ष 1922 में चौरीचौरा कांड के बाद गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस लेने का निर्णय लिया तो रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक का गांधी से मोहभंग हो गया।
- ये दोनों युवा क्रांतिकारी पार्टी में शामिल हो गए।
- अन्य क्रांतिकारी युवाओं की तरह ये भी आजादी हासिल करने के लिए बम, बंदूकों और हथियारों के रास्ते पर निकल पड़े। ताकि अंग्रेजों से आजादी छीन सकें।
- एक दिन बिस्मिल शाहजहांपुर से लखनऊ का सफर कर रहे थे। यहां उन्होंने देखा कि काकोरी स्टेशन पर स्टेशन मास्टर पैसों का थैला गार्ड को देता है। जिसे गार्ड लखनऊ में स्टेशन सुपरिटेंडेंट को देता है।
- बिस्मिल ने इस पैसे को लूटने के लिए प्लानिंग शुरू कर दी इसी सफ़र में काकोरी कांड की नींव पड़ी थी।
- 9 अगस्त को बिस्मिल और अशफाक के साथ 8 और साथी थे जिन्होंने मिलकर ट्रेन में ये पैसा लूट लिया।
- काकोरी कांड में राजेंद्र लाहिड़ी, सचींद्र नाथ बख्शी, चंद्रशेखर आजाद, केशव चक्रवर्ती के साथ बनवारी लाल, मुकुंद लाल, मन्मथ नाथ गुप्त और मुरारी लाल शामिल थे।
- इस कांड के बाद गोरी सरकार अंदर तक हिल गई अगले एक महीने में सभी क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
- इसके बाद 26 सितंबर 1925 को बिस्मिल भी गिरफ्तार हुए।
- लेकिन अशफाक भागने में सफल रहे और पहले बनारस और उसके बाद बिहार चले गए।
- बिहार में उन्होंने एक इंजीनियरिंग कंपनी में दस महीने तक नौकरी की।
- अशफाक लाला हरदयाल से मिलने विदेश जाना चाहते थे। लेकिन उनके एक अफगानी दोस्त जिसपर उनको अपने भाई से ज्यादा विश्वास था उसने उन्हें धोखा दिया और अशफाक को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया।
- अशफाक को गिरफ्तार करने के बाद फैजाबाद जेल भेज दिया गया। उन पर काकोरी कांड की साजिश रचाने और लूट में शामिल होने का आरोप लगा।
- काकोरी षड्यंत्र में अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रौशन सिंह को फांसी की सजा हुई।
- 19 दिसंबर 1927 को फांसी से पहले अशफाक ने फांसी का फंदा चूम और बोले, मेरे खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं, झूठे हैं। अल्लाह ही अब मेरा फैसला करेगा। फिर उन्होंने फंदा गले में डाल लिया।