इस एक्ट्रेस ने दिया था बॉलीवुड का पहला सबसे लंबा बोल्ड किसिंग सीन

Update:2016-03-30 11:40 IST

मुंबई: देविका रानी चौधरी को इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की फर्स्ट लेडी कहा जाता है और उनकी पहली कर्मा में हिंदी फिल्मों का सबसे लंबा किसिंग सीन था। हालांकि आज की फिल्मों की तरह उसे उत्तेजक नहीं कहा जा सकता। उन्होंनें कोबरा से काटे गए नायक को बचाने के लिए ये सीन किया था। नायक और कोई नहीं उनके पति हिमांशु राय थे। 30 मार्च 1908 को पैदा हुई देविका रानी की जोड़ी अशोक कुमार के साथ खूब जमी । दोनों पहली बार अछूत कन्या में साथ आए, जिसमें उन्होंनें दलित लड़की और अशोक कुमार ने ब्राह्मण लड़के की भूमिका अदा की थी ।

वीडियो में देखें देविका रानी का पहला किसिंग सीन...

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टेक्सटाइल इंजीनियर थीं देविका

उनका 10 साल का फिल्मी करियर शानदार रहा। वह पैदा तो इंडिया में हुईं, लेकिन उनका रहन-सहन विदेशी था, क्योंकि उनका लंबा समय ​लंदन में बीता। उन्होंनें अपना करियर टेक्सटाइल इंजीनियर के तौर पर शुरू किया और उसी दौरान हिमांशु राय के सम्पर्क में आईं। हिमांशु राय फिल्म निर्माता थे। दोनों ने 1929 में शादी कर ली। शादी के बाद वे जर्मनी चली गईं और फिल्म निर्माण की कई नई तकनीक सीखी।

हिमांशु राय ने 1933 में उन्हें बतौर नायिका कर्मा में लिया, जिसके किस सीन की चर्चा सालों होती रही। फिल्म हिंदी और अंग्रेजी दोनों में बनी थी। देविका रानी ने हिंदी और अंग्रेजी में गाने भी गाए । दोनों ने 1934 में बॉम्बे टॉकीज नाम से फिल्म कंपनी बनाई। अपनी कंपनी से हिमांशु राय महिला आधारित फिल्में बनाते थे जिसमें मुख्य भूमिका देविका रानी की होती थी ।

पेंटर से की दूसरी शादी

हिमांशु राय का 1940 में निधन होने के बाद कंपनी की हालत खराब होने लगी और अपने करियर के पीक पर ही देविका रानी ने फिल्मों को अलविदा कह दिया। उन्होंनें 1945 में एक रूसी पेंटर सोवोस्लाव रोयरिच से दूसरा विवाह किया। दोनों का साथ लंबा चला । शादी के बाद देविका रानी हिमाचल के मनाली शिफ्ट हो गईं । 9 मार्च 1994 को उनका निधन हो गया।

फैमिली बैकग्राउंड

देविका रानी को 1958 में पदमश्री से सम्मानित किया गया। उन्हें 1970 में दादा साहब फाल्के और 1990 में सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड दिया गया । उनका जन्म एक बंगाली परिवार में आन्ध्र प्रदेश के विशाखापत्नम में हुआ था। उनके पिता मन्मथ नाथ चौधरी कर्नल थे। देविका रानी का संबंध कविवर रवीन्द्र नाथ टैगोर के साथ भी था। उनका बचपन लंदन में बीता और 9साल की उम्र में भारत आने पर उन्हें बोर्डिंग स्कूल में दाखिल कराया गया।

कुछ और अनसुनी बातें

स्कूली शिक्षा पाने के बाद वो फिर लंदन चली गईं जहां उन्होंने म्युजिक की शिक्षा ली। अपने पहले पति हिमांशु राय से वो 1928 में मिलीं। हिमांशु अपनी एक फिल्म थ्रो ऑफ डाइस की शूटिंग के लिए लंदन गए थे । हिमांशु ने देविका रानी के हुनर को पहचाना और अपनी कंपनी में उन्हें कास्टयूम डिजायनर के तौर पर शामिल कर लिया। थ्रो ऑफ डाइस के रिलीज के बाद ही दोनों ने विवाह किया ।

साल 1934 में बनी नागिन की रागिनी ने उन्हें हिंदी फिल्म में पूरी तरह से स्थापित कर दिया । सरोजनी नायडु ने देविका रानी को ,, लवली एंड गिफ्टेड लिटिल लेडी, कहा था। हिमांशु राय के बॉम्बे टॉकीज में अशोक कुमार ,दिलीप कुमार राजकपूर और लीला चिटनीस काम करते थे। इन सभी कलाकरों के लिए फिल्मों के दरवाजे खोले । उनकी फिल्म जवानी की हवा 1935 में आई ।

इसमें नायक नज्म-उल-हसन थे । शूटिंग के दौरान दोनों का प्यार परवान चढ़ गया, जिसकी काफी चर्चा हुई ।नज्म-उल-हसन और देविका रानी दोनों ही शादीशुदा थे इसलिए प्यार आगे नहीं बढ़ सका। हसन, देविका रानी के साथ जीवन नैया में भी नायक बने थे लेकिन बाद में इसमें अशोक कुमार को लिया गया । देविका जानती थीं कि हिमांशु राय से उनका तलाक आसान नहीं होगा ।

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