EX-MLA हुकरप्पा ने दिखाई थी राजनीति में ईमानदारी, आज ना घर है ना गाड़ी

Update: 2016-06-16 09:04 GMT

कर्नाटक: कहते है एक बार राजनीति में आते ही समाज देश के साथ खुद की भी तस्वीर बदल जाती है। नेताओं के वारे-न्यारे हो जाते है। कोई भी एमएलए और एमपी हो उसके साथ उसके 7 जन्मों की किस्मत बदल जाती है।

हमलोगों ने अबतक बहुत से पॉलिटिशियन के बारे में पढ़ा -सुना होगा जो पैसों के चक्कर में कई घोटाले अपने नाम कर चुके है, लेकिन क्या आपने किसी ऐसे पॉलिटिशियन का नाम सुना है जो एमएलए रहने के बाद भी मजदूरी करते है। नहीं सुना तो अब सुन लें।

विधायक बाकिला हुकरप्‍पा

कर्नाटक के पूर्व भाजपा विधायक बाकिला हुकरप्‍पा हैं । ये कर्नाटक के सबसे ईमानदारी विधायक के रुप में जाने जाते थे और जब विधायक रहे तो समाज के हित में बहुत से काम भी किए, लेकिन आज इनके पास रहने के लिए खुद का घर भी नहीं है। आज के समय में इनकी आय मात्र 40 रूपए हर दिन है।

साल1983 में कर्नाटक विधानसभा चुनावों में दक्षिणी कन्‍नड़ के सूलिया ताल्लुक सीट जीत कर विधायक बने। उस वक्त उन्होंने कांग्रेस से विधायक पद की उम्मीदवार शीना को हराकर भारी मतों से विजय प्राप्त की थी।

बाकिला हुकरप्पा, पूर्व विधायक

18 महीने में दूसरों के लिए किया काम

विधायक बनने बाद भी हुकरप्‍पा की ईमानदारी ने लोगों का दिल जीत लिया। वो मात्र 18 महीने ही विधायक रहे, लेकिन डेढ़ साल में ही अपने विधानसभा क्षेत्र का रंगरूप बदल दिया। इतने कम समय में भी उन्होंने क्षेत्र में दो पीयू कॉलेज, 5 हार्इस्‍कूल और 4 होस्‍टल का निर्माण करवाया। इसके अलावा लोगों की सुविधा के लिए उन्होंने 6 बड़े पुल और 3 सड़कों का भी निर्माण करवाया।

40 रूपए की दिहाड़ी

राजनीति में ईमानदारी दिखाने का नतीजा ही है कि इस भाजपा विधायक के पास रहने के लिए खुद का घर भी नहीं है। विधायक बनने के बाद कोई पैसा न कमाने और ईमानदारी से अपना काम करने के कारण जब उन्होंने राजनीति छोड़ी, तब से वो मजदूरी करके अपना जीवन बिता रहे हैं। बाकिला रबड़ के पेड़ों से लेटैक्स निकालने का काम करते हैं, जिससे उनकी आय मात्र 40 रूपये प्रतिदिन है, लेकिन फिर भी उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं है।

इतने कम रूपये में भी बाकिला हुकरप्‍पा हंसी-खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आज भी वो बिना किसी लालच के ईमानदारी से अपना काम करते हैं। आज के सत्तालोलुप पॉलिटिशियन के लिए बाकिला हुकरप्‍पा एक जीवंत उदाहरण हैं। अगर इस तरह के दो-चार पॉलिटिशियन हो जाए तो आप सही मायने में कह सकते है देश बदल रहा है।

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