लखनऊ: बोर्ड एग्जाम्स के आते ही कॉलेजों के बाहर छात्र-छात्राओं की भीड़ दिखाई देने लगी है। जिसे देखो, वो ही अपने एडमीशन के लिए भागमभाग करता दिखाई दे रहा है। कोई अपने मनपसंद कोर्स का चुनाव कर रहा है, तो कोई उस कोर्स में एडमीशन लेने की कोशिश कर रहा है, जिसमें उसके दोस्तों ने लिया है। लेकिन इन सभी लोगों से ज्यादा परेशान हैं बच्चों के मम्मी पापा। वे अपने बच्चों की जिद के आगे झुकने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
नहीं मानते हैं बच्चे पैरेंट्स की बात
आजकल के बच्चे ज्यादा मेहनत नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में वह उन्हीं कोर्सेस में एडमीशन लेकर अपना ग्रेजुएशन पूरा करना चाहते हैं, जो आज का लीडिंग कोर्स है। उदाहरण के तौर पर कॉमर्स को ही ले लीजिए। ज्यादातर बच्चे कॉमर्स की फील्ड में जाना सिर्फ इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे बैंक में कम समय में जॉब मिल जाएगी।
दोस्ती को करियर पर हावी न होने दें
मनमानी करने वाले बच्चों को यह समझना चाहिए कि दोस्ती अपनी जगह ठीक है। यह जरूरी नहीं कि किसी कोर्स में आपकी और आपके दोस्त का इंट्रेस्ट समान हो। कोर्स चुनते समय न तो दोस्त पर दबाव बनाएं और न ही खुद पर किसी तरह कोई प्रेशर आने दें। ध्यान रहे कि इस समय आप क्या फैसला लेते हैं, इस पर आपका भविष्य निर्भर करता है। इसलिए दोस्तों के लिए अपने कोर्स और कॉलेज को न छोड़ें। अगर इस वक्त भी आपका लक्ष्य तय नहीं है तो आगे कोर्स या कॉलेज चुनते समय आपको काफी दिक्कत होनी वाली है।
जान लें अपनी योग्यता
*सबसे पहले देखें कि किस सब्जेक्ट की तरफ आपका इंट्रेस्ट है।
*उसके बाद अपनी एबिलिटीस का टेस्ट लें।
*एक मिनट के लिए जरूर सोचें कि वे कौन से कोर्स हैं, जिनमें आप एडमिशन लेने का मन बना रहे हैं।
*खुद से ही ईमानदारी से पूछें कि क्या ग्रेजुएट लेवल पर ये विषय आपको बोरिंग तो नहीं लगने लगेंगे या इनमें इंट्रेस्ट बरकरार रहेगा।
*इसी लाइन में बार-बार सोचने पर आपको फाइनली मनचाहा कोर्स साफ दिखाई देने लगेगा।
*अगर आपको केमिस्ट्री आसान लगती है, तो केमिस्ट्री ऑनर्स में ग्रेजुएशन करें, न कि बीएससी में अपना नाम एनरोल करवाएं।
*छात्र अक्सर यह सोच लेते हैं कि उनकी दिलचस्पी एक खास सब्जेक्ट में है, तो उन्हें ग्रेजुएशन भी उसी में करना चाहिए।
*अगर उस विषय को लेकर उनका ज्ञान कम है, तो बाद के साल में उन्हें बोरियत होने लगेगी।