आईबी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने दिया बयान, जल्द निकलेगा H-1B वीजा का सॉल्यूशन
दिल्ली: आईबी मिनिस्टरी ने डोनाल्ड ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के सामने एच-1B वीजा का मुद्दा उठाया है। उन्हें वीजा नियमों में होने वाले बदलावों से इंडियन आईटी कंपनियों को होने वाली दिक्कतों के बारे में बताया है। आईबी (इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग) मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि फॉरेन मिनिस्ट्री के साथ मिलकर इस पर काम किया जा रहा है। इसका जल्द ही सॉल्यूशन निकालेगा।
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दूसरे देशों में जॉब मिलना मुश्किल
रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को मीडिया से कहा कि डोनाल्ड एडमिनिस्ट्रेशन को बताया दिया गया है कि अगर एच-1B वीजा नियमों में कोई बदलाव किया जाता है तो इस इंडस्ट्री की ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ सकती है। साथ ही स्किल्ड वर्कर्स की कमी हो सकती है।
उन्होंने कहा, हमें भारतीय आईटी कंपनियों पर गर्व है। उन्हें एक बात जो बेहद जरूरी है वह यह कि इंडिया की आईटी कंपनी अमेरिका और दूसरे देशों में क्या कर रही हैं, इसे और मजबूती से पेश करने की जरूरत है।
बता दें कि इससे इंडियन आउटसोर्सिंग इंडस्ट्री 110 अरब डॉलर (7.15 लाख करोड़ रुपए) की है। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन एच-1B वीजा नियमों को सख्त करने की तैयारी में है, जिससे इंडियन समेत दूसरे देश के लोगों को अमेरिका में जॉब मिलना मुश्किल हो जाएगा।
कई देशों डेवलपमेंट स्किल को बढ़ा रही है इंडियन आईटी कंपनियां
प्रसाद ने बताया कि इंडियन आईटी कंपनियां अमेरिका समेत दुनिया के 80 देशों में बेहतरीन सेवाएं दे रही हैं। वे उन देशों के डेवलपमेंट में भी हेल्पर साबित हो रही हैं।
दुनिया के 200 शहरों में भारतीय आईटी कंपनियां हैं। 2015-16 में उनका एक्सपोर्ट 160 अरब डॉलर (7 लाख करोड़ रुपए) रहा है।
भारतीय आईटी कंपनियां अमेरिका में 20 अरब डॉलर (करीब 1.34 लाख करोड़) टैक्स चुकाती हैं। इन कंपनियों ने वहां 4 लाख लोगों को जॉब दिए हैं।
आईबी मिनस्टर ने कहा कि वे इंफोसिस के फाउंडर एन नारायण मूर्ति और नैस्कॉम के प्रेसिडेंट आर चंद्रशेखर जैसे आईटी इंडस्ट्रीज लीडर्स के टच में हैं।
बता दें कि इस मुद्दे पर कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने फॉरेन सेक्रेटरी से गुरुवार को मुलाकात की थी। वे इससे संबंधित दूसरे डिपार्टमेंट के सेक्रेटरीज से भी मिली थीं। इससे पहले वे इस मुद्दे पर नैसकॉम के रिप्रेजेंटेटिव्स से भी मुलाकात कर बातचीत कर चुकी हैं।