नई दिल्ली: दो दिनों की ईरान यात्रा में गए पीएम मोदी ने सोमवार को ईरान से कई मुद्दों पर बातचीत की है। ईरान से चाबहार पोर्ट समझौते पर सबकी निगाहें टिकी हुईं थी। पीएम मोदी ने आखिरकार ईरान से चाबहार समझौता कर लिया है।
चीन को जवाब देने के लिए चाबहार की उपयोगिता भारत के लिए ज्यादा अहम है। बता दें, कि भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट समेत 12 अहम डील सोमवार को साइन किए गए हैं।
पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट के जरिए चीन भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। उस हालात में चीनी आर्थिक गतिविधियों का जवाब देने के लिए ईरान के चाबहार पोर्ट भारत के लिए महत्वपूर्ण है। हम आपको बताते हैं चाबहार पोर्ट से जुड़ी कुछ और महत्वपूर्ण बातें ...
पाकिस्तान गए बिना ही पहुंच सकेंगे अफगानिस्तान
-चाबहार पोर्ट साउथ ईस्ट ईरान में है।
-इस पोर्ट के जरिए भारत को पकिस्तान से होकर गए बिना ही अफगानिस्तान तक पहुंचने का रास्ता मिल सकेगा।
-यह पोर्ट फारस की खाड़ी के बाहर स्थित है और भारतीय पश्चिमी तट से इस पर आसानी से पहुंच बनाई जा सकती है।
-वर्ल्ड में तेल आपूर्ति का पांचवां हिस्सा फारस की खाड़ी के जरिए होता है।
भारतीय कंपनियों और कारोबारियों को मिलेगा फायदा
यह पोर्ट ट्रेड और स्ट्रैटेजिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है क्योंकि सी रूट से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो सकते हैं और इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया के मार्केट भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे। बता दें, की पाकिस्तान ने आज तक भारत के प्रोडक्ट्स को सीधे अफगानिस्तान और उससे आगे जाने की इजाजत नहीं दी है।
ट्रांसपोर्ट कॉस्ट और टाइम में आएगी कमी
-अफगानिस्तान के साथ भारत के आर्थिक और सुरक्षा हित जुड़े हुए हैं।
-कच्चे तेल के मामले में चीन के बाद भारत दूसरा बड़ा ग्राहक है।
-इस पोर्ट के जरिए ट्रांसपोर्ट कॉस्ट और टाइम में एक तिहाई की कमी आएगी।
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-ईरान चाबहार पोर्ट को ट्रांजिट हब के तौर पर विकसित करना चाहता है।
-ईरान की नजर हिंद महासागर और मिडिल एशिया के व्यापार पर भी जुड़ी हुई है।
-भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जिसने पश्चिमी देशों के साथ ईरान के बिगड़ते हुए रिश्तों के बाद भी ईरान के साथ अपने व्यापारिक संबंध को बनाए रखा।
भारत के लिए रणनीतिक तौर पर भी महत्वपूर्ण
-ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार पोर्ट भारत के लिए रणनीतिक तौर पर भी महत्वपूर्ण है।
-भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के पोर्ट के लिए यह पहला विदेशी उपक्रम है।
-भारत और ईरान में साल 2003 में ओमान की खाड़ी में होमरूज जलडमरूमध्य (चैनल) के बाहर पाकिस्तान की सीमा के पास इस पोर्ट के डेवलपमेंट की सहमति बनी थी ।
-दुनियाभर में वैश्विक तेल खपत का 20 परसेंट हिस्सा इसी चैनल से होकर गुजरता है।
अफगानिस्तान के चार बड़े शहरों तक पहुंचना होगा आसान
-साल 2009 में भारत द्वारा बनाए गए जरांज-डेलाराम रोड के जरिए अफगानिस्तान के गारलैंड हाईवे तक आवागमन आसान हो जाएगा।
-जरांज की चाबहार से दूरी 883 किमी है।
-इस हाईवे से अफगानिस्तान के 04 बड़े शहरों- हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ तक सड़क के जरिए पहुंचना आसान होता है।
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भारत करेगा 200 मिलियन डॉलर का इंवेस्ट
-पश्चिमी देशों द्वारा इसी साल जनवरी में ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद चाबहार के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत में नरमी आ गई थी।
-जनवरी 2016 में ईरान से पश्चिमी देशों की पाबंदियां हटने के बाद भारत ने इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया था।
-मोदी सरकार ने फरवरी 2016 में चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 15 करोड़ डॉलर के क्रेडिट लाइन को हरी झंडी दी थी।
-चाबहार पोर्ट के फर्स्ट फेज में भारत 200 मिलियन डॉलर का इंवेस्ट करेगा।
-इस इंवेस्ट में 150 मिलियन डॉलर एक्जिम बैंक के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा।