[nextpage title="next" ]
लखनऊ : योग शब्द के दो अर्थ हैं पहला है जोड़ और दूसरा है समाधि। जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, समाधि तक पहुंचना असंभव होगा। योग का अर्थ परमात्मा से मिलन है। भारत में योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम किया जाता है।
ईश्वर की आराधना से लेकर गीता के उपदेश तक शरीर को स्वस्थ और स्फूर्तिवान रखने से लेकर तमाम बीमारियों के समाधान तक आत्मा से लेकर शरीर और मस्तिष्क की शुद्धि तक हर जगह योग है।
योग के जन्म का आधार
सिंधु घाटी सभ्यता में कई शारीरिक मुद्राएं और आसन शामिल हैं। लेकिन अब उसमें कई बदलाव किए गए हैं और आजकल हम जो योगाभ्यास करते हैं, वह उस पुराने समय से काफी अलग है। फर्क बस इतना है कि अब हम सब मन से पहले अपने शरीर पर नियंत्रण करना चाहते हैं।
आगे की स्लाइड्स में पढ़ें अन्य जानकारियां...
[/nextpage]
[nextpage title="next" ]
ऐसे हुआ योग का विकास
पूर्व वैदिक काल (ईसा पूर्व 3000 से पहले) लगभग 200 ई0 पू. में महर्षि पतंजलि ने योग को लिखित रूप में संग्रहित किया और योग-सूत्र की रचना की। इसी कारण पतंजलि को योग का पिता कहा जाता है।
[/nextpage]
[nextpage title="next" ]
पश्चिमी विद्वान ये मानते आए थे कि योग का जन्म करीब 500 ईसा पूर्व हुआ था, जब बौद्ध धर्म अस्तित्व में आया। लेकिन हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई में भी योग मुद्राओं के चित्रण के सबूत मिले है। इससे पता चलता है कि योग का चलन 5000 वर्ष पहले से ही था।
[/nextpage]
[nextpage title="next" ]
वैदिक काल (3000 ईसा पूर्व से 800 ईसा पूर्व) में एकाग्रता का विकास करने के लिए और सांसारिक जीवन की बाधाओं को पार करने के लिए योगाभ्यास किया जाता था।
[/nextpage]
[nextpage title="next" ]
उपनिषद काल (800 ईसा पूर्व से 250) उपनिषद, महाभारत और भगवद्गीता में योग के बारे में काफी चर्चा हुई है। भगवद्गीता में ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग और राज योग का उल्लेख है।
[/nextpage]
[nextpage title="next" ]
शास्त्रीय अवधि (184 ईसा पूर्व से 148 ईसा पूर्व) के दौरान, पतंजलि ने संक्षिप्त रूप में योग के 195 सूत्र (सूत्र) संकलित किए। पतंजलि सूत्र का नजरिया है राजयोग। इसके 8 अंग हैं - यम (सामाजिक आचरण), नियमा (व्यक्तिगत आचरण), आसन (शारीरिक आसन), प्राणायाम (श्वास विनियमन), प्रत्याहरा (इंद्रियों की वापसी), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन) और समाधि ( अतिक्रमण)। पतंजलि योग में शारीरिक मुद्राओं और सांस लेने की तकनीकों को जोड़ने के बावज़ूद इसमें ध्यान और समाधि को ज़्यादा महत्व दिया है।
[/nextpage]
[nextpage title="next" ]
पोस्ट शास्त्रीय अवधि (800 ई से 1700 ई) इस युग के दौरान, पतंजलि योग के अनुयायियों ने आसन, शरीर और मन की सफाई, क्रियाएँ और प्राणायाम करने के लिए अधिक से अधिक महत्व देकर योग को एक नया मोड़ दिया। योग का यह रूप हठ योग कहलाता है।
[/nextpage]
[nextpage title="next" ]
आधुनिक काल (1863 के बाद विज्ञापन से) स्वामी विवेकानंद ने शिकागो के धर्म संसद में अपने ऐतिहासिक भाषण में योग का उल्लेख कर सारे विश्व को योग से परिचित कराया। महर्षि महेश योगी, परमहंस योगानंद, रमण महर्षि जैसे कई योगियों ने पश्चिमी दुनिया को प्रभावित किया और धीरे-धीरे योग एक धर्मनिरपेक्ष, आध्यात्मिक अभ्यास के बजाय एक रस्म-आधारित धार्मिक सिद्धांत के रूप में दुनिया भर में स्वीकार किया गया।
[/nextpage]