मेंटल डिप्रेशन को दूर करने में मदद कर रहा है देश का 'लिव लव लाफ फाउंडेशन'

Update:2017-05-12 10:26 IST

नई दिल्ली: छात्रों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाने और दिमागी सेहत को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने के मकसद से एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण द्वारा साल 2015 में स्थापित द लिव लव लाफ फाउंडेशन ने अपने विशेष कार्यक्रम 'यू आर नॉट अलोन' के माध्यम से 276 स्कूलों में 34,023 छात्रों व 6,480 शिक्षकों तक पहुंच बनाकर एक वर्ष पूरे कर लिए हैं। कार्यक्रम को कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात व दिल्ली के स्कूलों में चलाया गया। 'यू आर नॉट अलोन' कार्यक्रम का फोकस किशोरों व शिक्षकों को तनाव, चिंता व अवसाद के बारे में शिक्षित करना और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करना है। कार्यक्रम को तैयार करने वाले दि लिव लव लाफ फाउंडेशन का प्रमुख उद्देश्य अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाना और समाज में दिमागी सेहत को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को दूर करना है।

आगे...

'यू आर नॉट अलोन' प्रोग्राम की शुरुआत सोफियाज हाई स्कूल, बेंगलुरू में मार्च 2016 को की गई थी। तब से, यह कार्यक्रम 276 स्कूलों में चलाया जा चुका है, जिनमें 100 गैर-अंग्रेजी भाषी स्कूल भी हैं। इसे अंग्रेजी, हिंदी, तमिल व गुजराती भाषा में चलाया गया है।

इस कार्यक्रम ने बेंगलुरू में 19 स्कूलों के 3,808 छात्रों व 1310 शिक्षकों, मुंबई में 10 स्कूलों के 2766 छात्रों व 119 शिक्षकों, दिल्ली में 121 स्कूलों के 12,908 छात्रों व 3974 शिक्षकों, कोयम्बटूर में 15 स्कूलों के 4058 छात्रों व 714 शिक्षकों, बड़ौदा में 65 स्कूलों के 7506 छात्रों व 281 शिक्षकों, अहमदाबाद में 45 स्कूलों के 2577 छात्रों व 72 शिक्षकों और देहरादून में एक स्कूल के 400 छात्र व 10 शिक्षकों तक पहुंच बनाई है।

आगे...

'यू आर नॉट अलोन' कार्यक्रम शुरू करने के बारे में दि लिव लव लाफ फाउंडेशन की संस्थापक दीपिका पादुकोण का कहना है, 'हमने इस प्रोग्राम की शुरुआत स्कूलों से की, क्योंकि बच्चों की भावनात्मक व मानसिक सेहत की सुरक्षा के लिए यह एक उचित स्थान है। देश के युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बढ़ते मामलों के मद्देनजर 'यू आर नॉट अलोन' एवं ऐसे ही कुछ अन्य उपाय छात्रों व शिक्षकों के बीच तनाव, चिंता व अवसाद को अच्छे से समझना आज की जरूरत है।'

आगे...

दि लिव लव लाफ फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की चेयरपर्सन ऐना चैंडी ने कहा, 'कार्यक्रम के सत्रों के बाद कई छात्र बताते हैं कि कैसे इस कार्यक्रम से उनके अंदर हिम्मत आई है और किस प्रकार अब वे समस्या से निपटने को तैयार हैं। शिक्षकों को भी बेहतर तरीके से पता चल रहा है कि कैसे वे पीड़ित छात्रों की पहचान और मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, स्कूल प्रबंधन भी इस बारे में सकारात्मक रुख दिखा रहे हैं।' उन्होंने आगे कहा, "अक्सर सत्र में भाग लेने वाले पांच प्रतिशत लोग सलाहकारों से तत्काल मदद की मांग करते हैं।'

सौजन्य: आईएएनएस

Tags:    

Similar News