लखनऊ: लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है जो कभी खफा नहीं होती। सच कहा है मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने। औलाद जैसी भी हो मां के लिए बस उसके दिल का टुकड़ा होती है। वो उसका कभी बुरा सोच ही नहीं सकती। मां के दूध से नवजात को जीवन मिलता है। बच्चे की आत्मा से मां का जुड़ाव होता है।
उस मां को तो हर दिन सम्मान देना चाहिए, फिर एक दिन खास होता है मां के लिए जिसे हम मदर्स डे कहते है। मदर्स डे की शुरुआत ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया में एना जॉर्विस ने की थी। इसका मकसद मां को खास सम्मान देने के लिए शुरू किया गया था। उसके बाद से यह दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाने लगा। इस दिन कई देशों में स्पेशल हॉलीडे भी होता है।
फ्रांस-इजराइल में मदर्स डे
918 में यह फ्रांस के लियोन शहर में उन सैनिकों की माताओं के सम्मान में मनाया गया, जिनके पुत्र प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हो गए थे। 1929 में फ्रांस सरकार ने इसे मान्यता प्रदान की। इटली में जहां पहली बार 12 मई 1957 को मदर्स डे मनाया गया वहीं इजराइल में 21 मार्च को इस दिवस को मनाते हैं।
ग्रीस में शुरू हुआ मां की पूजा का रिवाज
कुछ लोगों का दावा है कि मां को सम्मान या उसकी पूजा का रिवाज पुराने ग्रीस से शुरू हुआ है। कहा जाता है कि स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, उनके सम्मान में ये दिन मनाया जाता था। वहां ये दिन त्योहार की तरह मनाने की प्रथा थी। एशिया माइनर के आस-पास और साथ ही साथ रोम में भी वसंत के आस-पास इदेस ऑफ मार्च 15 मार्च से 18 मार्च तक मनाया जाता था। जो वहां हर मां के लिए खास होता है।
यूरोप में मना मदरिंग संडे
यूरोप और ब्रिटेन में मां के प्रति प्यार को दिखाने की कई परंपराएं प्रचलित हैं। उसी के अंतर्गत एक खास रविवार को माताओं को सम्मानित किया जाता था। जिसे मदरिंग संडे कहा जाता था। मदरिंग संडे फेस्टिवल, लितुर्गिकल कैलेंडर का हिस्सा है। ये कैथोलिक कैलेंडर में लेतारे संडे, लेंट में चौथे रविवार को वर्जिन मेरी और मदर चर्च को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता हैं। परंपरानुसार इस दिन प्रतीकात्मक उपहार देने और मां का हर काम परिवार के सदस्यो के द्वारा किया जाता है।ऐसा कह सकते है इस दिन मां को कामों से छुट्टी दी जाती है।
जुलिया वॉर्ड होवे ने मनाया मदर डे
अमेरिका में पहली बार मदर्स डे प्रोक्लॉमेशन जुलिया वॉर्ड होवे ने मनाया था। होवे 1870 में लिखी अपनी किताब मदर्स डे प्रोक्लामेशन में अमेरिकन सिविल वॉर (युद्घ) में हुई मारकाट संबंधी शांतिवादी प्रतिक्रिया लिखी गई थी। ये प्रोक्लामेशन होवे का पूरे नारी समाज के प्रति विश्वास था जिसके अनुसार महिलाओं या माताओं को राजनीतिक स्तर पर अपने समाज को आकार देने का संपूर्ण दायित्व मिलना चाहिए।
विभिन्नता के बावजूद इस वजह से मई का 2nd संडे बना मदर डे
चुंकि पहली बार 1912 में एना जॉर्विस ने सेकंड संडे इन मई फॉर मदर्स डे को ट्रेडमार्क बनाया और मदर्स डे इंटरनेशनल एसोसिएशन का गठन किया। इसलिए मई के दूसरे संडे को ही इस विशेष दिन के रुप में मनाते है।
बाद में ये तारीखें कुछ इस तरह बदली कि कई देशों में वहां के धर्मों की देवी के जन्मदिन दिवस को इस रूप में मनाया जाने लगा। जैसे कैथोलिक देशों में वर्जिन मैरी डे और इस्लामिक देशों में पैगंबर मुहम्मद की बेटी फातिमा के जन्मदिन की तारीखों से इस दिन को बदल लिया गया।
यहां देते है गुलनार का फूल
वैसे कुछ देश 8 मार्च वुमंस डे को ही मदर्स डे की तरह मनाते हैं। यहां तक कि कुछ देशों में अगर मदर्स डे पर अपनी मां को सम्मान नहीं किया जाए तो उसे अपराध की तरह देखा जाता है। जापान में मदर डे शोवा अवधि के दौरान महारानी कोजुन (सम्राट अकिहितो की मां) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता था। आज कल इसे अपनी मां के लिए ही लोग मनाने लगे हैं। बच्चे गुलनार और गुलाब के फूल उपहार के रूप में मां को जरूर देते हैं। थाईलैंड में मदर्स डे को वहां की रानी के जन्मदिन के रुप में मनाया जाता है।
चीनी मदर्स डे
चीन में मदर डे के बहुत फेमस है और इस दिन उपहार के रूप में मां को गुलनार के फूल दिए जाते है। जो यहां इस दिन सबसे अधिक बिकते हैं। 1997 में चीन में ये दिन गरीब मांओं की मदद के लिए निश्चित किया गया था। खासतौर पर उन गरीब मांओं को जो ग्रामीण क्षेत्रों, जैसे पश्चिम चीन में रहती हैं।
इंडिया में मदर्स डे
इंडिया में हर दिन मां का होता है यहां मां को देवी माना गया है उसे ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। यहां कस्तुरबा गांधी के सम्मान में मदर डे मनाने की परंपरा है।