शहतूत : सर्दी-जुकाम, किडनी रोग से तो बचाता है, साथ ही वो वाली ‘कमजोरी’ भी करता है दूर
लखनऊ: शहतूत खाना किसे अच्छा नहीं लगता है, लेकिन शायद आप इसकी खूबियों में बारे में नहीं जानते होंगे। आयुर्वेद में शहतूत के कई फायदों के बारे में बताया गया है। गर्मी में शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत होती है और इस के सेवन से पानी की कमी को दूर किया जा सकता है। इसमें पोटैशियम, विटामिन ए और फॉस्फोरस काफी पाया जाता है।
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औषधीय गुणों से भरपूर शहतूत का सेवन करने वाले व्यक्तियों की आंखों की रोशनी हमेशा तेज रहती है। शहतूत की तासीर ठंडी होती है। इसलिए गर्मी के दिनों में शहतूत के रस में चीनी मिलाकर पीते रहना चाहिए। रस से भरे होने के कारण यह सनस्ट्रोक से बचाते हैं। इसको खाते रहने से पाचन शक्ति अच्छी रहती है। ये सर्दी-जुकाम में भी बेहद फायदेमंद है। शहतूत दिल के रोगियों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। शहतूत का रस पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रहता है। लीवर से जुड़ी बीमारियों में राहत देने के लिए शहतूत काफी अच्छा है। किडनी के रोगी भी यदि इसका सेवन करें तो वे भी ठीक हो सकते हैं। यह एक बेहतरीन एनर्जी फूड माना जाता है। इसका सेवन करते रहने से शरीर की थकान दूर होती है।
शहतूत में ऐसे कई लाभदायक गुण हैं जो कई बीमारियों में वरदान साबित हो सकते हैं। उसमें पाए जाने वाले रेजवर्टेरोल के बारे में माना जाता है कि यह शरीर में फैले प्रदूषण को साफ करके संक्रमित चीजों को बाहर निकालता है। शहतूत में एंटी एज यानी उम्र को रोकने वाला गुण होता है। साथ ही यह त्वचा को जवानी की तरह जवां बना देता है और झुर्रियों को चेहरे से गायब कर देता है। अगर आप भी झुर्रियों से परेशान हैं तो इसके लिए आप शहतूत का जूस पीजिए। आपके चेहरे पर निखार आएगा और साथ ही त्वचा सुंदर हो जाएगी।
शहतूत बालों में भी भूरापन लाता है, क्योंकि उसमें 79 प्रतिशत ज्यादा एंटीआक्सीडेंट पाया जाता है, जो बालों के लिए अच्छा होता है। शहतूत में रेजवर्टेरोल पाया जाता है जो स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है। इतना ही नहीं, शहतूत में ऐसे कई गुण पाए जाते हैं, जैसे, आंखों की गड़बड़ी ठीक करना, लंग कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर से बचा जा सकता है। मुहासों से परेशान लोगों के लिए तो यह रामबाण है। शहतूत की छाल और नीम की छाल को पीसकर मुहासे पर लगाने से जल्दी आराम मिलता है। गर्मियों में शहतूत के सेवन से लू लगने का खतरा कम हो जाता है।
शहतूत में विटामिन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, ग्लूकोज, मिनरल, फाइबर, फॉलिक एसिड आदि जैसे पौष्टिक तत्त्व होते हैं। ऐसे में यह कई रोगों से निजात दिलाने में कारगर है। उदर रोगों, मस्तिष्क रोगों, डायरिया, उल्टी, दस्त और कैंसर जैसी बीमारियों के दौरान अन्य फलों के अलावा शहतूत का सेवन करना भी बहुत कारगर है। इसमें शुगर की मात्रा लगभग 30 प्रतिशत होती है, इस कारण मधुमेह के मरीज भी इसका सेवन कर सकते हैं। शहतूत की पत्तियां और छाल भी सेहत के लिहाज से काफी उपयोगी हैं। गले की खराश और सूजन के दौरान शहतूत की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से राहत मिलती है। दाद और एग्जिमा रोग में इसके पत्तों का लेप लगाने से राहत मिलती है। साथ ही पैर की बिवाइयों में शहतूत के बीजों की लुगदी लगाने से लाभ मिलता है।
शहतूत रोजाना खाने से दूध पिलाने वाली माताओं का दूध बढ़ता है। प्रोटीन और ग्लूकोज शहतूत में अच्छी मात्रा में मिलते हैं। शहतूत के पत्तों पर पानी डालकर, पीसकर, गर्म करके फोड़े पर बांधने से पका हुआ फोड़ा फट जाता है तथा घाव भी भर जाता है। छाले और गल ग्रन्थिशोध में शहतूत का शर्बत 1 चम्मच 1 कप पानी में मिला कर गरारे करने से लाभ होता है। पित्त और रक्त-विकार को दूर करने के लिए गर्मी के समय दोपहर मे शहतूत खाने चाहिए। पेशाब का रंग पीला हो तो शहतूत के रस में चीनी मिलाकर पीने से रंग साफ हो जाता है। शहतूत के रस में कलमीशोरा को पीसकर नाभि के नीचे लेप करने से पेशाब मे धातु आना बंद हो जाती है।