फूलन देवी का मर्डर करने वाले की यहां होती है पूजा, हत्या के बाद लगाई गई 'हत्यारे' की फोटो

Update:2018-07-25 10:49 IST

लखनऊ: 25 जुलाई को डकैत फूलन देवी की डेथ एनिवर्सरी है। इस मौके पर newstrack.com आपको फूलन देवी और उस गांव के बारे में बताने जा रहा है। जहां पर फूलन ने 20 ठाकुरों को मौत के घाट उतारा था। उस गांव में पिछले 16 सालों से फूलन के हत्यारे शेर सिंह राणा की पूजा की जाती है। सुबह-शाम उनकी तस्वीर पर फूल-मालाएं चढ़ाई जाती हैं।

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गांव में हर तरफ मच गई थी भगदड़

14 फरवरी 1981 को डकैत फूलन देवी का कहर कानपुर देहात से करीब 50 किलोमीटर दूर बेहमई गांव पर टूटा था। नदी किनारे बसे इस आखिरी गांव में उस दिन दोपहर करीब 2.30 बजे फूलन अपने साथियों के साथ गांव में घुसी थी।

इस कांड में मारे ठाकुर परिवार के लोग उस मंजर को याद करते हुए बताते हैं, गांव के आखिरी छोर से घुसी फूलन के साथी हर घर में घुस कर लोगों को पकड़ रहे थे। कुछ लोग ऐसे थे जो अपनी-बच्चों की जान बचाने के लिए घर से भाग गए।

हमारा पूरा परिवार घर में ही मौजूद था, जैसे ही फूलन के साथी घर की तरफ बढ़े, हमें आभास हो गया कि कुछ गलत होगा। ठाकुर लोग घर छोड़कर भागने।

लेकिन डकैतों ने पकड़ लिया। इसी तरह कई घरों से पकड़े गए लोगों को वो पीपल के पेड़ के पास ले गए। जहां उन्हें एक लाइन में खड़ा कर मार दिया गया।

बना दिया गया है स्मारक

करीब 6-7 महीने बाद उन मृतकों की याद में एक स्मारक बनाया गया। जिस पर उन 20 लोगों का नाम लिखा गया और फिर सुबह-शाम यहां पूजा होनी शुरू हो गई। गांव के लोग बताते है, अब तो किसी के घर में रामायण या भगवद गीता का पाठ भी होता है, तो उसे स्मारक पर ही करवाते हैं और पूरा गांव वहां जुट जाता है।

फूलन की हत्या के बाद लगाई गई 'हत्यारे' की फोटो

25 जुलाई 2001 को दिल्ली में सरकारी आवास पर ही मिर्जापुर से सांसद फूलन देवी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में राजस्थान के रहने वाले राजपूत शेर सिंह राणा का नाम सामने आया था।

इसके बाद शेर सिंह की फोटो भी स्मारक पर लगा दी गई। अपनों के मरने के करीब 20 साल बाद गांव के लोगों ने खुशियां मनाई थीं।

शेर सिंह राणा आ चुका है गांव बेहमई

गांव के लोग बताते है कि करीब दो-ढाई साल पहले शेर सिंह अपनी मां के साथ बेहमई गांव आ चुके हैं। तब उन्होंने गांव में रात गुजारी थी और सुबह फिर चला गया था।

इसकी खबर मीडिया को भी लगी थी, लेकिन किसी को गांव में नहीं घुसने दिया गया था। जिसकी वजह से कवरेज नहीं हो सकी थी।

क्या है बेहमई कांड ?

फूलन देवी ने अपनी ऑटोबाईग्राफी में उनके साथ हुई ज्यादतियों की दास्तां बयां की थी। उसमें लिखा है, डकैत गिरोह का मुखिया विक्रम मल्लाह फूलन देवी से प्यार करता था।

फूलन ने अपनी किताब में विक्रम मल्लाह के साथ बिताई अंतिम रात और उनके साथ हुए गैंगरेप की डिटेल्स बताई थीं।

किताब में लिखा है- "पहली बार मैं विक्रम के साथ पति-पत्नी की तरह सोई थी। गोली चलने की आवाज से नींद खुली।''

श्रीराम (मल्लाह और श्रीराम में फून को लेकर विवाद हुआ था) ने विक्रम मल्लाह को गोलियों से भून डाला और उनको साथ ले गया। उन्होंने किताब में कुसुम नाम की महिला का जिक्र किया है, जिसने श्रीराम की मदद की थी।

''उसने मेरे कपड़े फाड़ दिए और आदमियों के सामने नंगा छोड़ दिया। श्रीराम-उसके साथी फूलन को नग्न अवस्था में ही रस्सियों से बांधकर नदी के रास्ते बेहमई गांव ले गए।''

"सबसे पहले श्रीराम ने मेरा रेप किया। फिर बारी-बारी से गांव के लोगों ने मेरे साथ रेप किया। वे मुझे बालों से पकड़कर खींच रहे थे।"

-इसके बाद 14 फरवरी 1981 को बेहमई में फूलन ने अपना बदला लेने के लिए 20 लोगों की हत्या कर दी थी।

फूलन के रेप वाले आरोपों को नहीं मानते गांव वाले

वहीं गांव वाले फूलन के आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि वो सिर्फ लूटपाट के इरादे से गांव में आई थी।

जब लोगों ने विरोध किया तो गुस्से में 20 लोगों की हत्या कर दी गई। वो डकैत और हत्यारी है। जिसकी वजह से 20 परिवार तबाह हो गए।

 

 

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