गोरखपुर: छठ पर्व के दूसरे दिन सोमवार को खरना श्रद्धा के साथ मनाया गया। महिलाएं दिन भर व्रत रही और शाम को रसियाव रोटी ग्रहण कर छठ का निर्जल व्रत शुरू किया। व्रती महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रहेंगी और बुधवार को प्रातः कालीन सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत तोडेंगी।
व्रती महिलाओं ने सोमवार के दिन व्रत रहने के उपरांत शाम को घर की सफाई कर साफ स्थान पर चूल्हे को स्थापित कर अक्षत धूप दीप व सिंदूर से उसकी पूजा की। इसके बाद प्रसाद के लिए रखे हुए आटे के फुल्के तथा साठी की खीर बनाई। इसे रसियाव रोटी भी कहा जाता है बाद में चौके में ही खरना की यहीं रसियाव और रोटी खाने के बाद उनका छठ व्रत शुरू हो गया। जो बुधवार को प्रातः कालीन सूर्य को अर्ध्य अर्पित करने के बाद पूर्ण होगा।
छठ पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को पूर्ण उपवास होता है। आचार्य पंडित संजय पांडे के अनुसार यह व्रत आज यानी 13 नवंबर मंगलवार को है। इस दिन सूर्योदय 6:35 बजे और षष्ठी तिथि रात 2:54 बजे तक है। इसके बाद सप्तमी लग जाएगी। अस्ताचलगामी सूर्य के अर्ध का समय शाम 5:25 बजे है।
षष्ठी व्रत की पूर्णाहुति चौथे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ होती है। 14 नवंबर बुधवार को प्रातः कालीन सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 6:36 बजे है। इसी समय प्रात: कालीन अर्ध्य दिया जाएगा और उसके बाद व्रती महिलाएं पारण करेंगी इस दिन छठ माता की प्रतिमाएं विसर्जित की जाएंगी।
नदी घाटों पर बनाए गए वेदी स्थलों की साफ-सफाई पूरी हो चुकी है। सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालु वेदियो के निर्माण और आसपास साफ सफाई करने में जुटे रहे हैं। राजघाट, शंकर घाट, तकिया, डोमिनगढ़, रामगढ़ ताल, गौतम विहार, गौतम बिहार विस्तार ,महेशरा ताल, विष्णु मंदिर ,असुरन, खराया पोखरा ,शाहपुर व बिछिया सहित कई मोहल्लों में अस्थाई तालाब बनाए गए हैं। श्रद्धालु सपरिवार नदी घाटों पर जाकर पानी के किनारे पूजा स्थानों की साफ सफाई कर वहां बेदी का निर्माण किए।
गोरखपुर में पहली बार इस स्थान पर हुई थी छठ पूजा की शुरूआत
गोरखपुर में पहली बार छठ का पर्व हनुमान गढ़ी के घाट से नब्बे के दशक में शुरू हुआ था। तब इस घाट पर बिहार से आये केवल एक, दो परिवार के लोगो ने इस परम्परा की शुरुआत की थी। जो अब इस घाट पर लगभग हजारो की संख्या में व्रती आते है। ऐसी मान्यता है इस घाट की जो भी सिद्धि पीठ हनुमान गढ़ी पर सच्चे मन से यहां छठ माता का व्रत रखता है उसकी सुनी गोद, परिवार में खुशहाली, समृद्धि आदि की पूर्ति होती है, आज भी यहां शाम को डूबते हुए सूर्य देवता को अर्ग देंगी और अपनी मनोकामनाओ को पूरा करेंगी।
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