भरेगा ज्ञान का भंडार, नहीं होगा अभिमान, अगर करते हैं रावण की इस विधि-विधान से पूजा
जयपुर:दशहरा 2018 यानी विजयदशमी का दिन 19 अक्टूबर 2018 को है। रावण पण्डित और महाज्ञानी था। इसलिए हमेशा से ही श्रद्धालुओं ने भगवान के राम के साथ ही रावण के ज्ञान की भी पूजा की है।ऐसी मान्यता है कि रावण के ज्ञान की पूजा करने से मनुष्य के ज्ञान में वृद्धि होती है। वो मनुष्य अपने जीवन की किसी भी परिस्थिति में ज्ञान से परिपूर्ण रहता है। उसे कभी किसी कार्य में पराजय नहीं मिलती है।वह सदा सफलता की ओर अपने कदम बढ़ाता चला जाता है। इसलिए सभी को रावण के ज्ञान की पूजा करनी चाहिए। ताकि जीवन की राह में सदा कामयाबी उसके कदम चूमे।
ये है रावण पूजा की विधि-प्रातः काल स्नान ध्यान करें। दशहरा के दिन स्वास्तिक बनाकर रंगोली बनाएं।पूजा स्थल पर कापी किताबें, लेखा-बही आदि रखें। यदि आपके कुल में गन्ने की पूजा का विधान है तो वो भी रखें।एक कागज पर रोली से श्रीरामचंद्रायै नम: या श्रीराम भद्राय नम: लिखें। नवरात्रि पर जो नोरते बोए हो, वो नोरते कॉपी-किताबों, लेखा-बहियों में रख दें। रावण के दस सिरों के प्रतीक स्वरूप गोबर, उपले या बताशे रखें।इस स्वरूप पर नोरते लगाएं। 'ओम ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ध्व: ध्व: स्वाहा' इस मंत्र का 1100 बार जप करें। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपायोग करना चाहिए।सुंदरकांड की पांचवी चौपाई पढ़े।इसके बाद रावण के ज्ञान का ध्यान करें।भगवान श्रीराम से प्रार्थना करें रावण के समान आपको और आपके परिवार को ज्ञानी बनाएं। साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि उसके समान अभिमान कभी न हो।भगवान श्री राम की आरती करें।रामचन्द्र को भोग लगाएं।
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रावण पूजन मंत्र'ओम नमो विघ्नविनाशाय निधि दर्शन कुरु कुरु स्वाहा।' धन दौलत की प्राप्ति के लिए आप रावण ने एक अन्य मंत्र बताया है। इस मंत्र के विषय में कहा जाता है कि आपका धन खो गया हो या आपकी जमा पूंजी लगातार कम होती जा रही है तो इसके जप से धन का ठहराव होता है और खोया धन पाने के संयोग बनते हैं। मंत्र के जप की संख्या दस हजार है।
विजयदशमी एवं रावण दहन का शुभ मूहूर्त - 19 अक्तूबर 2018 लग्न पूजन- सुबह 8.20 से लेकर 10.30 तक,अभिजीत मूहूर्त- 11.24 से लेकर 12.30 तक