भैया देश की आजादी का ये था असली दिन क्या आपको पता है

 20 फरवरी 1947 को ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने भारत को 30 जून 1948 तक ब्रिटेन की गुलामी से आजाद करने की घोषणा की थी। इसके लिए चार जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में एटली द्वारा भारतीय स्वतंत्रता विधेयक प्रस्तुत किया गया।

Update:2020-02-20 16:57 IST

रामकृष्ण वाजपेयी

15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था ये तो आप सब जानते हैं, इसके अलावा ये भी जानते हैं कि 26 जनवरी 1950 को देश का अपना विधान लागू हुआ। लेकिन क्या आपको ये पता है कि भारत को गुलामी से मुक्त करने की घोषणा कब हुई। देश की आजादी की घोषणा सबसे पहले किसने की और कब तक देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कर दिया जाना था।

20 फरवरी 1947 को ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने भारत को 30 जून 1948 तक ब्रिटेन की गुलामी से आजाद करने की घोषणा की थी। इसके लिए चार जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में एटली द्वारा भारतीय स्वतंत्रता विधेयक प्रस्तुत किया गया।

नेहरू ने इसका किया था विरोध

इस विधेयक को 18 जुलाई को स्वीकृति मिली। इसी के तहत लार्ड माउंटबैटन ने बाल्कन योजना की बात कही। हालांकि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस योजना का विरोध किया जिसके चलते इसे छोड़ दिया गया।

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इसके बाद 3 जून 1947 को लार्ड माउंटबैटन की योजना के आधार पर भारत को दो राज्यों में विभाजित करने के विचार को स्वीकार कर लिया गया। सिंध और बलूचिस्तान तथा उत्तर पश्चिम प्रांतों में लोक निर्णय की सहमति दी गई। विभाजन की सीमा निर्धारण के ले एक आयोग के गठन का प्रस्ताव किया गया।

ये काम तो पहले ही हो गया था

यहां जानना महत्वपूर्ण है कि फरवरी 1947 में लार्ड लुइस माउंबेटन के वायसराय बनने से पहले भारत के वायसराय रहे लार्ड वेवल द्वारा भारत के बंटवारे के लिए एक कच्ची रेखा खींची गई थी।

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यह इसलिए किया गया था ताकि यह डिसाइड हो सके कि किस देश को कौन से प्रदेश मिलेंगे। 30 जून 1947 को माउंटबेटन ने बंगाल व पंजाब के लिए दो आयोगों का गठन किया। इसी का नतीजा था कि 15 अगस्त 1947 देश के आजाद होने के बाद 17 अगस्त 1947 को रेडक्लिफ रेखा भारत पाक के बीच रेडक्लिफ रेखा बन गई।

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इस रेखा का नाम सर सिरिल रेडक्लिफ के नाम पर रखा गया। चूंकि वह सीमा आयोग के अध्यक्ष थे। उन्होंने एक लाख 75 हजार वर्गमील क्षेत्र को न्यायोचित ढंग से विभाजित किया। इस तरह अंग्रेजों का आजादी देना 20 फरवरी 1947 को ही तय हो गया था।

 

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