लखनऊ : जब देश-दुनिया में कहीं प्लेन क्रैश होता है, उसके ठीक बाद सुनाई देता है कि ब्लैक बॉक्स को खोजा जा रहा है, उसके मिलते ही दुर्घटना के कारणों का पता चल सकता है...
ये भी देखें :इंडोनेशिया का यात्री विमान दुर्घटनाग्रस्त, 188 लोग थे सवार
सबसे पहले ये जान लीजिए, ब्लैक बॉक्स ब्लैक नहीं होता। बल्कि चमकीले नारंगी रंग का होता है। वही नारंगी जिसे अपने देश में भगवा कहा जाता है।
एविएशन इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक अपने आरंभिक दौर में ब्लैक बॉक्स ब्लैक ही होते थे।
ब्लैक बॉक्स का नाम होता है फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर।
यह भी पढ़ें: 29अक्टूबर: कैसा रहेगा शुभ या अशुभ, जानिए राशिफल
ब्लैक बॉक्स एक नहीं दो डीवाइस होती हैं। पहला कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर यह कॉकपिट में होने वाली सभी आवाजों को रिकॉर्ड करता है। दूसरी होती है डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर। ये प्लेन की स्पीड, हाईट, फ्यूल फ्लो, ईजीटी, थ्रस्ट, फ्लाइट कंट्रोल, प्रेशर, फ्यूल सहित करीब 90 तरह के आंकड़ों की रिकॉर्डेड जानकारी रखता है।
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर प्लेन के पिछले हिस्से में लगे होते हैं।
ब्लैक बॉक्स टाइटैनियम का बना होता है। इसमें एल्यूमिनियम, रेत, स्टेनलेस स्टील और टाइटैनियम की चार लेयर होती हैं।
ब्लैक बॉक्स शॉक-प्रूफ होता है। इसके साथ ही 1 घंटे तक 11 हजार डिग्री और करीब 10 घंटे तक 250 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान को सह सकता है।
ये भी पढ़ें…मोदी-शिंजो : मेरा यार जापानी, मेरी रफ्तार जापानी, हमारी नई कहानी
ये भी पढ़ें…पीएम मोदी ने कहा- भारत और जापान के रिश्ते में ईमानदारी और आपसी विश्वास
ये भी पढ़ें…जापान में PM मोदी बोले- कालेधन वालों 30 दिसंबर के बाद आपकी खैर नहीं