उल्टियां बिकती है करोड़ों में! छिः नहीं कहेंगे आप, मिल गयी तो बन जायेंगे करोड़पति

दुनिया में कई लोगों की आमदनी का जरिया बड़ी अजीब चीजें होती हैं। एक ऐसी ही अजीब चीज है जो मिल जाए तो आप करोड़पति बन जायेंगे। आमतौर पर उल्टी का नाम सुनते ही लोगों को उल्टी आने लगती है।

Update:2020-02-15 17:41 IST

लखनऊ: दुनिया में कई लोगों की आमदनी का जरिया बड़ी अजीब चीजें होती हैं। एक ऐसी ही अजीब चीज है जो मिल जाए तो आप करोड़पति बन जायेंगे। आमतौर पर उल्टी का नाम सुनते ही लोगों को उल्टी आने लगती है। किन्तु शायद आपको इस बात की जानकारी नहीं होगी कि दुनिया में एक जीव ऐसा भी है जिसकी उल्टी भी करोड़ों में बिकती है और लोग उनकी उल्टी पाने के लिए दिन-रात लगे रहते हैं। अगर एक बार इस जीव की उल्टी मिल गई तो पूरी जीवन बदल जाती है और यह जीव है व्हेल मछली।

व्हेल की उल्टी इतनी महंगी क्यों

यह जानना वाकई दिलचस्प है कि आखिर व्हेल की उल्टी इतनी महंगी क्यों होती है। इसके अपशिष्ट पत्थर के रूप में जम जाने पर इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपये हो जाती है। इसकी कीमत करोड़ों में इसलिए होती है क्योंकि इसका प्रयोग खासतौर पर दुनिया के सबसे बहुत महंगे परफ्यूम बनाने में किया जाता है। इस परफ्यूम में व्हेल की उल्टी का प्रयोग किया जाता है।

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व्हेल की उल्टी सूखने के बाद पत्थर बन जाती है

दरअसल दुनियाभर में कुछ लोग यही कार्य करते हैं। वो लगातार व्हेल मछली को तलाशते रहते हैं या खासकर उन स्थनों पर जाते हैं जहां व्हेल मछलियां आती रहती हैं। व्हेल की उल्टी सूखने के बाद पत्थर बन जाती हैं, जिन्हें खोजने में लंबा इंतजार भी करना होता है। अगर किसी को ये पत्थर मिल गया तो फिर ये बाजार में करोड़ों का बिकता है।

व्हेल के शरीर के निकलने वाला अपशिष्ट होता है

वैसे कई वैज्ञानिक इसे व्हेल की उल्टी बताते हैं तो कई इसे मल बताते हैं। यह व्हेल के शरीर के निकलने वाला अपशिष्ट होता है जो कि उसकी आंतों से निकलता है और वह इसे पचा नहीं पाती है। कई बार यह पदार्थ रेक्टम के जरिए बाहर आता है, किन्तु कभी-कभी पदार्थ बड़ा होने पर व्हेल इसे मुंह से उगल देती है। वैज्ञानिक भाषा में इसे एम्बरग्रीस कहते हैं।

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आंतों से निकलने वाला स्लेटी या काले रंग का एक ठोस

एम्बरग्रीस व्हेल की आंतों से निकलने वाला स्लेटी या काले रंग का एक ठोस, मोम जैसा ज्वलनशील पदार्थ है। यह व्हेल के शरीर के भीतर उसकी रक्षा के लिए पैदा होता है ताकि उसकी आंत को स्क्विड (एक समुद्री जीव) की तेज चोंच से बचाया जा सके।

व्हेल समुद्र तट से दूर ही रहती

आम तौर पर व्हेल समुद्र तट से बहुत दूर ही रहती हैं। ऐसे में उनके शरीर से निकले इस पदार्थ को समुद्र तट तक आने में कई वर्ष। लग जाते हैं। सूरज की रोशनी और नमकीन पानी के संपर्क के वजह से यह अपशिष्ट चट्टान जैसी चिकनी, भूरी गांठ में बदल जाता है, जो मोम जैसा महसूस होता है।

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शुरू में बदबू मगर बाद में खुशबू

व्हेल की पेट से निकलने वाली इस एम्बरग्रीस की गंध शुरुआत में तो किसी अपशिष्ट पदार्थ की ही तरह होती है, किन्तु कुछ वक्त बाद यह बेहद मीठी हल्की सुगंध देता है। इसे एम्बरग्रीस इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह बाल्टिक में समुद्र तटों पर मिलने वाले धुंधला एम्बर जैसा दिखता है।

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