WORLD NO TOBACCO DAY: धूम्रपान है मौत का समान, ऐसे करें बचाव

Update:2017-05-31 12:19 IST

लखनऊ: ज्यादातर लोगों को मालूम है कि धूम्रपान से कैंसर होता हैं। मगर इसके अलावा भी धूम्रपान से कई तरह से नुकसान होता है। तंबाकू के सेवन या धूम्रपान करने से गर्भधारण करने की क्षमता भी इफेक्टेड होती है, जिससे इन्फर्टिलिटी होती है। इससे बचाव के लिए धूम्रपान छोड़ना ही बेहतर विकल्प है। धूम्रपान से नुकसान के बारे में तो पता है पर कई चाहते हुए भी नहीं छोड़ पाते हैं,लेकिन अगर छो़ड़ने का इरादा है तो आप कुछ इस तरह से धूम्रपान से दूरी बना सकते है।

पुरुषों को कैसे पहुंचता है नुकसान

स्पर्म बाहरी कारणों से बहुत ही तेजी से प्रभावित होता है। कई इंवायरमेंट फैक्टर इसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। खास तौर पर खान-पान, टेेंपरेचर, वजन, टेंशन, अल्कोहल और स्मोकिंग से मेल पर्सन की फर्टिलिटी प्रभावित होती है।

धूम्रपान चाहे किसी भी प्रकार का क्यों न हो, उसका स्पर्म पर हानिकारक प्रभाव ही पड़ता है। अनेक शोध से पता चला है कि स्मोकिंग करने से स्पर्म काउंट कम हो जाता है। विकृत स्पर्म में बढ़ोतरी होती है। स्पर्म का मूवमेंट भी प्रभावित होता है।

धूम्रपान के कारण कमजोर हुए स्पर्म एग को फर्टिलाइज भी नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा निकोटिन के कारण रक्त संचार बाधित होने से प्रजनन अंगों में भी रक्त संचार कम होता है।

क्यों होते हैं खतरे

धूम्रपान और पैसिव स्मोकिंग द्वारा गर्भधारण करने की दर 40% तक कम हो जाती है। धूम्रपान ओवेरियन रिजर्व, ओवेरियन रिस्पॉन्स, वीर्य की गुणवत्ता एवं फर्टिलाइजेशन को कम कर देता है एवं गर्भपात की दर को बढ़ाता है। धूम्रपान से भ्रूण की यूटेराइन रिसेप्टिविटी प्रभावित होती है।

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गर्भावस्था के दौरान एवं उसके बाद धूम्रपान से अंडों में क्रोमोजोम की विकृति होने का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान करनेवालों में इन्फर्टिलिटी का खतरा धूम्रपान न करनेवालों के मुकाबले दो गुना हो सकता है। जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं, उनमें धूम्रपान न करनेवाली महिलाओं के मुकाबले गर्भ धारण करने में एक साल अधिक समय लग सकता है।

तंबाकू सेवन से होनेवाले अन्य रोग

सीओपीडी

लंबे समय से धूम्रपान करनेवाले लोगों के गले में खराश होने लगती है क्योंकि निकोटिन से शरीर में कार्बन मोनोआक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इसके अलावा धूम्रपान करनेवाले लोगों में सूखी खांसी भी ज्यादा होती है। यदि इसका इलाज न हो, तो ये टीबी जैसी घातक बीमारी का रूप ले सकती है। धुएं के कारण श्वासनली संकरी हो जाती है। इसके कारण क्रॉनिक आॅब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) हो सकता है। इसके कारण खांसी के साथ दम फूलने की भी शिकायत होती है।

लिवर और पेट रोग

निकोटिन के अत्यधिक सेवन से लिवर सिरोसिस का खतरा होता है। इसका इलाज केवल लिवर ट्रांसप्लांट है. निकोटिन के सेवन से लिवर की कोशिकाओं में ब्लड सरकुलेशन धीरे-धीरे कम होने लगता है, जिससे लीवर के टिश्यू खराब हो जाते हैं। लिवर के ठीक से कार्य नहीं कर पाने से कई अन्य रोग भी हो जाते हैं।

घटता है दवाइयों का असर

तंबाकू का सेवन करनेवाले व्यक्ति को यदि कोई रोग हो जाता है, तो ट्रीटमेंट में दवाइयां भी ठीक से असर नहीं करती हैं। ऐसा शरीर में निकोटिन की अधिक मात्रा के कारण होता है। ऐसे लोगों में बीमारी जल्दी ठीक नहीं हो पाती।

हृदय रोग का खतरा

निकोटिन के ज्यादा सेवन से खून की नली ब्लॉक होने पर खून का प्रवाह बाधित होता है। हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को हार्ट अटैक और हाइपरटेंशन का खतरा अधिक होता है।

होता है कैंसर का खतरा

धूम्रपान करनेवाले को फेफड़े के कैंसर का भी खतरा होता है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 25% तक बढ़ जाता है। तंबाकू के कारण मुंह और गले के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।ये कैंसर जानलेवा है, इससे हर साल हजारों लोगों की जान जाती है।

हालांकि मुंह का कैंसर होने से पहले ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस नामक समस्या होती है. इस में मरीज का मुंह पूरी तरह नहीं खुल पाता है। ओरल कैविटी के म्यूकोसा के निचले स्तर में इन्फ्लेमेशन से फाइब्रोसिस होता है।

आम तौर पर लोग गुटखा और पान-मसाला को चबाते समय अपने मुंह में कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटो तक मुंह में दबा कर रखते हैं। इससे खाने, बोलने आदि में परेशानी होती है।

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दो तरह से ट्रीटमेंट

इसका ट्रीटमेंट बीमारी के स्टेज पर निर्भर करता है यदि शुरुआत में ही मरीज गुटखा का सेवन छोड़ दे, तो बीमारी खुद ही ठीक हो जाती है। यदि बीमारी गंभीर स्टेज में पहुंच गयी है, तो ट्रीटमेंट दो प्रकार से होता है। मेडिकल और सर्जिकल। पहले बायोप्सी की जाती है। मेडिकल ट्रीटमेंट में विभिन्न दवाइयों और इंजेक्शन से उपचार किया जाता है। वहीं सर्जिकल ट्रीटमेंट में रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की जाती है।

कैसे छोड़ें तंबाकू

वैसे तो बाजार में आजकल बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू आदि लतों से छुटकारा पाने के लिए निकोटिन च्यूइंगगम भी आ गए है। मगर यदि दृढ़ इच्छा शक्ति नहीं होगी, तो व्यक्ति चाह कर भी इस लत से पीछा नहीं छुड़ा सकता है। दृढ़ निश्चय कर के ही व्यक्ति इस लत से छुटकारा पा सकता है। यदि आप अधिक समय तक च्यूइंगगम का प्रयोग करते हैं, तो फिर बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू से तो छुटकारा मिल जाएगा, मगर च्यूइंगगम के आदी होने का खतरा बढ़ जाएगा।

होमियोपैथी भी है कारगर

इस तरह धूम्रपान से छूटकारा पाने के लिए व्यक्ति इन होमियोपैथी दवा का भी इस्तेमाल भी कर सकता है। कैलेडियम सेगिनम और टोबैकम इन दवाओं के सेवन से तंबाकू के प्रति घृणा उत्पन्न होती है, ये व्यक्ति की इच्छा शक्ति को बदल देती है, जिससे आदत धीरे-धीरे छूट जाती है। अगर दवा छोड़ने के बाद हल्की आवाज से ही नींद टूट जाए,

सिगरेट पीने से हार्ट बीट अनियमित हो जाए और दम फूलने की शिकायत हो, तो ये दवा उसे भी ठीक कर देती है। इसके सेवन से रोगी के मुंह का स्वाद खराब हो जाता है। तंबाकू उत्पाद का सेवन करने पर उसका स्वाद खराब लगता है, जिससे व्यक्ति तंबाकू का सेवन करना छोड़ देता है।

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