बहराइच: आग की लपटों का भयावह रूप मंगलवार (11 अप्रैल) शाम घाघरा के कछार स्थित गड़रियनपुरवा गांव में देखने को मिला। अज्ञात कारणों से लगी आग से मकान धू-धू कर जल उठे। चारों ओर चीख-पुकार मच गई। लोग दौड़े, लेकिन तब तक आग की लपटों ने पूरे गांव को आगोश में ले लिया।
ग्रामीणों की आंखों के सामने उनके आशियाने राख के ढेर में तब्दील हो गए। इस अग्निकांड में कुल 116 मकान जलकर राख हो गए। एक दर्जन से अधिक मवेशियों की भी जलकर मौत हो गई। चार घंटे बाद किसी तरह ग्रामीणों ने आग की लपटों पर काबू पाया। सूचना के बावजूद दमकल की गाड़ियां समय से मौके तक नहीं पहुंच सकी।
यहां का मामला
मिहींपुरवा विकास खंड के ग्राम पंचायत सोमईगौढ़ी का मजरा गड़रियनपुरवा गांव घाघरा के कछार पर बसा है। गांव निवासी सूबेदार के मकान में शाम के वक़्त अज्ञात कारणों से आग लग गई। परिवार के सदस्यों ने आग बुझाने की हरसंभव कोशिश की। लेकिन सफल नहीं हुए। उन्होंने किसी तरह भागकर जान बचाई। चीख पुकार सुनकर गांव के लोग दौड़े। लेकिन इस दौरान चल रही तेज पछुवा हवा से आग की लपटें तेजी से फैलने लगी। फैलीं। देखते ही देखते पूरा गांव धधक उठा।
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चारों ओर मची अफरा-तफरी
अब तो चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। हर कोई गृहस्थी और अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था। कुछ ग्रामीणों ने मोतीपुर थाने को सूचना दी। लेकिन दमकल की गाड़ियां समय से नहीं पहुंची। जिसका नतीजा यह रहा कि ग्रामीणों की आंखों के सामने उनके आशियाने धू-धू कर जल गए।
खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारने को विवश
गांव में 425 के करीब कच्चे-पक्के मकान हैं। इनमें सौ से ऊपर मकान अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। सिर्फ पक्के मकान ही शेष हैं। इन परिवारों के एक हजार से अधिक लोग अब खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारने को विवश हैं।
तिनका भी नहीं निकाल सके
अग्निकांड का आलम यह रहा कि गृहस्थी का एक तिनका भी ग्रामीण घर के अंदर से नहीं निकाल सके। एक दर्जन से अधिक मवेशी जिंदा जल गए। वहीं, एक जनरल स्टोर भी आग की भेंट चढ़ गया। सूचना पाकर नायब तहसीलदार सुमित सिंह, राजस्व निरीक्षक पवन सुत, लेखपाल रामपलट, दुर्गेश, रामप्रसाद वर्मा, सफाईकर्मी नंदकिशोर आदि ने गांव पहुंचकर जांच शुरू की।
नायब तहसीलदार ने बताया कि क्षेत्र के कोटेदारों की सहायता से सभी पीड़ितों के लिए भोजन का इंतजाम करवाया जाएगा। मुआवजे की भी कार्रवाई शीघ्र होगी।