हाईकोर्ट के फैसले से सरकार को झटका, बलिया में 14 जिला सरकारी वकीलों की नियुक्ति रद्द

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बलिया में 14 जिला सरकारी वकीलों की नियुक्ति अवैध करार देते हुए रद्द कर दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जिला जज के परामर्श से जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए 51 नामों में से 4 माह में नई नियुक्ति का निर्देश दिया है।

Update: 2019-05-15 14:24 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बलिया में 14 जिला सरकारी वकीलों की नियुक्ति अवैध करार देते हुए रद्द कर दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जिला जज के परामर्श से जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए 51 नामों में से 4 माह में नई नियुक्ति का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान नियुक्ति विज्ञापन के पहले कार्यरत वकीलों को आबद्ध किया जाय।

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कोर्ट ने राज्य सचिवालय के न्यायिक अधिकारियो व जिलाधिकारी के कार्यप्रणाली की तीखी आलोचना की है और कहा है कि न्यायिक अधिकारियों, जिनपर सरकार को सही कानूनी सलाह देने का दायित्व है, ने कानून के खिलाफ कार्य करने में सहयोग दिया। बलिया के पूर्व सरकारी वकील सन्तोष कुमार पांडेय की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति पी.के.एस. बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने कानून मंत्री के आदेश पर मनमाने ढंग से की गयी नियुक्ति रद्द कर दी। 14 लोगों को 14-14 दिन की ड्यूटी के आधार पर सरकार ने सरकारी वकील नियुक्त किया था। ऐसा करने में कानूनी प्राक्रिया की पूरी तरह से अनदेखी की गयी।

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कोर्ट ने कहा सरकार में न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति सरकार को सही सलाह देने के लिए की गई है। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के बावजूद पारदर्शिता, फेयरनेस को दरकिनार कर मनमाने ढंग से सरकारी वकील बना दिया गया। कोर्ट ने कहा अनुभवी व योग्य वकीलों को सरकारी वकील नियुक्त करने से न्यायिक फैसलों की गुणवत्ता अच्छी होती है। वही अयोग्य व अनुभवहीन वकीलों की नियुक्ति से न्यायिक मूल्यों को नुकसान पहुंचता है। ऐसे में योग्य अनुभवी वकीलो की नियुक्ति की जानी चाहिए।

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कोर्ट ने कहा हाई कोर्ट में भी सरकार ने एक झटके में सरकारी वकीलों को हटा दिया और नया पैनल जारी किया। जो कोर्ट को सही वैधानिक सहयोग नहीं दे पा रहे है। कानून मंत्री ने जिला जज के परामर्श से जिलाधिकारी द्वारा भेजी गयी सूची को दरकिनार कर मनमानी नियुक्ति का आदेश दिया। जिसे चुनौती दी गयी थी। कोर्ट के फैसले से सरकार को झटका लगा है।

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