वैक्सीन के बाद 180 मौतें, लेकिन वैक्सीन से इनका संबंध साबित नहीं

पब्लिक हेल्थ रिसर्चर मालिनी ऐसोला के अनुसार, जो भी मौतें हुईं हैं उनमें अधिकांश में पोस्टमार्टम नहीं किया गया।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2021-04-09 05:36 GMT

वैक्सीन के बाद 180 मौतें, लेकिन वैक्सीन से इनका संबंध साबित नहीं (फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ। भारत में क्या किसी इंसान की मौत कोरोना की वैक्सीन की वजह से हुई है? ये सवाल अभी तक अनुत्तरित है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ये तो कहता है कि वैक्सीनेशन अभियान के पहले 71 दिनों यानी 16 जनवरी से 27 मार्च के बीच, 180 लोगों की मौत हुई है। लेकिन किसी भी मौत का संबंध वैक्सीन से नहीं जोड़ा गया है।

नेशनल एडवर्स इफ़ेक्ट कमेटी के समक्ष 31 मार्च को दिए प्रेजेंटेशन के अनुसार कोविड वैक्सीनेशन के बाद कुल 617 गम्भीर मामले आये। इनमें 180 मौतें हुईं। 124 मौतें हार्ट फेलियर या हार्ट अटैक के कारण हुईं। 11 मौतें स्ट्रोक पड़ने से हुईं। इससे पहले 17 मार्च को कमेटी द्वारा गंभीर दुष्परिणामों के सिर्फ 13 मामलों के डिटेल सार्वजनिक किए गए। इनमें 10 मौतों का भी ब्यौरा था। राष्ट्रीय सीरियस एडवर्स इफ़ेक्ट कमेटी के अनुसार इन दस मौतों का ताल्लुक वैक्सीन से नहीं पाया गया।

पब्लिक हेल्थ रिसर्चर ने पेश किए आंकड़ें

दिल्ली स्थित एक पब्लिक हेल्थ रिसर्चर मालिनी ऐसोला ने आंकड़ों का विश्लेषण किया है। मालिनी के अनुसार, जो भी मौतें हुईं हैं उनमें अधिकांश में पोस्टमार्टम नहीं किया गया। मिसाल के तौर पर नेशनल सीरियस एडवर्स इफ़ेक्ट कमेटी ने जिन दस मामलों की पड़ताल की है उनमें से 6 का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था।

कोरोना से हुई मौतें (फोटो- सोशल मीडिया)

प्रतिदिन 0.5 फीसदी हो रही है मौतें

एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर मौतों का संबंध वैक्सीन से नहीं है तो वैक्सिनेशन अभियान शुरू होने के बाद के हफ्तों में उनकी संख्या समान रूप से डिस्ट्रीब्यूट होनी चाहिए। लेकिन वैक्सिनेशन के पहले 3 दिनों में 93 मौतें हुईं जबकि 4 से 7 दिन के भीतर 18 मौतें हुईं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन स्थितियों में विस्तृत पड़ताल किये जाने की जरूरत है। हफ्तावार देखें तो पहले हफ्ते में 111 मौतें हुईं यानी रोजाना करीब 16 मौतें। लेकिन अगले 3 हफ्तों में सिर्फ 11 मौतें हुईं यानी 0.5 प्रतिदिन।

कोरोना जाँच (फोटो- सोशल मीडिया)

लोकल लेवल पर रखा जाता है वैक्सीन का ब्यौरा 

मालिनी ऐसोला के अनुसार, हर वैक्सीन का ब्यौरा लोकल लेवल पर रखा जाता है। नेशनल कमेटी लोकल लेवल द्वारा की गई जांच और साक्ष्य पर निर्भर है। ये देखा गया है कि लोकल अधिकारियों का रवैया ये रहता है कि वे कोई जांच पड़ताल किये बगैर तुरंत ही वैक्सीन से मौत की बात खारिज कर देते हैं। ऐसे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाए तो भी कैसे?

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