Nikhat Abbas Case: जेल में निखत के साथ क्वालिटी टाइम बिताते वक़्त अब्बास उसके फ़ोन से मांगता था रंगदारी!
Nikhat Abbas Case: एसआइटी के जांच के दौरान गिरफ्तार शाहबाज आलम ने कई राज उगले हैं, पता चला है कि कई जनपदों तक अंसारी गैंग का काला साम्राज्य फैला हुआ है।
Chitrakoot News: Nikhat abbas case के मामले की जांच कर रही एसआइटी को मालूम चला है कि आपराधिक गतिविधियों से कमाई गई रकम खपाने को कई सेल कंपनियां बनाई गई थीं। जेल की कैंटीन सप्लायर के खाते में पहुंची रकम के जरिए बेनामी खातों तक एसआईटी जांच पहुंच गई है। विधायक अब्बास अंसारी से जिला कारागार में पिछली 10 फरवरी को बिना इंट्री मुलाकात में पकड़ी गई पत्नी निखत बानो अंसारी की जांच करीब डेढ़ माह से एसआईटी कर रही है। अब तक कई मददगारों के साथ ही जेल अफसर गिरफ्तार हो चुके हैं। एसआईटी ने निखत के मददगार रहे जेल कैंटीन सप्लायर के खाते में भेजी गई दो लाख की धनराशि के संबंध में जब छानबीन की तो मुख्तार अंसारी गैंग के तार कई जनपदों तक मिले। इतना ही नहीं अपराधिक गतिविधियों में पैसा खपाने के लिए कई सेल कंपनियां भी बनाने की जानकारी एसआईटी को मिली है।
जेल अफसरों को मिले थे महंगे गिफ्ट
निखत बानो अंसारी की जेल में बिना इंट्री पति अब्बास अंसारी से मुलाकात कराने के लिए जिला कारागार में जेल अफसरों को नकदी के साथ ही आभूषणों का उपहार देकर उपकृत किया गया। मुलाकात के दौरान ही अब्बास अंसारी जेल से निखत के फोन के जरिए गवाहों के साथ ही अन्य लोगों को रंगदारी के लिए धमकाता रहा है। वह इस तरह जेल से ही गैंग का संचालन करता रहा। अब्बास के गुर्गे रंगदारी की रकम वसूलकर जिस फंडिंग आपरेट करने वाले के पास जमा करते रहे है, आखिरकार एसआईटी छानबीन करते हुए उसके पास पहुंच गई और उसे दबोच लिया।
एसपी के मुताबिक पूछताछ के दौरान पकड़े गए शहबाज आलम ने बताया कि अब्बास अंसारी के गुर्गे उनके पास कैश पहुंचाते हैं। इसके बाद किस खाते में पैसा डालना है, उसकी डिटेल भी पहुंचाते हैं। वह इसके उपरांत संबंधित खातों में पैसा भेजता है। एसआईटी को छानबीन में बेनामी खातों के अतिरिक्त कुछ सेल कंपनियां भी मिली हैं। जिनमें कैश जमाकर उनको आपराधिक गतिविधियों में खपाया जाता है। यह गिरोह जनपद मऊ, गाजीपुर, बनारस, आजमगढ़, जौनपुर, दिल्ली सहित अन्य शहरों में भी अब्बास अंसारी के लिए कार्य कर रहा है।
जेल में अफसरों को लालच देकर हासिल करते सुविधाएं
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक पूछताछ में यह बात सामने आई है कि रंगदारी से वसूली जानी वाली रकम को जेल अधिकारियों को नगद और उपहार के जरिए लालच देकर अपने लिए जेल में सुविधाएं लेना, वकीलों और दलालों को अपने मुकदमों की पैरवी में देना तथा अन्य अवैध कार्यों में खर्च करने की बात उजागर हुई है। इस धन के लेनदेन का जिम्मा जेल में बंद निखत बानो का चालक नियाज और उसके कुछ सहयोगियों के माध्यम से होता था।
ईडी व इनकम टैक्स की टीम करेगी जांच
बेनामी खातों में अंसारी गैंग के गुर्गे जो भी रकम रंगदारी से वसूलकर लाते रहे है, उसे जमा किया जाता रहा है। इसी धनराशि को फिर अब्बास अंसारी के इशारे पर संबंधित खातों में ट्रांजेक्शन किया गया है। फलस्वरुप, अब फंडिंग के इस मामले की जांच आयकर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय की टीम भी करेगी। इसके संबंध में इन दोनों के विभागीय कार्यालयों को अवगत कराया जा रहा है।
शातिर दिमाग वाला है शाहबाज आलम
अंसारी गैंग का फंडिंग आपरेट करने वाला शाहबाज आलम काफी शातिर दिमाग वाला है। वह वाराणसी में रहकर एक चार्टड एकाउंटेंट का काम करता रहा है। अब्बास-निखत के जेल कनेक्शन में जब फंडिंग की छानबीन हुई तो वह एसआईटी की रडार में आया। कर्वी कोतवाली प्रभारी दीपेन्द्र सिंह टीम के साथ उसकी तलाश की और दबोच लिया। एसआईटी ने पूछताछ में उससे काफी साक्ष्य हासिल किए है।
अब तक यह लोग भेजे गए जेल
- निखत बानो अंसारी।
- नियाज- चालक
- सपा नेता फराज खान
- जेल कैंटीन सप्लायर नवनीत सचान।
- डिप्टी जेलर चंद्रकला।
- जेल अधीक्षक अशोक कुमार सागर।
- जेलर संतोष कुमार।
- जेल वार्डर जगमोहन।
- शाहबाज आलम फंडिंग आपरेटर।
ये बोले जिम्मेदार
पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला का कहना है कि इतनी बड़ी धनराशि के ट्रांजैक्शन से अवैध स्रोतों से कमाई के आरोपों की पुष्टि हुई है। जिसकी बारीकी से छानबीन जांच की जा रही है। इसमें आयकर एवं प्रवर्तन निदेशालय से भी मदद ली जाएगी। बेनामी मिले दोनो खातों को सीज कर दिया गया है। कई लोगों को पैसे का ट्रांजेक्शन हुआ है। उसकी जांच कराई जा रही है। इसमें जो भी दोषी मिलेंगे, उन पर कार्रवाई होगी।