नियमित हो जाने पर पेंशन के लिए तदर्थ सेवा भी जोड़ी जाएगीः हाईकोर्ट
कोर्ट ने तदर्थ सेवा अवधि को सेवानिवृत्ति परिलाभों की गणना में न जोड़ने के आदेश को रद्द कर दिया है और तदर्थ अवधि को शामिल करते हुए पेंशन आदि का तीन माह में निर्धारण करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने डा. ओम प्रकाश गुप्ता व अन्य की याचिका पर दिया है।
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि स्थाई पद पर तदर्थ नियुक्त कर्मी के नियमित होने के बाद पेंशन निर्धारण में तदर्थ अवधि का कोई महत्व नहीं है। नियुक्ति के समय से तदर्थ सेवा को जोड कर पेंशन की गणना की जायेगी। तदर्थ सेवा अवधि नियम 3 (8)के तहत क्वालिफाइंग सर्विस मानी जायेगी।
ये भी देखें : उन्नाव रेप-पीड़िता : तारो और वेंटिलेटर से घिरी लड़की की दर्दनाक स्टोरी
कोर्ट ने तदर्थ सेवा अवधि को सेवानिवृत्ति परिलाभों की गणना में न जोड़ने के आदेश को रद्द कर दिया है और तदर्थ अवधि को शामिल करते हुए पेंशन आदि का तीन माह में निर्धारण करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने डा. ओम प्रकाश गुप्ता व अन्य की याचिका पर दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता राघवेंद्र प्रसाद मिश्र ने बहस की। उनका कहना था कि याची गण तदर्थ रूप में होम्योपैथी डाक्टर नियुक्त हुए। बाद में सेवा नियमित कर ली गयी। सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन आदि के भुगतान में तदर्थ सेवा अवधि नहीं जोड़ी गयी।
ये भी देखें : अभी भी तलाक़-तलाक़-तलाक़: फिर शिकार हुई मजबूर महिला
जब कि नियम है कि स्थायी पद पर नियुक्त तदर्थ कर्मी नियमित हो जाय तो नियुक्ति तिथि से सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान किया जायेगा। कोर्ट ने निदेशक होम्योपैथी को याची की सेवा की तदर्थ अवधि को शामिल करते हुए पेंशन फंड आदि के भुगतान का आदेश देने का निर्देश दिया है।