UP बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई की नियुक्ति हो रद्द, उनके खिलाफ की जाए कार्यवाही: अजय कुमार लल्लू

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई कैसे आर्थिक रूप से कमजोर हो सकते हैं?

Newstrack :  Network
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-05-23 19:35 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी की सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में सहायक प्रोफेसर के पद को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने शिक्षा मंत्री के भाई की आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग के सामान्य कोटे से सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के मामले को लेकर फर्जीवाड़े की मांग की है, साथ ही इस मामले में संलिप्त लोगों के खिलाफ जांच कराने की भी बात कही है।

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि पूर्व से ही दूसरे विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत मंत्री के भाई कैसे आर्थिक रूप से कमजोर हो सकते हैं? उनके द्वारा किसकी सिफारिश पर जिला प्रशासन से निर्धन आयवर्ग का प्रमाणपत्र प्राप्त किया गया, इसकी जांच भी आवश्यक हो गयी है। यह नियुक्ति पूरी तरह से एक फर्जीवाड़ा है। क्योंकि इसमें गलत तथ्यों के साथ बड़ी सिफारिश के साथ प्रमाणपत्र प्राप्त करने के साथ सामान्य वर्ग के निर्धन आयवर्ग के अभ्यर्थी का अधिकार हड़पा गया है।

तत्काल रद्द की जाए नियुक्ति

इतना ही नहीं, अजय कुमार लल्लू ने बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई की नियुक्ति को तत्काल रद्द करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि यह गरीबों व सामान्य वर्ग के आरक्षण पर सत्ता में बैठे लोगों की मिलीभगत से उनके हक पर दिनदहाड़े डाला गया डाका है। एक तरफ उत्तर प्रदेश में लाखों युवा रोजगार के लिये दरबदर भटक रहे हैं, दूसरी तरफ आपदा में अवसर तलाशने वाले नौकरी हड़प रहे हैं।

अजय कुमार लल्लू (फाइल फोटो- सोशल मीडिया) 

अजय कुमार लल्लू ने बेसिक शिक्षा मंत्री पर उठाए सवाल

बेसिक शिक्षा मंत्री पर सवाल खड़ा करते हुए अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बेसिक शिक्षामंत्री को सामने आकर बताना चाहिए कि पहले से दूसरे विश्वविद्यालय में कार्यरत उनके भाई गरीब कैसे हो गए? उनको निर्धन आय वर्ग का प्रमाणपत्र किसकी सिफारिश पर मिला? सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में उन्होंने एक सामान्य वर्ग के कमजोर अभ्यर्थी का हक क्यों मारा? उन्होंने कहा कि यह एक गम्भीर विषय है कि मंत्री का भाई फर्जीवाड़ा करता है और मंत्री मौन रहता है।

उन्होंने आगे सवाल उठाते हुए कहा कि क्या विश्वविद्यालय की कुलाधिपति व प्रदेश के मुख्यमंत्री, अपने मंत्री द्वारा अपने भाई को नियम विरुद्ध लाभ पहुंचाने के षड्यंत्र का खुलासा हो जाने पर कार्यवाही करेगें? उन्होंने कहा कि इस प्रकरण से यह साबित हो गया है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा को नियम-कानून से कोई लेना देना नहीं है। वह आपदा में अवसर तलाशने वाली प्रजाति की तरह कार्य करने में भरोसा करती है। उसका सामान्य वर्ग के निर्धनों के लिये आरक्षण व्यवस्था में कमजोर अभ्यर्थी का अधिकार हड़पना गलत नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि यह पूरा फर्जीवाड़ा मंत्री के संरक्षण में यदि नही हुआ तो उन्हें अपना मुंह खोलना चाहिये। उनके मौन से साबित हो गया है कि पूरे प्रकरण में उनकी गम्भीर संलिप्तता है और वह सवालों से बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण की निष्पक्षता के साथ जांच के अलावा मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी की नियुक्ति तत्काल रद्द करने के साथ उनके विरुद्ध नियम सम्मत कार्यवाही की जाए।

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