हमेशा उद्देश्यों की स्पष्टता होनी चाहिए: अजीत डोभाल
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के लीडरशिप टॉक सीरीज की कड़ी का आयोजन आईआईटी कानपुर में मंगलवार को हुआ। जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार (नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर) अजीत डोभाल ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पहली बार सीधा संवाद किया। उन्होंने छात्रों से आर्ट ऑफ डिसीन मेकिंग (निणर्य लेने की कला) विषय पर जानकारियां दी।
लखनऊ: मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के लीडरशिप टॉक सीरीज की कड़ी का आयोजन आईआईटी कानपुर में मंगलवार को हुआ। जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार (नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर) अजीत डोभाल ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पहली बार सीधा संवाद किया। उन्होंने छात्रों से आर्ट ऑफ डिसीन मेकिंग (निणर्य लेने की कला) विषय पर जानकारियां दी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार डोभाल ने ‘स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर’ में यू-ट्यूब लाइव सत्र के माध्यम से ‘इंडिया फर्स्ट लीडरशिप टॉक सीरीज’ (आईएमएलटीएस) के तीसरे एपिसोड की मेजबानी की। टॉक सीरीज में 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिनमें आईआईटी कानपुर के संकाय सदस्य, कर्मचारी और छात्र भी शामिल थे।
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वर्तमान परिदृश्य से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी की उन्नति एक और महत्वपूर्ण मुद्दा
डोभाल ने आईआईटी, एनआईटी और आईआईएसईआर सहित पैन इंडिया इंजीनियरिंग कॉलेजों को संबोधित किया। उन्होंने प्रतिभागियों को सलाह दी कि जब भी वे महत्वपूर्ण निर्णय लें, उन्हें चिंता और अनिश्चितता की भावना को दरकिनार करने का प्रयास करना चाहिए।
डोभाल ने छात्रों से कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है उन्हें चिंता और अनिश्चितता से कैसे निपटना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को हमेशा यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि क्या लिए गए निर्णय के निहितार्थ किफायती हैं या नहीं। किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय को लेते समय एक बैकअप आकस्मिक योजना हमेशा होनी चाहिए।
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार डोभाल ने कहा ‘हमेशा उद्देश्यों की स्पष्टता होनी चाहिए।’ वस्तुनिष्ठ विश्लेषण नियमित रुप से किया जाना चाहिए और निर्णय हमेशा शांत स्थिति में लिया जाना चाहिए। यदि निर्णय गलत हो जाता है, तो निर्णय को ठीक करने का प्रयास करें। तुरंत अन्य विकल्पों में स्थानांतरित करने के बजाये, निर्णय को सुधारने का प्रयास करें।
डोभाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय चौथी पीढ़ी का युद्ध है, जहां दुश्मन अदृश्य है। इसमें युद्ध जीतने वाला वही होगा जो दुश्मन को देख सकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वर्तमान परिदृश्य से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी की उन्नति एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है।