अखिलेश बोले- विदेश नीति के मोर्चे पर सरकार फेल, इस क्षेत्र पर चीन की निगाह

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि लद्दाख में भारतीय सीमा क्षेत्र में एक महीने से चीनी सेनाओं द्वारा अतिक्रमण भारत की संप्रभुता पर चोट है।

Update: 2020-06-13 14:18 GMT

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि देश एक ओर कोरोना महामारी से जूझ रहा है तो दूसरी ओर सीमाओं पर भी तनाव से संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भाजपा सरकार इन दिनों पूर्णतया असहाय दिख रही है। चूंकि भाजपा सरकार एकाधिकारी फैसले लेती है।

अखिलेश यादव ने सीमा संकट पर जताई चिंता

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि लद्दाख में भारतीय सीमा क्षेत्र में एक महीने से चीनी सेनाओं द्वारा अतिक्रमण भारत की संप्रभुता पर चोट है। चीन विस्तारवादी नीतियों पर चल रहा है। भारत की प्रगति से उसे जलन है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के अलावा अक्साईचिन पर भी चीन की निगाह है। इधर चीन ने भारत के प्रति जो आक्रामक रवैया अपनाया है उसमें एक मुख्य कारण व्यापार भी है। कोरोना वायरस के विस्तार के बाद चीन से तमाम कम्पनियां बाहर जाना चाहती हैं। भारत उनको आकर्षित कर रहा है।

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चीन के बने माल का बहिष्कार आंदोलन भी तेजी पकड़ रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था का इस सबसे प्रभावित होना तय है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि भारत नेपाल सीमा पर नेपाल पुलिस की ओर से अंधा-धुंध फायरिंग में एक भारतीय नागरिक की मौत और 3 के गंभीर रूप से घायल होने की खबर है। मृत शख्स अपने खेत में काम कर रहा था। सीतामढ़ी के लालबंदी बार्डर के पास नेपाल सशस्त्र पुलिस के जवानों की इस हरकत को समझना चाहिए। नेपाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट भारत के खिलाफ नफरत और विरोध पैदा करने में लगे हैं।

सरकार विदेश नीति के मोर्चे पर फेल- अखिलेश यादव

सपा प्रमुख ने कहा विदेशनीति के मोर्चे पर भारत सरकार की विफलता नज़र आने लगी है। भारत सरकार की गलत नीतियों के चलते सीमाओं पर तनाव है। नेपाल जैसा मित्र राष्ट्र भी अब भारत को आंख दिखाने लगा है। भारत सरकार चीन-नेपाल के बदलते रवैये पर अब तक कड़ी प्रतिक्रिया देने से बचती दिखाई देती है। भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की दृष्टि से तत्काल कठोर कदम उठाने चाहिए। उन्होने कहा कि समाजवादी नेता डॉ राममनोहर लोहिया ने

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दिसंबर 1950 में नागपुर में समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में स्पष्ट चेतावनी दी थी कि हिमालयीन प्रदेशों के बारे में केवल तटस्थता या उदासीनता की नीति अपनाई जाएगी तो सियासी रिक्ति प्रस्तुत होगी। डॉ साहब ने ही पहली बार चीन की तिब्बत पर कुदृष्टि के मद्दे नज़र यह भविष्यवाणी भी की थी कि अब हिमालय के हिन्दुस्तान का कुदरती संरक्षक न रहने का खतरा पैदा हुआ है।

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