UP Politics: 'अखिलेश ने मेरा फोन उठाना बंद किया', 2019 में गठबंधन टूटने पर मायावती का बड़ा खुलासा

UP Politics: बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2019 में सपा से गठबंधन टूटने को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि पांच सीटें मिलने से अखिलेश काफी नाराज थे।

Newstrack :  Network
Update:2024-09-12 11:10 IST

UP Politics (Pic: Social Media)

UP Politics: उत्तर प्रदेश के आगामी उपचुनाव और 2027 में विधानसभा चुनाव के लिए बसपा ने बुकलेट वितरित करना शुरु कर दिया है। बसपा की इस बुकलेट में मायावती ने 2019 में सपा से गठबंधन टूटने का कारण बताया है। साथ ही अखिलेश यादव को लेकर बड़ा खुलासा किया है। बुकलेट में बताया गया कि 2019 में सपा को महज पांच सीटें मिलने से अखिलेश यादव काफी नाराज थे। इसके बाद अखिलेश ने मायावती का फोन उठाना बंद कर दिया। मायावती ने बताया कि पार्टी को अपने स्वाभिमान को बचाने और बरकरार रखने के लिए सपा से अलग होना पड़ा। 

बीएसपी की बुकलेट में खुलासा 

बीएसपी ने अपनी बुकलेट में लिखा कि, "2019 में देश में लोकसभा के हुये आमचुनाव में बीजेपी को खासकर यू.पी. से रोकने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी की पिछली रही सभी गलतियों को भुलाकर, फिर से गठबन्धन करने का एक और मौका देने की बात कही। तब 2019 में लोकसभा के हुये आमचुनाव में सपा व बसपा ने गठबन्धन करके यह चुनाव लड़ा। लेकिन इस चुनाव के आये नतीजों में बी.एस.पी. की 10 व सपा की 5 सीटें आने की वजह से फिर दुःखी होकर बी.एस.पी. से आगे सम्बन्ध बनाये रखना तो बहुत दूर की बात रही बल्कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमो मायावती व पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं का भी टेलीफोन उठाना बन्द कर दिया था। जिसकी वजह से तब फिर पार्टी को अपने स्वाभिमान को बरकरार रखते हुये सपा से अलग होना पड़ा"।


59 पेज की बुकलेट जारी

बसपा ने हाल ही में 59 पेज की बुकलेट कार्यकर्ताओं में बांटने शुरु किया है। उत्तर प्रदेश में आगामी उपचुनाव और 2027 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी वोटरों से जुड़ने के लिए इसे वितरित करा रही है। पार्टी का उद्देश्य वोटरों को जागरुक करना और जोड़ना है। अपने दलित वोट बैंक को मजबूत करने के लिए पार्टी एक बार फिर काम पर जुट गई है। मायावती भी पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया के जरिए सरकार और विपक्ष पर हमलावर नजर आ रही हैं। कल ही उन्होंने राहुल गांधी के आरक्षण वाले बयान पर पलटवार किया था। पिछेड़े और दलित वोटों को पार्टी यह समझाना चाहती है कि बसपा ही उनकी सच्ची हितैषी है। कल के पोस्ट में मायावती ने लिखा भी था कि कांग्रेस का आरक्षण बचाने की मुहिम महज छलावा है। 

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