इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि सरकार के फैसले से किसी कानूनी या संवैधानिक उपबन्धों का उल्लंघन नहीं हुआ है। यह सरकार का प्रशासनिक व नीतिगत निर्णय है। इसमें हस्तक्षेप का कोई आधार मौजूद नहीं है। कोर्ट ने गंगा यमुना संगम व प्रयाग की पौराणिक संस्कृति का हवाला भी दिया।

Update: 2019-02-26 16:07 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि सरकार के फैसले से किसी कानूनी या संवैधानिक उपबन्धों का उल्लंघन नहीं हुआ है। यह सरकार का प्रशासनिक व नीतिगत निर्णय है। इसमें हस्तक्षेप का कोई आधार मौजूद नहीं है। कोर्ट ने गंगा यमुना संगम व प्रयाग की पौराणिक संस्कृति का हवाला भी दिया।

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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति वाई.के. श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इलाहाबाद हेरिटेज सोसायटी व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि राज्य सरकार ने जनता की आपत्ति पर विचार के बाद नाम बदलने के कानून का पालन नहीं किया है जिससे यह अधिसूचना विधि विरुद्ध होने के कारण अवैध है। सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार ने कानून की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पौराणिक नाम बहाल करने का फैसला लिया है। कोर्ट ने दिसम्बर 18 को फैसला सुरक्षित कर लिया था।

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कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई कानूनी बल नहीं है। याची यह नहीं बता सका कि किस विधिक अधिकार का हनन हुआ है। सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर को सँजोये रखने के लिए सरकार ने नाम बदलने का निर्णय लिया है जिससे किसी कानून का उल्लंघन नहीं होता।

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