HC से योगी सरकार को राहत, लव जिहाद अध्यादेश पर सुनाया ये फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लव जिहाद अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है और राज्य सरकार से चार जनवरी तक जवाब मांगा है। 

Update:2020-12-18 14:39 IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली योगी सरकार को राहत

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की ओर से यूपी की योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, कोर्ट ने लव जिहाद अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है। इसके अलावा इस मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। सरकार को उच्च न्यायालय को चार जनवरी तक जवाब देना होगा। इसके बाद याचिकाकर्ताओं को छह तारीख को हलफनामा दाखिल करकना होगा। कोर्ट सात जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा।

याचिकाओं में की गई थी ये मांग

यह आदेश चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिविजन बेंच ने मामले में दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। आपको बता दें कि इस अध्यादेश के खिलाफ चार अलग-अलग अर्जियां दाखिल की गई थी। याचिकाओं मे अध्यादेश को गैर जरूरी बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है। साथ ही सरकार पर राजनीतिक फायदा लेने का आरोप लगाया गया है। वहीं याचिकाकर्ताओं ने यह भी मांग की थी कि अब तक इस कानून के तहत जितने भी मामले दर्ज हुए हैं, उनमें आरोपियों की गिरफ्तारी ना की जाए, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को भी खारिज कर दिया है।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

सरकार ने अध्यादेश को बताया जरूरी

वहीं सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए अध्यादेश को जरूरी बताया है। सरकार का कहना है कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अध्यादेश बहुत जरूरी हो गया है। सरकार ने कहा कि प्रदेश में धर्मांतरण के बढ़ते मामलों के बाद कानून व्यवस्था बिगड़ रही थी, इसलिए ये अध्यादेश लाया गया। अब कोर्ट ने राज्य सरकार से चार जनवरी तक विस्तृत जवाब मांगा है। उसके बाद याचिकाकर्ताओं को छह तारीख तक हलफनामा दाखिल करना होगा। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई सात जनवरी को करेगी।

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क्या है लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश?

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 24 नवंबर को लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी दी थी। लेकिन इसमें कहीं भी लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है, हालांकि यह कहा गया है कि गैर कानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने पर एक्शन लिया जाएगा। फिलहाल, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के इस अध्यादेश को मंजूरी देने के बाद यह कानूनी रूप ले चुका है। इसे 6 महीने के अंदर राज्य सरकार को विधानसभा से पास कराना पड़ेगा। इसके तहत दोषी को 10 साल तक की कैद हो सकती है।

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