प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर सख्त कोर्ट, प्रमुख सचिव पर्यावरण से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा

Update:2017-07-14 20:20 IST

इलाहाबाद। गाजियाबाद में बिना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के चालू 29 केमिकल फैक्ट्रियों की रिपोर्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट में गलत रिपोर्ट पेश करने वाले कोर्ट के निर्देशों का पालन करने में लापरवाह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि सरकार लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करने जा रही है। बोर्ड के अधिकारियों ने भूगर्भ जल लाल होने की शिकायत की जांच करते हुए फैक्ट्रियों को यह कहते हुए क्लीनचिट दे दी कि 2000 में ही फैक्ट्रियां बंद कर दी गयी है।

365 फैक्ट्रियों में से केवल 275 ही चालू है। अवैध फैक्ट्रियों को बंद किया जा चुका है। कोर्ट ने जानना चाहा है कि जब फैक्ट्रियां बंद है तो 2010 में भूगर्भ जल लाल कैसे है। कोर्ट ने सदस्य सचिव को जांच कर कार्यवाही का आदेश दिया था। याचिका की सुनवाई 3 अगस्त को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने सोसायटी आफ वायस आफ हयूमन राइट एण्ड जस्टिस की जनहित याचिका पर दिया है। बोर्ड के सदस्य सचिव की रिपोर्ट में कहा गया कि 16 कंपनियों की शिकायत की जांच की गयी किन्तु कोई अनियमिता नहीं पायी गयी।

एक फैक्ट्री का टैंक लीक हो गया था जिससे भूगर्भ जल लाल हो गया था। फैक्ट्रियों के खिलाफ जावली थाने में राजकुमार कौशिक ने प्राथमिकी 2011 में दर्ज करायी है। कोर्ट ने सदस्य सचिव को पानी लाल होने की जांच का आदेश दिया था। केमिकल फैक्ट्रियां कपड़ा रंगने व ड्राई करने का काम करती है।

रिपोर्ट में यह कहा गया कि 30 जुलाई 2015 को फैक्ट्रियां बंद की गयी है। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की कि बोर्ड लीपापोती की चैम्पियन है। सदस्य सचिव ने गैर जिम्मेदाराना कार्यवाही की। रिपोर्ट संतोषजनक नहीं है। प्रमुख सचिव पत्रावली तलब कर जांच कर कार्रवाई करे।

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