HC: तीन पीढ़ी से जंगलों में रह रहे वनवासियों को ही वन में मिल सकती है रहने की अनुमति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरूवार को कहा है कि हस्तिनापुर वन अभ्यारण वन संरक्षित एरिया में केवल तीन पुश्तों में रह रहे जनजाति या वनवासियों को ही वन में निवास करने की अनुमति दी जा सकती है।

Update: 2016-12-22 15:43 GMT

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ( 22 दिसंबर ) गुरूवार को कहा कि हस्तिनापुर वन अभ्यारण वन संरक्षित एरिया में केवल तीन पुश्तों में रह रहे जनजाति या वनवासियों को ही वन में निवास करने की अनुमति दी जा सकती है। कोर्ट ने अनुसूचित जाति के याचियों को वन के निवासी का दर्जा देने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।

हालांकि कोर्ट ने कहा है कि वैकल्पिक आवास की व्यवस्था करने तक याचियों को कुछ समय के लिए रहने दिया जाए। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बेंच ने धर्मवीर और अन्य की याचिका पर दिया है।

क्या था याची का कहना ?

-याची का कहना था कि वे पिछले पांच दशक से वन में रह रहे हैं, लेकिन उन्हें निवास की अनुमति नहीं दी जा रही है।

-उनसे वन खाली करने को कहा जा रहा है।

क्या था वकील का तर्क ?

-स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय का कहना था कि अनुसूचित जाति और अन्य वनवासी अधिनियम-2006 के नियम 6 के तहत 2005 से पहले तीन पुश्तों से वन में निवास कर रहे वनवासी और जनजाति के लोगों को ही स्थायी निवास की अनुमति दी जा सकती है।

-हस्तिनापुर वन्य जीव अभ्यारण को साल 1968 में वन क्षेत्र घोषित किया गया। उस समय याचीगण वन में निवास नहीं कर रहे थे।

-इसलिए ये वनवासी की श्रेणी में नहीं आते। इसके साथ ही यह अनुमति एसटी को है।

-याचीगण अनुसूचित जाति के हैं, इन्हें वन में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

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HC ने दिया यमुना एक्सप्रेस वे अथाॅरिटी को नए कानून से मुआवजा देने का निर्देश

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर के निनौली शाहपुर गांव की यमुना एक्सप्रेस-वे अथाॅरिटी द्वारा 547 हेक्टयेर भूमि रिहायशी काॅलोनी के लिए अधिग्रहण के खिलाफ याचिका मंजूर कर ली है।

कोर्ट ने अथाॅरिटी से क्या कहा ?

-कोर्ट ने अथारिटी से कहा है कि यदि वह जमीन रखना चाहती है तो वह मार्केट रेट और 2013 के नए कानून के मुताबिक किसानों को मुआवजे का भुगतान करे।

-कोर्ट ने धारा 17 में किए गए अधिग्रहण को सही नहीं माना।

-यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की बेंच ने हरपाल सिंह और अन्य की याचिका पर दिया है।

-कोर्ट ने कहा है कि रिहायशी काॅलोनी बनाने के लिए अर्जेन्सी क्लॉज़ में भूमि अधिग्रहण नहीं किया जा सकता।

-अथाॅरिटी ने रिहायशी काॅलोनी के लिए जमीन अधिग्रहीत की थी।

अगली स्लाइड में पढ़िए HC ने वाराणसी में रैनबसेरों पर नगर निगम से की रिपोर्ट तलब

HC ने वाराणसी में रैनबसेरों पर नगर निगम से की रिपोर्ट तलब

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के रैन बसेरों को चालू रखने की उचित व्यवस्था करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर नगर निगम वाराणसी से उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डी.बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बेंच ने जन अधिकार मंच की जनहित याचिका पर दिया है।

क्या कहना है याची का ?

-याची का कहना है कि वाराणसी में 46 रैन बसेरे हैं।

-नगर निगम ने इसकी देखभाल के लिए कर्मचारी भी रखे हैं।

-उनके कार्य करने का समय भी निर्धारित है।

-इसके बावजूद ज्यादातर रैन बसेरों में ताला लटका रहता है।

-यात्रियों को आश्रय नहीं मिल पा रहा है।

-याचिका में रैन बसेरों को सुचारू रूप से संचालित करते हुए 24 घंटे चालू रखने की प्रार्थना की गई है।

-याचिका की अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी।

 

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